गुलशन कुमार की हत्या के बाद रुक गई थी 'सत्या' की शूटिंग, डिप्रेशन में चले गये थे Manoj Bajpayee
Manoj Bajpayee इन दिनों अपनी फिल्म भैया जी (Bhaiyya Ji) को लेकर चर्चा में हैं। भैया जी के बीच मनोज बाजपेयी ने सत्या की शूटिंग के दिनों को याद किया है जब वह डिप्रेशन में चले गये थे। फिल्म की शूटिंग रुकने से उन पर बुरा असर पड़ा था। शूट शुरू होने के ठीक पांच दिन बाद गुलशन कुमार की हत्या हो गई थी।
जब रुकी सत्या की शूटिंग
हाल ही में, मनोज बाजपेयी ने उस फेज को याद किया है। अभिनेता ने बताया है कि 'सत्या' के शूट शुरू होने के सिर्फ 5 दिन हुए थे, तभी भूषण कुमार की हत्या हो गई। मुंबई में इस हादसे से इंडस्ट्री में डर का माहौल बन गया। फिल्म की कहानी भी अंडरवर्ल्ड पर आधारित थी, इसलिए प्रोड्यूसर्स भी डर गये थे। यूट्यूबर सुशांत सिन्हा से बात करते हुए मनोज बाजपेयी ने कहा-जब मुझे सत्या मिली तो मैंने किसी को नहीं बताया। यहां तक कि मैंने मुंबई में अपने रूममेट्स और दोस्त को भी नहीं बताया था। मुझे हमेशा डर लगा रहता था कि फिल्म कैंसिल न हो जाये, जो कई बार हो चुका है। हमारे शूट शुरू करने के पांच दिन बाद गुलशन कुमार की हत्या हो गई थी। फिल्म को टाल दिया गया था, क्योंकि प्रोड्यूसर डर गये थे।
प्रोड्यूसर के दिल में बैठ गया था खौफ
यह भी पढ़ें- इस चीज को पाकर बचपन में खुद को रईस समझते थे Manoj Bajpyee, कबाब की खुशबू से ही काम चलाते थे 'भैया जी'इंडस्ट्री में गुलशन कुमार की हत्या एक बड़ी घटना थी और हम मुंबई के माफिया पर फिल्म बना रहे थे। प्रोड्यूसर बहुत डरे हुए थे। उन्होंने इसे बंद कर दिया। हमारा करियर जो शुरू ही होने वाला था, अचानक रुक गया। एक हफ्ते बाद राम गोपाल वर्मा को फाइनेंसर भरत शाह मिले और तब शूटिंग फिर से शुरू हुई। हमने 'सत्या' को अपना सबकुछ दे दिया। एक हफ्ता हमारे लिए बहुत बुरा था।
डिप्रेशन में चले गये थे मनोज बाजपेयी
मनोज बाजपेयी ने आगे कहा कि लाख मुसीबतें आने के बावजूद राम गोपाल वर्मा ने हार नहीं मानी थी। उन्होंने कभी नहीं कहा कि फिल्म नहीं बनेगी। वह बस कहते थे कि फिल्म की शूटिंग थोड़ी देर के लिए रुक गई है। 8 दिन के बाद फिल्म की शूटिंग फिर से शुरू हुई थी। यह भी पढ़ें- Manoj Bajpayee के मुंह से खुद की तारीफ सुन विवियन रिचर्ड्स ने दिया था ये रिएक्शन, सुनकर अभिनेता के उड़ गये थे होशहम में से किसी को भी आइडिया नहीं था कि क्या हगा। 'सत्या' हमारी इकलौती उम्मीद थी। जो हुआ, वो बहुत निराश और हताश करने वाली थी। मैंने फैसला किया कि मैं तब तक उम्मीद नहीं खोऊंगा जब तक राम गोपाल वर्मा नहीं कहते, 'खत्म हुआ। अब यह फिल्म नहीं बनेगी।'