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'बंदूक चलाई, घूंसे मारे', 'भैया जी' बनकर नरसंहार करने को तैयार Manoj Bajpayee, कहा 'जवानी में किसी ने मुझसे...'

बॉलीवुड एक्टर मनोज बाजपेयी की एक्टिंग का हर कोई कायल है। बड़ा पर्दा हो या ओटीटी की दुनिया उन्होंने अपना टैलेंट दोनों मीडियम पर बखूबी दिखाया है। कई सालों से फिल्म लाइन में एक्टिव मनोज बाजपेयी बहुत जल्द भैयाजी से अपनी मूवीज का शतक पूरा करेंगे। टीजर देखने के बाद फैंस को उम्मीद है कि फिल्म में साउथ का तड़का देखने को मिलेगा।

By Agency Edited By: Karishma Lalwani Updated: Sun, 14 Apr 2024 10:30 AM (IST)
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'भैया जी' से मनोज बाजपेयी. फोटो क्रेडिट- इंस्टाग्राम

स्मिता श्रीवास्तव, मुंबई। ‘भैयाजी’ से अभिनेता मनोज बाजपेयी अपनी फिल्मों का शतक पूरा करेंगे। इससे पहले उनकी 99वीं फिल्म ‘साइलेंस 2: द नाइट आउल बार शूटआउट’ ओटीटी प्लेटफार्म पर प्रदर्शित होगी, जिसमें उनके साथ इंस्पेक्टर संजना की भूमिका में होंगी प्राची देसाई। फिल्म और जिंदगी के समीकरणों पर दोनों से बात की स्मिता श्रीवास्तव ने...

मनोज, आप फिल्मों के शतक से बस एक फिल्म दूर हैं। इस सफर की यादों को कैसे संजोकर रखते हैं?

यादें संजोने की शुरुआत कुछ साल बाद करूंगा। अभी समय है कि सफर को आगे बढ़ाया जाए। इसका पूरी तरह से आनंद लिया जाए। मुझे पता है कि एक समय के बाद मैं फिर बहकना शुरू कर दूंगा। तब लिखने की तैयारी होगी, जब लगेगा कि अब सही समय आ गया है कि मैं बैठू और एक-एक पेज रोज लिखता जाऊं।

करियर की शुरुआत में थिएटर करने के दौरान तो आपने पटकथाएं भी लिखी थीं...

हां, मैंने थिएटर के लिए तीन पटकथाएं लिखी थीं। उसके बाद लिखना बंद कर दिया, लेकिन पढ़ता हूं। पढ़ने का शौक है।

आज के समय के कलाकारों के लिए बाक्स आफिस कितना जरूरी है?

मनोज: देखिए, बाक्स आफिस का चक्कर जो है, वो दिमागी है क्योंकि जाहिर सी बात है कि हमारे देश में पर्दे पर फिल्में देखने का कल्चर रहा है। उसके प्रति हर निर्देशक, हर कलाकार का आकर्षण है क्योंकि उसकी बचपन की यादों के साथ सिनेमा जुड़ा हुआ है। मैंने 30 साल पहले सिनेमा करना शुरू किया तो फिल्मों में काम करना मेरे पूरे सिस्टम में रहा है। ओटीटी नया है। निश्चित रूप से अगली पीढ़ी के कलाकारों में उसे अलग तरह से देखा जाएगा, लेकिन निजी तौर पर कह रहा हूं कि अगर आपको अच्छी भूमिकाएं मिल रही हैं, तो जीवन में वही सबसे महत्वपूर्ण और सुंदर चीज है। आप थिएटर की सुपरहिट फिल्मों और ओटीटी की एक सफल फिल्म या सीरीज के दर्शकों की संख्या देखें, तो यहां दर्शकों का दायरा 10 गुणा है। हम ओटीटी पर ज्यादा से ज्यादा दर्शकों तक पहुंचते हैं। पर फिर भी हर कलाकार को खुद निर्णय लेना होगा कि हम क्या चाहते हैं। दर्शकों की संख्या चाहिए, सुपरहिट फिल्म का तमगा या अच्छी फिल्म।

प्राची: जब मैंने अपना पहला डेली सोप किया था, तब मुझे नहीं पता था कि उसका क्या परिणाम होगा। हां, उसकी अहमियत पता थी कि प्राइम टाइम शो का हिस्सा होने से हर घर तक पहुंच होगी। बहुत सारे लोग मुझे आज भी उस वजह से ही जानते हैं। उसके बाद काफी फिल्में कीं। उसके बाद ओटीटी आया। मैं खुद को खुशकिस्मत मानती हूं कि मैंने सारे माध्यमों में काम किया।

मूल फिल्म ‘साइलेंस’ में मीडिया को मनोज के किरदार के कमरे में आने की अनुमति नहीं थी। कैसी खबरों से कोफ्त होती है?

प्राची: मैं शुरू में मीडिया से थोड़ा दूर रहती थी। मैंने 17 साल की उम्र से काम करना शुरू किया और अचानक से जब आप कैमरा, मीडिया का सामना करते हैं तो चीजों को समझ नहीं पाते हैं। उस समय मुझे पता नहीं था कि इंटरव्यू कैसे देते हैं। धीरे-धीरे सीखा कि सारे पत्रकार एक जैसे नहीं होते हैं।

मनोज: मुझे खबरों से फर्क नहीं पड़ता। आजकल इंटरनेट मीडिया के कारण कोई भी कुछ भी लिख देता है। मैं तुरंत उसका खंडन करता हूं। ऐसा नहीं करूंगा तो बात बढ़ती ही जाएगी।

मनोज, आप ‘भैया जी’ में एक्शन कर रहे हैं?

बहुत ज्यादा। जब मैं अपनी जवानी के शबाब पर था तब किसी ने मुझसे ऐसा एक्शन नहीं कराया। हां, बंदूक चलाई, घूंसे मारे हैं, कूदा भी हूं। मगर इस तरह से पहली बार किया है।

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