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देशभक्ति और सामाजिक मुद्दों पर फिल्में क्यों बनाते थे Manoj Kumar? इन मूवीज में दिखाई 'भारत' की झलक

24 जुलाई को हिंदी सिनेमा के भारत कहे जाने वाले अभिनेता मनोज कुमार (Manoj Kumar) का 87वां जन्मदिन मनाया जाएगा। लेकिन क्या आप जानते हैं कि उन्हें देश का बेटा क्यों कहा जाता है और क्या वो वजह थी जिसके चलते वह अक्सर देशभक्ति और समाजिक मुद्दों पर आधारित फिल्मों का निर्माण करते थे। आइए इन सब को इस लेख में विस्तार से जानते हैं।

By Ashish Rajendra Edited By: Ashish Rajendra Updated: Tue, 23 Jul 2024 08:56 PM (IST)
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बॉलीवुड के अभिनेता मनोज कुमार (Photo Credit-Jagran)
एंटरटेनमेंट डेस्क, नई दिल्ली। ''भारत का रहने वाला हूं, भारत की बात सुनाता हूं...'', साल था 1970 और उस वक्त मनोज कुमार (Manoj Kumar) स्टारर फिल्म पूर्व और पश्मिच के इस गाने ने देशवासियों में एक नई ऊर्जा भर दी थी। फिल्मों और कहानियों के जरिए भारत की बात करते-करते मनोज कुमार को भारत कुमार नाम ही मिल गया।

रोमांटिक फिल्मों से करियर की शुरुआत करने वाले मनोज साहब उन कलाकारों में शामिल हैं, जिन्होंने देश और समाज से जुड़े मुद्दों को अपनी फिल्मों की कहानी का आधार बनाया। कभी जवान और किसान की बात की तो कभी बेरोजगार और पश्चिम की हावी होती संस्कृति को कहानी में पिरोया। 

सामाजिक सरोकार के सिनेमा से जुड़ना मनोज कुमार की मजबूरी नहीं च्वाइस थी, जो उन्होंने बहुत सोच समझकर किया था। मनोज कुमार आखिर क्यों इस लीग की फिल्मों का निर्माण करते थे और उनमें काम करते थे। अस्सी के दशक में क्रांति की रिलीज के बाद मनोज कुमार ने एक इंटरव्यू में इस विषय पर विस्तार से बात की थी।  

क्यों देशभक्ति और सामाजिक फिल्में करते थे मनोज कुमार?

यू-ट्यूब चैनल आईटीएमबी (ITMB) पर मौजूद इस इंटरव्यू में मनोज कुमार ने कमर्शियल फिल्मों के बाद देशभक्ति वाली फिल्मों को करने की वजह साझा की थी। उन्होंने कहा था- 

जब आदमी भूखा होता है तो सामने जो पड़ा हो वो खा लेता है। जब उसकी स्थिति पटरी पर आती है तो वो कुछ करने के बारे में सोचता है, इंसान सिर्फ सोचता है और करवाने वाला वो ऊपर वाला होता है। समाज हमें बहुत कुछ देता है और ऐसे में हमारा पूरा फर्ज बनता है कि हम भी उस समाज का हिस्सा होने के नाते, उसे बदले में कुछ अच्छा दें।

यही कारण है जो मेरी फिल्में देशभक्ति, संस्कृति और सामाजिक मुद्दों को दर्शाती हैं। अच्छी बात ये है कि ये फिल्में दर्शकों से सीधे तौर पर जुड़ पाती हैं।

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हिंदी सिनेमा के भारत मनोज कुमार

24 जुलाई को मनोज कुमार का जन्म हुआ था। फिल्मों के जरिए अपनी संस्कृति और परम्पराओं को बढ़ावा देने के लिए उन्होंने सिनेमा का रास्ता चुना और कई सार्थक फिल्मों का निर्माण-निर्देशन किया। कुछ फिल्मों में उनके किरदारों के नाम भी भारत रहे, जो देश की आत्मा का प्रतिनिधित्व करता था। इनमें उपकार, क्रांति, पूरब और पश्चिम शामिल हैं। 

कमर्शियल और रोमांटिक हीरो से हटकर उन्होंने इस लीग की फिल्मों पर जोर दिया और एक के एक बाद इनसे फैंस का दिल जीता। यही कारण रहा है, जो मनोज कुमार को हिंदी सिनेमा का भारत और देश का बेटा कहा है।

इन फिल्मों में उठाये सामाजिक मुद्दे

साल 1957 में फिल्म फैशन के जरिए मनोज कुमार ने हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में कदम रखा था। हालांकि, इस मूवी में उनका किरदार काफी छोटा था।

इसके बाद 1961 में आई कांच की गुड़िया मूवी से मनोज का बड़ा ब्रेक मिला, लेकिन बतौर लीड एक्टर हरियाली और रास्ता से उनकी किस्मत चमकी। यह मनोज कुमार की पहली बड़ी सफलता थी। इस फिल्म के बाद उन्होंने कई यादगार और हिट फिल्मों में हीरो के किरदार निभाये।

उपकार के साथ मनोज की फिल्ममेकिंग का अंदाज बदला और सरोकारी फिल्में उनकी फिल्मोग्राफी में शामिल होने लगीं। इन फिल्मों के जरिए मनोज कुमार ने किसानों से लेकर बेरोजगारी और अपनी संस्कृति को बढ़ावा देने के विषयों को हाइलाइट किया।  

  साल          फिल्म       मुद्दा
  1967        उपकार     किसान
  1970      पूरब और पश्चिम   भारतीय संस्कृति
  1974     रोटी कपड़ा और मकान   बेरोजगारी
  1981           क्रांति    आजादी
  1987      कलयुग और रामायण    भारतीय संस्कृति
  1989          देशवासी     देशभक्ति
इन फिल्मों में ना सिर्फ अभिनेता बल्कि बतौर निर्देशक भी मनोज ने अपनी छाप छोड़ी है। आज भी उनकी इन फिल्मों को हिंदी सिनेमा की कल्ट मूवीज माना जाता है। 

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