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Manoj Pahwa Interview: मिमी फिल्म में नजर आए मनोज पाहवा का दावा- अब बदल रही है मेरी छवि

Manoj Pahwa Interview फिल्म अभिनेता मनोज पाहवा ने जागरण डॉट कॉम को एक इंटरव्यू दिया है। इसमें उन्होंने खुशी जताई है कि उनकी इमेज बदल गई है और अब उन्हें कॉमेडी फिल्मों के अलावा और भी किस्म की फिल्में मिलने लगी है।

By Rupesh KumarEdited By: Updated: Sun, 11 Dec 2022 04:09 PM (IST)
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Manoj Pahwa Interview: मनोज पाहवा फिल्म कलाकार है।
दीपेश पांडेय, मुंबई। Manoj Pahwa Interview: पिछले कई वर्ष से हिंदी सिनेमा में कॉमिक किरदारों से पहचाने जाने वाले मनोज पाहवा की छवि अब बदल रही है। कामेडी से इतर अब वह गंभीर, नकारात्मक और भावुक भूमिकाएं भी बड़ी खूबसूरती से निभाते नजर आ रहे हैं। हालिया प्रदर्शित फिल्म ‘मिली’ में उनका गंभीर और भावनात्मक पहलू देखने को मिला, वहीं इससे पहले फिल्म ‘अनेक’ और ‘मिमी’ में भी उनकी भूमिकाओं में विविधता दिखी।

'मुल्क जैसी स्क्रिप्ट ने बदली छवि'

फिल्मों के चयन में बदली पसंद को लेकर मनोज कहते हैं, ‘बतौर एक्टर मैं कई वर्षों से काम कर रहा हूं। कई बार कलाकार टाइपकास्ट हो जाता है। सबके दिमाग में यह छवि बन गई थी कि चलो मनोज पाहवा हैं, तो कामेडी कर लेंगे। ऐसे में मुझे ज्यादातर कामेडी वाली भूमिकाएं मिलती रहीं। मैं भी वह काम करता रहा, क्योंकि मुंबई जैसे शहर में घर भी चलाना है। मैं खुद को खुशकिस्मत कहूंगा कि मेरे पास ‘मुल्क’ जैसी कुछ स्क्रिप्ट आईं, जिससे मेरे प्रति लोगों का नजरिया ऐसा हो गया है कि यह कलाकार भी अच्छे हैं। कई अलग तरह के रोल भी कर सकते हैं। मैं इसका पूरा श्रेय अनुभव सिन्हा को दूंगा, जिन्होंने ‘मुल्क’ में मुझे भावुक रोल दिया। उसके बाद मुझ पर फिल्मकारों का भरोसा बढ़ गया कि मुझे बड़े और ग्रे किरदार भी दिए जा सकते हैं। यह सब उसी का नतीजा है।’

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मनोज पाहवा को आर्टिकल 15 के लिए बेस्ट एक्टर इन निगेटिव रोल का पुरस्कार मिला

स्थापित छवि से अलग राह पर चलते हुए जोखिम उठाने पर मनोज कहते हैं, ‘मेरे दिमाग में ऐसा कुछ नहीं आया था, क्योंकि मैं काफी वर्षों से काम तो कर ही रहा हूं। मुझे पता था कि वो (कामेडी वाले) काम तो आता ही रहेगा। बल्कि इससे मुझे बहुत खुशी हुई कि अच्छा है अब बतौर कलाकार मुझे कुछ अलग काम करने का मौका मिलेगा। मैंने सोचा कि हो सकता है कि इसके आगे अच्छी स्क्रिप्ट पर भी काम करने का मौका मिले, आगे ऐसा हुआ भी। हां, मैं थोड़ा नर्वस जरूर था, क्योंकि मेरी छवि के कारण कुछ लोगों ने संदेह पैदा कर दिया था कि क्या मनोज पाहवा ऐसी भूमिकाएं निभा पाएंगे, या हो सकता है कि दर्शक उन्हें ऐसी भूमिकाओं में स्वीकार न करें। मैं तो मजाक-मजाक में कई बार कहता भी हूं कि 20-25 साल कामेडी करते हुए हो गया, लेकिन मुझे ‘आर्टिकल 15’ के लिए बेस्ट एक्टर इन निगेटिव रोल का पुरस्कार मिला।’

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'मेरी उम्र के ऐसे कई कलाकार हैं, जो नायक की भूमिका निभा रहे हैं'

डिजिटल प्लेटफार्म के दौर में हर उम्र और वर्ग के कलाकारों को केंद्र में रखकर कहानियां बन रही हैं। इस पर मनोज कहते हैं, ‘हां, मैं भी इस तरह के कुछ प्रोजेक्ट कर रहा हूं और आगे भी वैसे ही प्रोजेक्ट करना चाहूंगा। जब कहानी प्रधान हो जाती है, तो उसके चरित्र महत्वपूर्ण होते हैं, वो हीरो-हीरोइन वाला फार्मूला काम नहीं करता है। अब मेरी उम्र के ऐसे कई कलाकार हैं, जो नायक की भूमिका निभा रहे हैं, फिर वह वेब सीरीज हो या फिल्म। एक बदलाव यह भी है कि अब कहानियां कानपुर और मिर्जापुर जैसे शहरों की बन रही हैं, तो उसी हिसाब से कलाकारों की भी जरूरत पड़ रही है। इसीलिए कलाकारों को भी विविध भूमिकाएं मिल रही हैं, जो कि बहुत अच्छी बात है। मेरे पास भी अब अच्छी स्क्रिप्ट और भूमिकाएं आ रही हैं।’