अपनी जान की परवाह किए बगैर खतरनाक स्टंट को अंजाम देते हैं बॉडी डबल, इस टेक्नोलॉजी से पूरी होती है शूटिंग
फिल्मों में अगर कोई एक्टर खतरनाक स्टंट या सीन को अंजाम दे तो थिएटर हॉल तालियों से गूंज उठता है। पर्दे पर ऑडियंस का असली हीरो फिल्म का लीड एक्टर ही होता है। लेकिन आपको ये जानकर हैरानी हो सकती है कि इनमें से ज्यादातर सीन को वो खुद परफॉर्म नहीं करते। जिन सीन्स के लिए सितारे वाहवाही लूटते हैं उन्हें कोई और अंजाम देता है।
एंटरटेनमेंट डेस्क, नई दिल्ली। फिल्मों में आप अक्सर किसी न किसी एक्टर को एक्शन करते देखते हैं। ये एक्शन सीन किसी भी तरह के हो सकते हैं। कभी बाइक से हाई जंप मारना, कभी ऊंचाई से कूदना, तो कभी कुछ। फिल्म के जिन सीन्स को करने में हीरो के हाथ-पैर फूलते हैं, उन्हें उनके ही जैसे दिखने वाले दूसरे लोग आसानी से कर डालते हैं। इन दूसरे लोगों को इंडस्ट्री में बॉडी डबल के नाम से जाना जाता है। मुश्किल से मुश्किल सीन भी इनके लिए बायें हाथ का खेल है।
क्या होता है बॉडी डबल?
पर्दे पर दिखने वाला हीरो ही ऑडियंस के लिए सबकुछ होता है। लेकिन असल में अधिकतर जिन सीन्स में उनके लिए तालियां और सीटियां बजती हैं, उनके हकदार वो नहीं, बल्कि उनके बॉडी डबल होते हैं, जो अपनी जान पर खेलकर इन एक्टर्स को सुपरस्टार बनाते हैं। 'शोले' फिल्म में हेमा मालिनी हों या 'वॉर 2' में ऋतिक रोशन, गुंडों से निपटने वाले इनके सीन को इन्होंने नहीं, किसी और ने शूट किया था।
साधारण शब्दों में बॉडी डबल का मतलब होता है डुप्लीकेट व्यक्ति, जो एक्टर की जगह तब काम करते हैं, जब वह किसी कारण उस सीन के लिए मौजूद न हों या किसी टफ सीन को शूट करना हो। किसी भी फिल्म को बनाने में बॉडी डबल की भूमिका काफी महत्वपूर्ण होती है।
ऐसे होती है बॉडी डबल के साथ शूटिंग
'वॉर 2' में विक्रम से निपटने का सीन अगर आपने देखा हो, जिसमें ऋतिक रोशन, सैफ अली खान (Saif Ali Khan) की धुनाई करते हैं, तो इसकी शूटिंग असल में ऋतिक ने नहीं, उनके बॉडी डबल मंसूर अली खान ने की थी। 'शोले' में जब हेमा मालिनी डाकुओं से बचने के लिए तांगे पर चढ़ जाती हैं, उस सीन को असल में रेश्मा पठान ने किया था।रिप्लेस कर दिया जाता है चेहरा
बॉडी डबल के साथ सीन की शूटिंग होती है। पोस्ट प्रोडक्शन के दौरान उसका चेहरा एक्टर के चेहरे से रिप्लेस कर दिया जाता है। कई बार ये बॉडी डबल सिर्फ सीन नहीं करते, बल्कि लाइन भी बोलते हैं। फाइनल एडिटिंग में उनके फेस को कैमरा एंगल का ध्यान रखते हुए बदल दिया जाता है।बॉडी डबल्स की सिर्फ पीठ दिखाई देती है। वह सीन को करने से पहले एक्टर के लहजे को कॉपी करते हैं। उनका इस्तेमाल कर दृश्यों को ऐसे फिल्माया जाता है कि ऑडियंस पकड़ ही नहीं पाती कि फिल्म के किस सीन में बॉडी डबल का इस्तेमाल किया गया।