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कभी जिंदगी से हारकर सुसाइड करना चाहते थे Mithun Chakraborty, अवार्ड की घोषणा पर हुए इमोशनल

मिथुन चक्रवर्ती अपने समय के सबसे पसंदीदा अभिनेताओं में से एक थे। इंडस्ट्री में उन्हें पांच दशक से भी अधिक का समय हो चुका है। हाल ही में एक्टर को दादा साहेब फाल्के पुरस्कार देने की घोषणा की गई। लेकिन यहां तक पहुंचने का उनका संघर्ष भी कम नहीं था। एक समय वो जीवन के ऐसे पड़ाव पर थे जब उनके दिमाग में आत्महत्या का ख्याल आता था।

By Surabhi Shukla Edited By: Surabhi Shukla Updated: Mon, 30 Sep 2024 03:43 PM (IST)
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मिथुन चक्रवर्ती को मिलेगा दादा साहेब फाल्के पुरस्कार

एंटरटेनमेंट डेस्क,नई दिल्ली। बॉलीवुड की गलियों से सुबह सुबह एक गुड न्यूज आई। केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने एक्टर को दादा साहेब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित करने की घोषणा की। अभिनेता को यह पुरस्कार फिल्म इंडस्ट्री में उनके योगदान के लिए दिया जाएगा। मिथुन का फिल्मी करियर 50 साल का रहा है। इस दौरान उन्होंने लगभग 18 भाषाओं की 370 फिल्मों में काम किया है। उन्होंने साल 1976 में आई फिल्म ‘मृगया’ से बॉलीवुड में कदम रखा था। फिल्म हिट हुई और इसके लिए बेस्ट एक्टर का नेशनल फिल्म अवॉर्ड जीता।

जाहिर की पुरस्कार मिलने की खुशी

अवार्ड मिलने की खुशी जाहिर करते हुए मिथुन चक्रवर्ती ने कहा, “मेरे पास शब्द नहीं हैं। ना मैं हंस सकता हूं, ना रो सकता हूं। ये इतनी बड़ी बात है.. मैं इसकी कल्पना भी नहीं कर सकता था। मैं बेहद खुश हूं। मैं इसे अपने परिवार और दुनिया भर में मौजूद अपने फैंस को समर्पित करना चाहता हूं।”

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कैसे आया आत्महत्या का ख्याल?

एक्शन से लेकर कॉमेडी तक उन्होंने हर जॉनर की फिल्में कीं और फैंस का दिल जीता। पिछले दिनों टाइम्स ऑफ इंडिया को दिए इंटरव्यू में एक्टर ने अपने जीवन का ऐसा राज खोला जिसे सुनकर आप भी शॉक्ड हो जाएंगे। मिथुन ने कहा, “मैं आम तौर पर इस बारे में ज्यादा बात नहीं करता हूं और ऐसा कोई विशेष फेज नहीं है जिसके बारे में मैं बात करना चाहता हूं। मैं उन संघर्ष के दिनों के बारे में बात न करें क्योंकि यह महत्वाकांक्षी कलाकारों को हतोत्साहित कर सकता है। हर कोई संघर्ष से गुजरता है, लेकिन मेरा संघर्ष बहुत ज्यादा था। कभी-कभी मुझे लगता था कि मैं अपने लक्ष्य हासिल नहीं कर पाऊंगा, यहां तक ​​कि मैंने आत्महत्या करने के बारे में भी सोचा।"

उन्होंने आगे कहा,"मैं किन्हीं खास वजहों से कोलकाता वापस जाने के बारे में भी नहीं सोच सकता था। लेकिन मैं लोगों को यही सलाह देना चाहूंगा कि लड़े बगैर कभी भी अपने संघर्षों से भागने की कोशिश ना करें। मैं पैदाइशी फाइटर हूं और मुझे हारना नहीं आता। देखों आज मैं कहा हूं।"

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