कभी 'नक्सली' थे Mithun Chakraborty, एक दुखद हादसे ने बदल दी राह, 'साजिश' से लड़कर बने बॉलीवुड के डिस्को डांसर
Mithun Chakraborty नेशनल अवॉर्ड और पद्म भूषण के बाद प्रतिष्ठित अवॉर्ड दादा साहेब फाल्के पुरस्कार से नवाजे जाने वाले हैं। 8 अक्टूबर को उन्हें इस अवॉर्ड से सम्मानित किया जाएगा। मिथुन ने पांच दशक तक फिल्मों में काम किया है। उन्होंने जिंदगी में कई उतार-चढ़ाव भी देखे। वह फिल्मों में कैसे आए उनकी सिनेमैटिक जर्नी पर डालते हैं एक नजर।
एंटरटेनमेंट डेस्क, नई दिल्ली। मिथुन चक्रवर्ती (Mithun Chakraborty) हिंदी सिनेमा का वो हीरा है, जिन्हें तराशने में सालों लग गए। कभी रंग के चलते रिजेक्ट हुए तो कभी साजिशों के जाल में फंसे, लेकिन कभी हार नहीं मानी और खुद को साबित कर इंडस्ट्री में अपनी एक अलग पहचान बनाई।
मिथुन चक्रवर्ती का फिल्मी करियर कभी आसान नहीं रहा। शुरू में उनके अभिनय की राह में कई कांटे आए, लेकिन वह सितारे की तरह चमके। 16 जून 1950 को कोलकाता में जन्मे मिथुन ने साल 1976 में फिल्म मृगया से बॉलीवुड में डेब्यू किया था लेकिन शायद ही आपको पता हो कि वह फिल्मों में आने से पहले नक्सल ग्रुप का हिस्सा थे। इसका खुलासा खुद अभिनेता ने एक पुराने इंटरव्यू में किया था।
एक्टर बनने के बाद भी नहीं छूटा नक्सली का लेबल
मिथुन चक्रवर्ती ने पत्रकार अली पीटर जॉन के साथ बातचीत में नक्सली लाइफ को लेकर बताया था। उन्होंने कहा कि नक्सली होने के चलते उन्हें इंडस्ट्री में कितनी दिक्कतों का सामना करना पड़ा था। यह लेबल कभी नहीं हटा था। बकौल अभिनेता-
इंडस्ट्री और उसके बाहर के लोग कलकत्ता में नक्सली आंदोलन में मेरे शामिल होने और नक्सलियों के उग्र नेता चारु मजूमदार के साथ मेरे करीबी संबंधों के बारे में सब जानते थे। मेरे परिवार में एक त्रासदी के बाद मैंने आंदोलन छोड़ दिया था, लेकिन नक्सली होने का लेबल मेरे साथ हर जगह रहा, चाहे वह पुणे में FTII हो या जब मैं सत्तर के दशक के अंत में बॉम्बे आया था।
कहा जाता है कि एक एक्सीडेंट में भाई की मौत के बाद मिथुन चक्रवर्ती ने नक्सल ग्रुप से किनारा किया था और अभिनय की ओर कदम बढ़ाने का फैसला किया था।
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पहली फिल्म से मिला नेशनल अवॉर्ड
एक इंटरव्यू में मिथुन चक्रवर्ती ने खुलासा किया था कि सांवले रंग की वजह से लोग उन्हें ताने मारते थे और कहते थे कि वह हीरो नहीं बन सकते हैं। हालांकि, अभिनेता ने लोगों का ये भ्रम तोड़ा और पीरियड ड्रामा फिल्म मृगया से डेब्यू किया। यह फिल्म हिट रही और मिथुन को बेस्ट एक्टर के लिए नेशनल अवॉर्ड से सम्मानित किया गया। फिर वह फिल्मों में रील लाइफ नक्सली बनकर सामने आए। नक्सलवाद पर बनी पहली फिल्म द नक्सली में मिथुन ने काम किया था।
मिथुन के खिलाफ हुई साजिश?
धीरे-धीरे मिथुन चक्रवर्ती का फिल्मी दुनिया पर कब्जा होने लगा, लेकिन राह आसान नहीं हुई। जब वह चमकने लगे थे तो जलन के मारे बड़े-बड़े स्टार्स ने एक्ट्रेसेज को धमकी दी कि अगर वह मिथुन के साथ काम करेंगी तो वह उनके साथ काम करना बंद कर देंगे। एक बार खुद अभिनेता ने सा रे गा मा पा के मंच पर इसका खुलासा किया था। हालांकि, जीनत अमान वो अभिनेत्री थीं, जिन्होंने किसी की न सुनी और मिथुन के साथ 'तकदीर' की। इसके बाद मिथुन का करियर चमक गया और वह बॉलीवुड के डिस्को डांसर बन गए।
मिथुन चक्रवर्ती को मिलेगा दादा साहेब फाल्के अवॉर्ड
तकरीबन पांच दशक तक फिल्मों में काम करने के बाद आज उन्हें दादा साहेब फाल्के अवॉर्ड से सम्मानित किए जाने की घोषणा की गई है। केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने एक पोस्ट के जरिए एलान किया कि मिथुन चक्रवर्ती को 70वें नेशनल फिल्म अवॉर्ड में दादा साहेब फाल्के अवॉर्ड से सम्मानित किया जाएगा, जो 8 अक्टूबर को दिल्ली में होस्ट होगा।
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