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एमएम कीरावानी (MM Keeravani)

RRR Song Naatu Naatu Music Composer MM Keeravani आरआरआर के सॉन्ग नाटू-नाटू के म्यूजिक कंपोजर एमएम कीरावानी पर पूरी दुनिया की नजरें टिकी हुई हैं। म्यूजिशियन कई अंतरराष्ट्रीय अवॉर्ड जीतने के बाद अब ऑस्कर 2023 में भी जीत हासिल कर चुके हैं।

By Vaishali ChandraEdited By: Vaishali ChandraUpdated: Mon, 13 Mar 2023 12:33 PM (IST)
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RRR Song Naatu Naatu Music Composer MM Keeravani, Instagram
साउथ फिल्म इंडस्ट्री के म्यूजिक कंपोजर एमएम कीरावानी पर पूरी दुनिया की नजरें टिकी हुई हैं। फिल्म आरआरआर का गाना नाटू-नाटू इस साल ऑस्कर में बेस्ट ओरिजिनल सॉन्ग की कैटेगरी में जीत हासिल कर चुका है, जिसे कीरावानी ने कंपोज किया है।

नाटू-नाटू पहले ही गोल्डन ग्लोब और क्रिटिक्स च्वाइस अवॉर्ड जीत चुका है। इस मुकाबले में कीरावानी का सामना लेडी गागा और रिहाना जैसे इंटरनेशनल सिंगर्स के साथ था। इस लेख में एमएम कीरावानी के बारे में विस्तार से जानकारी।  

  • कौन हैं एमएम कीरावानी?

  • राजामौली और कीरावानी के बीच क्या रिश्ता है?

  • किसने बनाया एमएम कीरावानी का म्यूजिकल करियर?

  • पहली फिल्म से क्यों नहीं मिल पाई पहचान?

  • किस फिल्मकार ने दिलाई पहचान?

पूरा नाम: कोडुरी मारकाथमनी कीरावानी

जन्म तिथि: 4 जुलाई 1961

नागरिकता: भारतीय

पत्नी: एमएम श्रीवल्ली

बच्चे: काल भैरव (बड़े बेटे), श्री सिम्हा (छोटे बेटे)

पहली फिल्म: मनसु ममता

कौन हैं एमएम कीरावानी?

एमएम कीरावानी का पूरा नाम कोडुरी मारकाथमनी कीरावानी है। उनका जन्म 4 जुलाई 1961 को गीतकार और पटकथा लेखक कोडुरी शिव शक्ति दत्ता के घर हुआ था, जो आंध्र प्रदेश के पश्चिम-गोदावरी जिले के कोव्वुर के रहने वाले थे। कीरावानी के भाई का नाम कल्याणी मलिक है, जो खुद भी एक सिंगर और म्यूजिक डायरेक्टर हैं।

राजामौली और कीरावानी के बीच क्या रिश्ता है?

एसएस राजामौली उनके चचेरे भाई हैं। उनकी पत्नी एमएम श्रीवल्ली के बारे में बात करें तो वो एक लाइन प्रोड्यूसर हैं। एमएम कीरावानी के बेटे भी उनकी तरह संगीत से जुड़े हुए हैं। उनके बड़े बेटे का नाम काल भैरव है, जिन्होंने नाटू-नाटू गाने को अपनी आवाज दी है, जबकि छोटे बेटे का नाम श्री सिम्हा है।

किसने बनाया एमएम कीरावानी का म्यूजिकल करियर?

एमएम कीरावानी चार साल की छोटी उम्र से म्यूजिक से जुड़े हुए हैं। कीरावानी को संगीत की तरफ लाने का श्रेय उनके पिता को जाता है क्योंकि न चाहते हुए भी उन्होंने पिता की वजह से ही संगीत तैयार करना शुरू किया था।

पहली फिल्म से क्यों नहीं मिल पाई पहचान?

करियर की शुरुआत में कीरावानी ने संगीतकार के चक्रवर्ती और सी राजमणि के सहायक के रुप में काम किया था। उनकी पहली फिल्म 1989 में बनी थी, लेकिन वो कभी रिलीज नहीं हो पाई। हालांकि, पहली फिल्म खत्म करने से पहले ही उन्हें एक साथ 20 फिल्मों के प्रस्ताव मिल गए।

किस फिल्मकार ने दिलाई पहचान?

एमएम कीरावानी की बतौर म्यूजिक डायरेक्टर पहली तेलुगु फिल्म मनसु ममता (1990) थी, लेकिन पहचान उन्हें राम गोपाल वर्मा की तेलुगु थ्रिलर क्षण क्षणम से हासिल हुई। कीरावानी ने अपने म्यूजिकल करियर में तमिल, तेलुगु, मलयालम और हिंदी भाषा की कई फिल्मों में संगीत दिया।

किन हिंदी गानों ने कीरावानी को बॉलीवुड में दिलाई पहचान?

साउथ के साथ-साथ एमएम कीरावानी ने हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में भी यादगार संगीत तैयार किया। बॉलीवुड में उन्होंने तू मिले दिल खिले (क्रिमिनल), गली में आज चांद निकला (जख्म), चुप तुम रहो और जीवन क्या है (इस रात की सुबह नहीं), जादू है नशा है (जिस्म), कंगना रे और धीरे जलना (पहेली) जैसे कई सुपरहिट गाने दिए।

किन अवार्ड्स से नवाजा गए एमएम कीरावानी?

नाटू-नाटू के लिए एमएम कीरावानी पहले ही कई अंतरराष्ट्रीय अवॉर्ड अपने नाम कर चुके हैं। अब उनके ऑस्कर 2023 में अवॉर्ड जीतने की पूरी उम्मीद है। उनके जीते गए अवॉर्ड्स की बात करें तो साल 1997 में कीरावानी तेलुगु फिल्म अन्नामय्या के लिए सर्वश्रेष्ठ म्यूजिक डायरेक्टर का राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार जीत चुके हैं।

इसके अलावा वो अब तक आठ फिल्मफेयर अवॉर्ड, 11 आंध्र प्रदेश स्टेट नंदी अवॉर्ड और एक तमिल स्टेट फिल्म अवॉर्ड जीत चुके हैं। फिल्म बाहुबली के लिए कीरावानी सैटर्न अवॉर्ड के बेस्ट म्यूजिक कैटेगरी में नॉमिनेटेड भी हो चुके हैं।

नाटू-नाटू का संगीत तैयार करने में कितना समय लगा?

एमएम कीरावानी गाने नाटू-नाटू के लिए ऑस्कर अवॉर्ड्स 2023 में जीत हासिल कर चुके हैं। ऑस्कर 2023 में नॉमिनेशन मिलने के बाद उन्होंने दैनिक जागरण संग बातचीत में गाने के प्रोडक्शन को लेकर बात की थी। कीरावानी के अनुसार नाटू-नाटू को लिखने में सिर्फ एक दिन का समय लगा था, जबकि संगीत तैयार करने में सिर्फ आधे घंटे का समय लगा। गाने को प्रोग्राम करने और गाने में दो दिन और लगे। कुल चार दिन में नाटू-नाटू तैयार हो गया था।

गाने को जब अन्य भाषाओं में डब किया गया तो ध्यान रखा गया कि गीत का अर्थ न बदले। गाने भले ही कम समय में तैयार हो गया हो, लेकिन इसे फिल्म में लेने का निर्णय लेने में छह महीने लग गए क्योंकि निर्देशक के पास चार-पांच विकल्प थे।