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इस गाने पर फूट-फूट रो पड़े थे Mohammed Rafi, दिलचस्प हैं सुरों के सरताज से जुड़े ये किस्से

Mohammed Rafi Birth Anniversary 2023 हिंदी सिनेमा के दिग्गज सिंगर्स के बारे में जिक्र किया जाए तो उसमें मोहम्मद रफी का नाम जरूर शामिल होगा। 24 दिसंबर को उनकी 99वीं बर्थ एनिवर्सरी मनाई जाएगी। बेशक सुरों के सरताज आज हमारे बीच नहीं हैं लेकिन उनकी जिंदगी से जुड़े कई ऐसे दिलचस्प किस्से मौजूद हैं जिन्हें जानकर आपको भी काफी हैरानी होगी।

By Ashish RajendraEdited By: Ashish RajendraUpdated: Fri, 22 Dec 2023 09:00 PM (IST)
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मोहम्मद रफी से जुड़े ये किस्से जरूर पढ़ें- (Photo Credit-Jagran)
एंटरटेनमेंट डेस्क, नई दिल्ली। मोहम्मद रफी सिंगिंग की दुनिया का वो नाम थे, जिन्हें हिंदी सिनेमा के सिंगर के रूप में एक नायाब हीरा माना जाता है। 24 दिसंबर वो तारीख है, जब मोहम्मद रफी साहब का जन्म हुआ था। ऐसे आने वाले दिनों में इस दिग्गज गायक की 99वीं बर्थ एनिवर्सरी मनाई जाएगी।

अपनी मधुर आवाज के दम पर मोहम्मद रफी ने कई शानदार गानों को अमर कर दिया। ऐसे में आज उनके जीवन से जुड़े कुछ दिलचस्प किस्सों पर एक नजर डाली जाएगी।

विभिन्न भाषाओं में मोहम्मद रफी ने गाए गाने

बतौर गायक मोहम्मद रफी ने अपनी करियर की शुरुआत साल 1946 में आई फिल्म 'अनमोल घड़ी' के 'तेरा खिलौना टूटा' गाने के साथ की थी। पहले ही गाने में इस दिग्गज फनकार ने ये साबित कर दिया कि गायकी का हुनर उनमें कूट-कूट कर भरा है। इसके बाद हजारों गानों को गाया।

जिनमें विभन्न भाषाओं के सॉन्ग शामिल हैं। इस दौरान उन्होंने हिंदी, इंग्लिश, बंगाली, डच, स्पेशनिश, मराठी और पारसी जैसी 11 अलग-अलग भाषा के शानदार गीत शामिल हैं। मनोरमा ऑनलाइन के मुताबिक रफी साहब ने 7405 हजार गाने गाए थे।

किशोर कुमार के लिए गाए कई सॉन्ग

जिस तरह से मोहम्मद रफी हिंदी सिनेमा के लीजेंड सिंगर रहे, ठीक उसी तरह एक गायक के तौर पर किशोर कुमार को भी वही दर्जा प्राप्त था। लेकिन खास बात ये है कि रफी साहब ने किशोर कुमार के लिए भी कई फिल्मों के गानों में आवाज दी है।

इस दौरान मोहम्मद रफी ने किशोर की 'रागिनी और बड़े सरकार' जैसी कई मशहूर फिल्मों के गानों को गाया। कहा ये भी जाता है कि मोहम्मद रफी और किशोर कुमार में काफी गहरी दोस्ती भी थी और अपनी दोस्ती के खातिर उन्होंने इन फिल्मों के गीतों को अपनी आवाज दी।

मोहम्मद रफी को मिले ये पुरस्कार

गायकी के क्षेत्र में मोहम्मद रफी ने अपनी करिश्माई आवाज के दम पर जमकर सफलता हासिल की। इसका इनाम उनको कई बड़े पुरस्कार के रूप में मिला। साल 1977 में फिल्म 'हम किसी से कम नहीं' के पॉपुलर सॉन्ग 'क्या हुआ तेरा वादा' के लिए मोहम्मद रफी को राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार मिला।

इतना ही नहीं अपने करियर में 'चौदहवी का चांद और तेरी प्यारी प्यारी सूरत' जैसे गानों के लिए अलग-अलग साल में कुल 6 फिल्मफेयर अवॉर्ड्स से भी उन्हें नवाजा गया। इसके अलावा साल 1967 में मोहम्मद रफी साहब को भारत सरकार की तरफ से उनकी गायकी की जादुगरी को देखते हुए पद्मश्री पुरस्कार भी दिया गया।

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इस गाने को गाते वक्त रो दिए मोहम्मद रफी

मोहम्मद रफी के लिए गायिकी सिर्फ उनका शौक नहीं था, बल्कि वह इसे अपने दिल और आत्मा के साथ फॉलो करते थे। कहा जाता है कि मोहम्मद रफी बहुत कम बार अपने इमोशन दिखाते थे। लेकिन एक बार ऐसा हुआ जब वह अपनी भावनाओं पर काबू नहीं कर पाए। दरअसल साल 1968 में एक्टर मनोज कुमार की फिल्म 'नील कमल' आई और इस मूवी में रफी जी ने 'बाबुल की दुआं लेती जा' गाना गाया।

बताया जाता है कि इस गाने को गाते वक्त मोहम्मद रफी खूब रोए। इसके पीछे की वजह ये रही की इस गाने की रिकॉर्डिंग से एक दिन पहले उनकी बेटी की सगाई हुई थी और कुछ दिन बाद उसकी शादी होनी थी। ऐसे में एक पिता के तौर पर इस सॉन्ग को रिकॉर्ड करते वक्त मोहम्मद रफी की भावनाओं का समंदर उमड़ा पड़ा। सिंगर के इस गाने को आज भी फैंस सुनना पसंद करते हैं।

इन एक्टर के लिए गाए सबसे अधिक गाने

अपने सिंगिंग करियर के दौरान मोहम्मद रफी ने सबसे ज्यादा गाने दिग्गज कलाकार शम्मी कपूर के लिए गाए, जिनकी संख्या 190 थी। जॉनी वॉकर साहब के लिए 129, शशि कपूर 100, देवआनंद 77 और दिलीप कुमार के लिए करीब 47 गानों को मोहम्मद रफी ने अपनी मधुर आवाज दी। इन अभिनेताओं पर फिल्माए गए रफी साहब के गाने फैंस के दिलों में आज भी बसे हुए हैं।

सड़कों पर उतर आए 10 हजार लोग

सरल और सहज स्वभाव वाले मोहम्मद रफी ने 31 जुलाई 1980 को इस दुनिया को अलविदा कह दिया था। उनके निधन से हिंदी सिनेमा में सर्वश्रेष्ठ गायकी के युग का अंत हो गया। 1946 से लेकर 1980 तक बतौर गायक रफी साहब एक्टिव रहे। 55 साल की उम्र में दिल की धड़कन रुकने की वजह से मोहम्मद रफी का देहांत हो गया।

रमजान के पावन महीने में इस लीजेंड सिंगर की मौत ने हर किसी को झकझोर के रख दिया। बताया जाता है कि उस दौरान उनकी अंतिम यात्रा में शामिल होने के लिए मुंबई की भारी बारिश के बीच 10 हजार सड़कों पर उतर आए थे और सुरों के फनकार को अंतिम विदाई थी।

मौत से कुछ घंटे पहले इस फिल्म के लिए गाए गाने

अपने निधन से कुछ घंटे पहले भी मोहम्मद रफी ने गायकी की छाप छोड़ी। धर्मेंद्र और हेमा मालिनी की फिल्म 'आस-पास' के लिए मोहम्मद रफी ने अंतिम बार गाने रिकॉर्ड किए थे। कहा जाता है कि रफी साहब ने इस फिल्म के ''शाम तू क्यों उदास है,दोस्त तू कहीं आस-पास है'' गाने को आखिरी बार गाया था।

अपने आखिरी गीत की रिकॉर्डिंग के कुछ घंटे बाद ही मोहम्मद रफी का निधन हो गया और सुरों के सरताज हम सबको छोड़कर हमेशा-हमेशा के लिए इस दुनिया से चले गए।

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