Move to Jagran APP

ऑस्कर तक पहुंचने वाली पहली भारतीय फ़िल्म 'मदर इंडिया' की क्यों आई याद, पढ़िए विस्तार से

यह फ़िल्म आज भी बॉक्स ऑफिस ही नहीं लोगों के दिलों के नज़रिए से भी एक हिट भारतीय फ़िल्मों में गिनी जाती है।

By Hirendra JEdited By: Updated: Fri, 26 Oct 2018 06:18 AM (IST)
Hero Image
ऑस्कर तक पहुंचने वाली पहली भारतीय फ़िल्म 'मदर इंडिया' की क्यों आई याद, पढ़िए विस्तार से
मुंबई। भारतीय सिनेमा के इतिहास में 'मदर इंडिया' एक माइलस्टोन फ़िल्म मानी जाती है। कल यानी 25 अक्टूबर को इस फ़िल्म को बड़े पर्दे पर रिलीज़ हुए 61 साल पूरे हो रहे हैं। इन 61 वर्षों में बहुत कुछ बदल गया है लेकिन, 'मदर इंडिया' के लिए फ़िल्म दर्शकों की दीवानगी नहीं बदली।  

महबूब ख़ान द्वारा लिखित और निर्देशित 'मदर इंडिया' में नर्गिस, सुनील दत्त, राजेंद्र कुमार और राज कुमार ने मुख्य भूमिका निभाई थी। 1957 में आई महबूब ख़ान डायरेक्टिड 'मदर इंडिया' हिंदी सिनेमा की कल्ट क्लासिक फ़िल्मों में शामिल है। ऑस्कर अवॉर्ड तक पहुंची इस फ़िल्म में राज कुमार और नर्गिस किसान के रोल में थे, जबकि बेटों के रोल सुनील दत्त और राजेंद्र कुमार ने निभाए थे। फ़िल्म में किसानों की ग़रीबी, भुखमरी और ज़मींदारों के ज़ुल्म को दिखाया गया था।

यह भी पढ़ें: क्रिकेट के मैदान में जमकर पसीना बहाते दिखे सैफ़ अली ख़ान के बेटे इब्राहिम, देखें तस्वीरें

'मदर इंडिया' 1940 में आई फ़िल्म 'औरत' का रीमेक है। 'मदर इंडिया' गरीबी से पीड़ित गांव में रहने वाली औरत राधा और उसके बच्चों की कहानी है। राधा कई मुश्किलों का सामना करते हुए अपने बच्चों की परवरिश करती है। दुष्ट जागीरदार सुखी लाला से खुद को बचाते हुए मेहनत करती है।

'मदर इंडिया' में यादगार किरदारों, दृश्यों और गीतों की एक लंबी श्रृंखला है, लेकिन जो दृश्य इस फ़िल्म का प्रतीक बन गया है, वह है बैल की जगह स्वयं हल खींचकर अपना खेत जोतती राधा यानी नर्गिस का।

फ़िल्म में तमाम नाटकीय मोड़ आते हैं और अंत में राधा अपने प्यार से भी प्यारे बेटे और जिगर के टुकड़े को जिसे जतन से पाल-पोस कर बड़ा किया न्याय के लिए उसे गोली मार देती है। 

यह फ़िल्म आज भी बॉक्स ऑफिस ही नहीं लोगों के दिलों के नज़रिए से भी एक हिट भारतीय फ़िल्मों में गिनी जाती है। इसे 1958 में राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार से नवाज़ा गया था।