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मूवी रिव्यू- श्री (ढाई स्टार)

इन दिनों बड़ी फिल्मों की कहानी में नयापन नहीं देखने को मिलता। साथ ही उनमें कलाकार भी बड़े यानी स्टार्स होते हैं। फिल्मकार भी फिल्मी परिवारों से या फिर उनके करीब के होते हैं। फिल्म इस वजह से बड़ी बन जाती है, लेकिन ज्यादातर ऐसी फिल्मों को देखकर दर्शक ठगे से महसूस करते हैं। जो फिल्मकार फिल्मी परिवारों से नहीं होते

By Edited By: Updated: Fri, 26 Apr 2013 04:03 PM (IST)
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नई दिल्ली। इन दिनों बड़ी फिल्मों की कहानी में नयापन नहीं देखने को मिलता। साथ ही उनमें कलाकार भी बड़े यानी स्टार्स होते हैं। फिल्मकार भी फिल्मी परिवारों से या फिर उनके करीब के होते हैं। फिल्म इस वजह से बड़ी बन जाती है, लेकिन ज्यादातर ऐसी फिल्मों को देखकर दर्शक ठगे से महसूस करते हैं। जो फिल्मकार फिल्मी परिवारों से नहीं होते हैं और नए होते हैं, उनकी फिल्मों में नयापन और कहानी भी अलग देखने को मिलती है। निर्देशक राजीव बच्चानी की फिल्म 'श्री' भी अच्छी कहानी लोगों के सामने पेश करती है। दर्शक इस फिल्म को देखते हुए कहीं नहीं भटकेंगे और अंत जानने के लिए रोमांचित रहेंगे।

फिल्म की कहानी विज्ञान पर आधारित है। उसके आधार पर एक वक्त ऐसा आता है जब समय टूटता है। इस टूटन के बीच जो लोग जन्म लेते हैं, वे एक्स्ट्रा पॉवर वाले होते हैं। दुनिया में ऐसे नौ लोग ही हैं, जिनमें से एक है श्रीधर उपाध्याय यानी हुसैन। श्री एक बैंक में एकाउंटेंट की नौकरी करता है और अपनी पत्‍‌नी सोनू यानी अंजलि पाटिल के साथ जिंदगी साधारण तरीके से गुजारता है। इसी बीच कुछ लोगों का एक समूह हुसैन के करीब आता है और श्री के सामने ऑफर देता है बारह घंटे में बीस लाख रुपये कमाने का। फिर आगे बढ़ती है रहस्य और रोमांच से भरी कहानी, जिसमें हर व्यक्ति दूसरे को निशाना बनाने के लिए प्लान बनाता है और इसी क्रम के साथ कहानी अपने अंजाम तक पहुंचती है। अंत में सारे भेद खुल जाते हैं।

अभिनय की बात की जाए, तो हुसैन को फिल्मों में अच्छा अवसर मिला, लेकिन वे छोटे पर्दे की अपनी इमेज को यहां भी ढोते नजर आए। दूसरे कलाकारों में तिलक की भूमिका निभाने वाले के. सी. शंकर, इंस्पेक्टर गणपत बने परेश जनात्रा, सोनू की भूमिका में अंजलि पाटिल, शीना की भूमिका में शिवानी टसकले और जयराज रंधावा की भूमिका में रिओ कापडिया ने ठीकठाक छाप छोड़ी है। गीत-संगीत फिल्म में अहम भूमिका नहीं निभाते, फिर भी बैकग्राउंड स्कोर अच्छा है। राजीव बच्चानी की यह पहली फिल्म है, इससे पहले वे टीवी के लिए काफी काम कर चुके हैं। बहरहाल राजीव ने फिल्म में कहीं कोई ऐसा सीन नहीं रखा है, जिससे कहानी ढीली लगे। अगर वे इस फिल्म में कुछ बड़े कलाकार रखते, तो फिल्म का रुतबा कमाल का होता।

निर्माता - विक्रम एम शाह

निर्देशक - राजीव बच्चानी

संगीत - तलाश बैंड

गीत - राजीव बच्चानी

कलाकार - हुसैन कुआजरवाला, अंजलि पाटिल, परेश जनात्रा, शिवानी टसकले, के सी शंकर और रिओ कापडिया।

अवधि - 112 मिनट

ढाई स्टार

-रतन

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