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Nana Patekar Birthday: 'आ गये मेरी मौत का...', रोंगटे खड़े कर देते हैं नाना के ये संवाद, यादगार हैं किरदार

Nana Patekar Birthday नाना पाटेकर ने अपने करियर में कई ऐसे किरदार निभाये हैं जो सिस्टम के खिलाफ एग्रेशन को दिखाते हैं। मगर वेलकम जैसी फिल्मों के लिए नाना ने अपनी ह्यूमरस साइड भी दिखाई। नाना की फिल्मोग्राफी में हर तरह की फिल्में शामिल हैं। एक्शन के साथ सोशल ड्रामा और कॉमेडी में उन्होंने अभिनय के रंग दिखाये हैं। नाना के अभिनय का सशक्त पक्ष उनकी संवाद अदायदगी रही है।

By Jagran News Edited By: Manoj Vashisth Updated: Mon, 01 Jan 2024 01:11 PM (IST)
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नाना पाटेकर के यादगार संवाद। फोटो- स्क्रीनशॉट/यू-ट्यूब

एंटरटेनमेंट डेस्क, नई दिल्ली। Nana Patekar Birthday: पर्दे पर जब कोई अभिनेता किरदार निभाता है तो वो किरदार उसकी पहचान बन जाता है, मगर कुछ अभिनेता ऐसे होते हैं, जो हर नये किरदार के साथ पहचान बदल लेते हैं। नाना पाटेकर ऐसे ही कलाकारों में शामिल हैं, जो अपनी फिल्मों और किरदारों को कभी ओवरलैप नहीं होने देते।

तीन नेशनल अवॉर्ड जीत चुके नाना मुख्य रूप से उग्र किरदार निभाने के लिए जाने जाते हैं। हालांकि, कॉमेडी जैसे जॉनर में भी नाना ने बेहतरीन काम किया है। उन्होंने 1978 में आई फिल्म गमन से करियर शुरू किया था, जिसमें सहायक भूमिका में थे।

मुजफ्फर अली निर्देशत फिल्म में फारुख शेख और स्मिता पाटिल मुख्य भूमिकाओं में थे। फिल्मों में आने से पहले नाना मराठी थिएटर में सक्रिय थे।

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नाना ने करियर की शुरुआत में ऐसे कई किरदार निभाये थे, जिनमें सिस्टम के प्रति गुस्सा हो और इन किरदारों में उनकी परफॉर्मेंस कमाल की रही।

1986 की फिल्म अंकुश नाना की पहली फिल्म है, जिसने उनके अभिनय को व्यापक स्तर पर पहचान दिलवाई। 1990 में आई परिंदा, 1991 की प्रहार, 1992 में आई अंगार, 1994 की क्रांतिवीर, 1996 में आई खामोशी और 2005 की अपहरण ऐसी कुछ फिल्में हैं, जिनमें नाना पाटेकर की अदाकारी देखने लायक है।

2007 में आई वेलकम में नाना पाटेकर के अभिनय का नया पक्ष सामने आया, जब उन्होंने कॉमेडी में हाथ आजमाया। फिल्म में नाना ने डॉन उदय शेट्टी का किरदार निभाया था। अनिल कपूर उनके भाई मजनू के किरदार में थे। दोनों कटरीना कैफ के भाई बने थे, जो बहन के लिए एक शरीफ लड़का ढूंढ रहे हैं।

इस किरदार में नाना ने अनिल के साथ मिलकर ऐसा रंह जमाया कि आज भी उनके दृश्य मीम्स में इस्तेमाल होते हैं। फिल्म में अक्षय कुमार लीड रोल में थे, जबकि परेश रावल ने अक्षय के मामा का किरदार निभाया था। 

नाना की पिछली रिलीज फिल्म द वैक्सीन वार है, जिसे विवेक अग्निहोत्री ने निर्देशित किया था। फिलहाल वो अनिल शर्मा की अगली फिल्म जर्नी की शूटिंग कर रहे हैं। नाना की अदाकारी का सबसे मजबूत पक्ष उनकी डायलॉग डिलीवरी भी रही है। उनके कुछ संवाद कभी पुराने नहीं पड़े। ऐसे ही कुछ संवादों पर नजर।

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क्रांतिवीर (1994)

फिल्म के क्लाइमैक्स में बोला गया ये मोनोलॉग काफी लम्बा है, जिसे सुनकर आज भी रोंगटे खड़े हो जाते हैं। क्रांतिवीर का निर्देशन मेहुल कुमार ने किया था। इस फिल्म में डिम्पल कपाड़िया, अतुल अग्निहोत्री और ममता कुलकर्णी ने प्रमुख किरदार निभाये थे।

आ गए मेरी मौत का तमाशा देखने अब मुझे लटका देंगे, जुबान ऐसे बाहर आएगी, आंखें बहार आएंगी, थोड़ी देर लटकता रहूंगा, फिर ये मेरा भाई मुझे नीचे उतारेगा.. फिर आप चर्चा करते घर चले जाओगे, खाना खाओगे सो जाओगे...।

यशवन्त (1997)

अनिल मट्टो निर्देशित फिल्म में नाना ने पुलिस अफसर का रोल निभाया था।

एक मच्छर, साला एक मच्छर इंसान को आदमी से हिजड़ा बना देता है। एक खटमल पूरी रात को अपाहिज कर देता है। सुबह घर से निकलो, भीड का एक हिस्सा बनो। शाम को घर जाओ, दारू पियो और बच्चे पैदा करो।

परिंदा (1989)

विधु विनोद चोपड़ा निर्देशित परिंदा में नाना ने गैंगस्टर का किरदार निभाया था। फिल्म में जैकी श्रॉफ, अनिल कपूर और माधुरी दीक्षित मुख्य किरदारों में थे।

धंधा किशन, धंधे में कोई किसी का भाई नहीं होता।

अब तक छप्पन (2004)

शिमित अमीन निर्देशित अब तक छप्पन गैंगस्टर क्राइम ड्रामा है, जिसमें नाना पाटेकर ने एनकाउंटर स्पेशलिस्ट का किरदार निभाया था।

एक पुलिस इंस्पेक्टर ज्वाइंट कमिश्नर के साथ क्या बहस करेगा? उनको भी कोई बड़ा साहब बोला होगा, हम सब सिस्टम का हिस्सा हैं। सिस्टम डिसाइड करता है अपुन फॉलो करता है।

वेलकम (2007)

इस कॉमेडी फिल्म में नाना ने डॉन उदय शेट्टी का रोल निभाया था।

भगवान का दिया सब कुछ है। दौलत है, शोहरत है, इज्जत है।

गुलाम-ए-मुस्तफा (1997)

पार्थो घोष निर्देशित फिल्म में नाना ने मुस्तफा नाम के गैंगस्टर का किरदार निभाया था। रवीना टंडन फीमेल लीड में थीं।

जान मत मांगना, इसकी बाजार में कोई कीमत नहीं है।