बर्थडे: राज्यसभा जाने और पद्मश्री समेत फ़िल्मफेयर अवार्ड पाने वाली पहली अभिनेत्री थीं नरगिस
संजय दत्त के जीवन पर एक फ़िल्म ‘संजू’ भी अब रिलीज़ हो रही है। जिसमें संजय दत्त का किरदार रणबीर कपूर ने किया है तो नरगिस के किरदार में मनीषा कोइराला हैं।
By Hirendra JEdited By: Updated: Fri, 01 Jun 2018 11:16 AM (IST)
मुंबई। 1 जून को नरगिस का जन्मदिन हैं। हिंदी सिनेमा को शुरूआती दौर में जिन अभिनेत्रियों ने एक अलग उंचाई दी है उनमें एक नाम उस दौर की खूबसूरत एक्ट्रेस नरगिस का भी है। क्या आप जानते हैं नरगिस राज्यसभा के लिए नॉमिनेट होने और पद्मश्री पुरस्कार पाने वाली पहली हीरोइन थीं।
नरगिस के अभिनय का जादू कुछ ऐसा था कि साल 1968 में जब बेस्ट एक्ट्रेस के लिए पहले फ़िल्मफेयर अवॉर्ड देने की बारी आई तो उन्हें ही चुना गया। आइये जानते हैं इस कमाल की अभिनेत्री के बारे में और भी कुछ दिलचस्प बातें..बेबी नरगिस के नाम से हुईं मशहूर
नरगिस के बचपन का नाम फातिमा राशिद था। उनका जन्म 1 जून 1929 को पश्चिम बंगाल के कलकत्ता शहर में हुआ था। नरगिस के पिता उत्तमचंद मोहनदास एक जाने-माने डॉक्टर थे। उनकी मां जद्दनबाई मशहूर नर्तक और गायिका थी। मां के सहयोग से ही नरगिस फ़िल्मों से जुड़ीं और उनके कैरियर की शुरुआत हुई फ़िल्म 'तलाश-ए-हक' से। जिसमें उन्होंने बतौर चाइल्ड आर्टिस्ट काम किया। उस समय उनकी उम्र महज 6 साल की थी। इस फ़िल्म के बाद वो बेबी नरगिस के नाम से मशहूर हो गयीं। इसके बाद उन्होंने कई फ़िल्में की।
राजकपूर से बढ़ी नजदीकियां
1940 से लेकर 1950 के बीच नरगिस ने कई बड़ी फ़िल्मों में काम किया। जैसे ‘बरसात’, ‘आवारा’, ‘दीदार’ और ‘श्री 420’। तब राज कपूर का दौर था। नरगिस ने राज कपूर के साथ 16 फ़िल्में की और ज़्यादातर फ़िल्में सफल साबित हुईं। इस बीच दोनों में नजदीकियां भी बढ़ने लगीं और दोनों को एक दूसरे से प्यार हो गया और दोनों ने शादी करने का मन भी बना लिया। लेखिका मधु जैन की किताब 'द कपूर्स' के मुताबिक – "जब बरसात बन रही थी, नरगिस पूरी तरह से राज कपूर के लिए समर्पित हो चुकी थीं। यहां तक कि जब स्टूडियो में पैसे की कमी हुई तो नरगिस ने अपनी सोने की चूड़ियां तक बेचीं। उन्होंने दूसरे निर्माताओं की फ़िल्मों में काम करके आर.के फ़िल्म्स की खाली तिजोरी को भरने का काम किया।"राजकपूर से ब्रेक-अप
समय अपनी रफ़्तार से बढ़ रहा था। राजकपूर जब 1954 में मॉस्को गए तो अपने साथ नरगिस को भी ले गए। कहते हैं यहीं दोनों के बीच कुछ ग़लतफ़हमी हुई और दोनों के बीच इगो की तकरार इतनी बढ़ी कि वह यात्रा अधूरी छोड़कर नरगिस इंडिया लौट आईं। 1956 में आई फ़िल्म 'चोरी चोरी' नरगिस और राजकपूर की जोड़ी वाली अंतिम फ़िल्म थी। हालांकि वादे के मुताबिक राजकपूर की फ़िल्म 'जागते रहो' में भी नरगिस ने अतिथि कलाकार की भूमिका निभाई थी। यहां से दोनों के रास्ते बदल गए। दोनों के बीच कितना गहरा रिश्ता था इस बारे में ऋषि कपूर ने अपनी किताब 'खुल्लम खुल्ला ऋषि कपूर uncensored' में भी विस्तार से लिखा है।
सुनील दत्त से प्यार और शादी राज कपूर से अलग होने के ठीक एक साल बाद नरगिस ने 1957 में महबूब ख़ान की 'मदर इंडिया' की शूटिंग शुरू की। मदर इंडिया की शूटिंग के दौरान सेट पर आग लग गई। सुनील दत्त ने अपनी जान पर खेलकर नरगिस को बचाया और दोनों में प्यार हो गया। मार्च 1958 में दोनों की शादी हो गई। दोनों के तीन बच्चे हुए, संजय, प्रिया और नम्रता। अपनी किताब 'द ट्रू लव स्टोरी ऑफ़ नरगिस एंड सुनील दत्त' में नरगिस कहती हैं कि राजकपूर से अलग होने के बाद वो आत्महत्या करने के बारे में सोचने लगी थीं। लेकिन, उन्हें सुनील दत्त मिल गए। जिन्होंने उन्हें संभाल लिया। नरगिस कहती हैं कि उन्होंने अपने और राज कपूर के बारे में सुनील दत्त को सब-कुछ बता दिया था। सुनील दत्त पर नरगिस को काफी भरोसा था और दुनिया जानती है यह जोड़ी ताउम्र साथ रही।
सोशल सर्विस नरगिस एक अभिनेत्री से ज्यादा एक समाज सेविका थीं। उन्होंने असहाय बच्चों के लिए काफी काम किया। उन्होंने सुनील दत्त के साथ मिलकर 'अजंता कला सांस्कृतिक दल' बनाया जिसमें तब के नामी कलाकार-गायक सरहदों पर जा कर तैनात सैनिकों का हौसला बढ़ाते थे और उनका मनोरंजन करते थे। गौरतलब है कि कैंसर जैसी गम्भीर बीमारी से जूझते हुए नरगिस कोमा में चली गयीं। 3 मई 1981 को मुंबई में उनका निधन हुआ। बता दें कि जिस दिन नरगिस की मौत हुई उसके एक सप्ताह बाद ही संजय दत्त की पहली फ़िल्म 'रॉकी' रिलीज़ हुई थी।
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बहरहाल, आप जानते ही हैं कि संजय दत्त के जीवन पर एक फ़िल्म ‘संजू’ भी अब रिलीज़ हो रही है। जिसमें संजय दत्त का किरदार रणबीर कपूर ने किया है तो नरगिस के किरदार में मनीषा कोइराला हैं।यह भी पढ़ें: जब संजय दत्त को फिल्म इंडस्ट्री ने बैन कर दिया था...ये थी वजह