ओम पुरी की जेब में नहीं थी फूटी कौड़ी, Naseeruddin Shah की वजह से बन पाये एक्टर
दोस्ती जिंदगी का वह अहम रिश्ता है जो सबसे खास माना जाता है। अभिनेता नसीरुद्दीन शाह (Naseeruddin Shah) और ओम पुरी (Om Puri) के मामले में भी ये बात कही जा सकती है। दोनों ने एक साथ मिलकर फर्श से लेकर अर्श तक का सफर तय किया था। लेकिन क्या आप जानते हैं कि ओम साहब के फिल्म कलाकार बनने में नसीर जी ने अहम भूमिका निभाई है।
एंटरटेनमेंट डेस्क, नई दिल्ली। साल 1973 फिल्म जंजीर अभिनेता थे अमिताभ बच्चन और दूसरी तरफ प्राण। फिल्म खूब चली, लेकिन उससे कहीं ज्यादा पॉपुलर हुआ इसका गाना ''यारी है ईमान मेरा, यार मेरी जिंदगी''। असल जिंदगी में इस गीत का मजबूत उदाहरण अभिनेता नसीरूद्दीन शाह (Naseeruddin Shah) और ओम पुरी ने पेश किया था। बेशक ओम आज इस दुनिया में नहीं हैं, लेकिन नसीर साहब संग उनके दोस्ताने के किस्से जगजाहिर हैं। एक ऐसा ही रोचक वाकया हम आपको बताने जा रहे हैं।
नसीरूद्दीन की वजह से ओम पुरी बने एक्टर
आंखों में बड़े-बड़े सपने लिए ओम पुरी और नसीरुद्दीन शाह दिल्ली के नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा में एक साथ पढ़े थे। 3 साल के कोर्स के दौरान इन दोनों की दोस्ती गहरी होती चली गई और बाद में नसीर और ओम ने करीब दो साल पुणे फिल्म सस्थांन से एक्टिंग की पढ़ाई की। ये भी पढ़ें- सेंसर बोर्ड ने दी थी Tridev को बैन करने की धमकी, 'ओये-ओये' गाने का इन फिल्मों में बना रीमेक
इसको मामले को एक बार द अनुपम खेर शो पर ओम पुरी ने खुलकर बात की थी। उन्होंने बताया है- देखिए मैं नसीरुद्दीन साहब का काफी ऋणी हूं। बेशक मेरे मेंटर कोई भी रहे हों, लेकिन सही मायने में अभिनेता बनने के लिए इन्होंने ही मुझे आगे बढ़ाया है। अगर ये मेरे पीछे न खड़े होते तो शायद मैं आज यहां नहीं होता।
पुणे आने के लिए मेरे पास फूटी कौड़ी नहीं थी। इन्होंने मुझसे कहा कुछ भी करो, भीख मांगो, लेकिन यहां आओ। नसीर जी ने मुझे रहने का सहारा दिया और मेरी हर संभव मदद की। जिसके चलते मैं आज ओम पुरी बन पाया। इस तरह से नसीरुद्दीन ने ओम पुरी को लेकर सच्ची दोस्ती की मिसाल कायम की।