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Naushad Ali Death Anniversary: नौशाद के सदाबहार नगमे, जिन्होंने बदल दिया हिंदी सिनेमा का नजरिया

Naushad Ali Death Anniversary नौशाद अली हिंदी सिनेमा जगत के दिग्गज संगीतकारों में गिने जाते हैं। पाकीजा से लेकर मुगल-ए-आजम तक उन्होंने कही कल्ट फिल्मों का संगीत तैयार किया। उनके कंपोज किए हुए गाने आज भी खूब पसंद किए जाते हैं।

By Vaishali ChandraEdited By: Vaishali ChandraUpdated: Thu, 04 May 2023 10:14 PM (IST)
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Veteran Musician Naushad Ali Death Anniversary, Twitter
नई दिल्ली, जेएनएन। Naushad Ali Death Anniversary: हिंदी सिनेमा के दिग्गज संगीतकार नौशाद के नगमे आज भी सुनने वाले के दिल को छू जाते है। उन्होंने ही हिंदी सिनेमा को शास्त्रीय संगीत से रूबरू करवाया था, जिसके बाद भारतीय फिल्म संगीत उद्योग की काया पलट गई।

संगीतकार नौशाद अली ने हिंदी सिनेमा जगत को कई यादगार गाने दिए, जो आज भी सुनने वालों के दिल और दिमाग में बस जाते हैं। उन्होंने मुगल-ए-आजम, बैजू बावरा, शाहजहां, अंदाज, गंगा जमुना और मदर इंडिया जैसी कई सफल फिल्मों का संगीत तैयार किया। आइए जानते हैं नौशाद अली के कुछ ऐसे ही सदाबहार गानों के बारे में, जिन्हें सुनने वाला मंत्रमुग्ध हो जाता है...

सुहानी रात ढल चुकी (दुलारी, 1949)

इस गाने ने हिंदी फिल्म इंडस्ट्री को नौशाद और मोहम्मद रफी की शानदार जोड़ी से मिलवाया। दुलारी बॉक्स ऑफिस पर हिट साबित हुई और फिल्म की सफलता में इसके गानों ने बड़ा योगदान दिया।

प्यार किया तो डरना क्‍या (मुगल-ए-आजम, 1958)

गाने प्यार किया तो डरना क्‍या को तैयार करने का किस्सा बेहद दिलचस्प है। नौशाद ने मुगल-ए-आजम के इस गाने के लिए स्वर कोकिला लता मंगेशकर को चुना। गाने को नौशाद ने लता मंगेशकर से एक बाथरूम गवाया था।

नौशाद गाने में गूंज लाना चाहते थे, लेकिन उस वक्त तकनीकी इतनी आगे नहीं बड़ी थी कि साउंड इफेक्ट्स का इस्तेमाल किया जा सके तो, उन्होंने लगा मंगेशकर को एक बाथरूम में खड़ा कर दिया और वहीं गाने को रिकॉर्ड किया। नौशाद का आइडिया काम आया और गाना सुपरहिट हो गया। इस गाने का जादू आजतक बरकरार है।

आज गावत मन मेरो (बैजू बावरा, 1952)

बैजू बावरा ने बॉक्स ऑफिस पर सफलता के झंडे गाड़े। रिलीज के बाद पूरे 100 हफ्तों तक फिल्म थिएटर्स में चलती रही। फिल्म के लिए तैयार किए गए नौशाद के गाने मास्टरपीस है। आज गावत मन मेरो सबसे ज्यादा चर्चा बटोरने वाला गाना बना।  

नैन लड़ते हैं (गंगा जमुना, 1961)

नौशाद ने नैन लड़ते हैं के साथ लोक गीत को मेनस्ट्रीम सिनेमा के साथ जोड़ा। फिल्म ने देश और विदेश दोनों जगह सफलता बोटरी। गंगा जमुना को कल्ट फिल्म का स्टेटस भी मिला, जिसमें नैन लड़ते हैं की भी भागीदारी शामिल थी।

नजरिया की मारी (पाकीजा, 1972)

राज कुमार और मीना कुमारी स्टारर पाकीजा हिंदी सिनेमा की बेहतरीन फिल्मों में से एक है। फिल्म के गानों ने इस पीरियड ड्रामा को और खास बना दिया। पाकीजा के संगीत का ज्यादातर हिस्सा गुलाम मोहम्मद ने तैयार किया था, लेकिन बाद में गानों के अंतिम पड़ाव पर नौशाद लेकर गए। उन्होंने गानों को फाइनल टच देकर पूरा किया। इसके साथ ही ठुमरी को जोड़कर संगीत को और बेहतर बनाया।