पति को सपोर्ट करना Nirupa Roy को पड़ा था भारी, 20 साल तक पिता ने नहीं देखा था एक्ट्रेस का मुंह
हिंदी सिनेमा की दुखियारी मां के किरदार में पहचान हासिल करने वाली निरूपा रॉय (Nirupa Roy) ने कई दशकों तक फिल्मों में काम किया। लीड हीरोइन से सपोर्टिंग एक्ट्रेस तक हर किरदार में निरूपा ने जान फूंकी है। मगर क्या आप जानते हैं कि उनका फिल्मों में आने का कोई प्लान नहीं था। खुद एक इंटरव्यू में एक्ट्रेस ने बताया था कि उन्हें बाई चांस पहली फिल्म मिली थी।
एंटरटेनमेंट डेस्क, नई दिल्ली। एक ऐसी अदाकार जिनके घर में फिल्में देखना किसी जुर्म से कम नहीं था, वह संयोग से हिंदी सिनेमा का चेहरा बन गईं। हम बात कर रहे हैं दिग्गज अभिनेत्री निरूपा रॉय की। यूं तो उन्होंने कई फिल्मों में लीड रोल निभाए, लेकिन उन्हें पॉपुलैरिटी मां के किरदार से मिली। दीवार, अमर अकबर एंथनी, तीसरी आंख जैसी फिल्मों में उन्होंने अपने अभिनय से जान फूंक दी।
यही नहीं, बड़े पर्दे पर निरूपा रॉय सुपरमैन की भूमिका में भी नजर आ चुकी हैं। मगर शायद ही आपको पता हो कि चार फिल्मफेयर अवॉर्ड जीतने वालीं कोकिला किशोरचंद्र बुलसारा कैसे निरूपा रॉय बनीं। खुद एक्ट्रेस ने एक पुराने इंटरव्यू में इसको लेकर खुलासा किया था।
गुजरात के वलसाड में जन्मीं निरूपा रॉय ने एक इंटरव्यू में खुलासा किया था कि उनके घर में फिल्में देखने की अनुमति नहीं थी। पिता का मानना था कि मूवीज करप्टिंग इन्फ्लुएंस है। इसलिए उन्होंने अपने घर में कभी फिल्में नहीं देखीं, जब उनकी शादी कमल रॉय से हुई तो फिल्में देखने की ही नहीं बल्कि अभिनय करने का रास्ता भी खुल गया।
ऐसे मिली थी पहली फिल्म
1983 में फिल्मफेयर के साथ बातचीत में निरूपा रॉय ने फिल्मों में आने की दास्तां सुनाई थी। उन्होंने कहा था, "1946 में विष्णु कुमार व्यास ने अपनी गुजराती फिल्म रानक देवी के लिए नए कलाकारों के लिए विज्ञापन दिया। मेरे पति ने एक भूमिका के लिए आवेदन किया और मैं उनके साथ इंटरव्यू के लिए गई। उन्हें कोई भूमिका नहीं मिली, लेकिन मुझे बताया गया कि वे मुझे फिल्म की हीरोइन के रूप में लेंगे। श्री व्यास ने मुझे मेरा स्क्रीन नाम दिया- निरूपा रॉय।"
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