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Padma Vibhushan 2024: 'वह योग्य हैं...', Saira Banu ने पद्म विभूषण से सम्मानित होने पर Vyjayanthimala को दी बधाई

Padma Vibhushan Awards 2024 भारत सरकार ने गणतंत्र दिवस की पूर्व रात्रि में पद्म पुरस्कारों की घोषणा कर दी है। इस बार कला के क्षेत्र पद्म विभूषण अवॉर्ड वैजयंती माला और चिरंजीवी को दिया जाएगा। ऐसे में सायरा बानो ने वैजयंती माला को यह सम्मान पाने के लिए बधाई दी है। वह इस बात से काफी खुश हैं कि उन्हें यह सम्मान मिल रहा है।

By Rajshree VermaEdited By: Rajshree VermaUpdated: Fri, 26 Jan 2024 09:00 AM (IST)
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वैजयंती माला को पुरस्कार मिलने पर खुश हैं सायरा बानो (Photo Credit: Instagram)
एंटरटेनमेंट डेस्क, नई दिल्ली। Padma Vibhushan Awards 2024: भारत सरकार ने गुरुवार को पद्म पुरस्कारों की घोषणा कर दी है। मनोरंजन जगत में वैजयंती माला और चिरंजीवी को पद्म विभूषण के पुरस्कार से नवाजा जाएगा। वहीं, मिथुन चक्रवर्ती, दिवंगत साउथ एक्टर विजयकांत, म्यूजिक डायरेक्टर प्यारे लाल शर्मा और प्लेबैक सिंगर ऊषा उत्थुप को पद्म भूषण के लिए चुना गया है।

अब एक इंटरव्यू में वैजयंती माला बाली को पद्म विभूषण पुरस्कार 2024 से सम्मानित किए जाने पर सायरा बानो ने अनुभवी एक्ट्रेस को बधाई दी है। सायरा बानो ने वैजयंती माला को इस सम्मान की वास्तव में हकदार बताया हैं।

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वैजयंती माला को पुरस्कार मिलने पर खुश हैं सायरा बानो

सायरा बानो ने हाल ही में ई-टाइम्स से बात करते हुए कहा, 'मैं इससे बहुत खुश हूं। वह वास्तव में योग्य हैं। मैं उनकी फिल्में देखकर बड़ी हुई हूं और वह मेरे लिए 'अक्का' (बड़ी बहन) हैं'।

पुरानी यादों को किया ताजा

इसके साथ ही उन्होंने सितंबर 2023 में, पुरानी यादों यादों को ताजा करते हुए खुलासा किया था कि जब उन्होंने एक पत्रिका के कवर पर वैजयंती माला के साथ अपने दिवंगत पति दिलीप कुमार की तस्वीर देखी थी, तो उन्हें ईर्ष्या हुई थी। बता दें कि दोनों ने 1958 की रोमांटिक ड्रामा मधुमती में साथ काम किया था।

16 साल की उम्र में शुरू किया अभिनय

वैजयंती माला बाली भारतीय सिनेमा की बेहतरीन अभिनेत्रियों में से एक रही हैं। उन्होंने 16 साल की उम्र में तमिल फिल्म वाजकई (1949) से अपने अभिनय की शुरुआत की। उनकी पहली हिंदी फिल्म बहार थी, जो 1951 में रिलीज हुई थी। बाद में बाली ने 1950 और 1960 के दशक की कई फिल्मों में भी काम किया, जिनमें देवदास, नया दौर, आशा, साधना, गूंगा जमना, संगम और ज्वेल थीफ शामिल हैं। दिलचस्प बात यह है कि उन्हें साल 1968 में पद्मश्री से भी सम्मानित किया गया था।

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