Pankaj Udhas Death: जमींदार घराने के पंकज उधास की पहली कमाई थी सिर्फ 51 रुपये, बड़े भाई को देख बने गायक
गजल गायक Pankaj Udhas नहीं रहे। 72 साल की उम्र में गायक ने आखिरी सांस ली है। पंकज उधास के निधन से उनके चाहने वालों को गहरा सदमा लगा है। चिट्ठी आई है गाने से उन्होंने दुनिया भर में अपनी एक अलग पहचान बनाई थी। पंकज उधास ने राजकोट से मुंबई तक का सफर कैसे तय किया और कैसे वह सिनेमा के गजल बादशाह बन गए जानिए यहां।
एंटरटेनमेंट डेस्क, नई दिल्ली। Pankaj Udhas Death: करीब चार दशक तक अपनी जादुई आवाज से लाखों लोगों का दिल जीतने वाले गजल गायक पंकज उधास अब नहीं रहे। लम्बी बीमारी के बाद पंकज ने 72 साल की उम्र में आखिरी सांस ली। परिवार ने एक स्टेटमेंट जारी कर दुखद जानकारी साझा की है।
गजल की दुनिया में अपना सिक्का चलाने वाले पंकज उधास का निधन म्यूजिक इंडस्ट्री के लिए एक बड़ी क्षति है। उन्होंने करीब 36 सालों तक अपनी गायिकी से इंडस्ट्री को कई सदाबहार गाने दिए हैं। जमींदार परिवार से ताल्लुक रखने वाले पंकज उधास कैसे गायक बने, आइए आपको इसकी कहानी से रूबरू कराते हैं...
जमींदार थे पिता
17 मई 1951 को जेतपुर में जन्मे पंकज उधास एक जमींदार परिवार से ताल्लुक रखते थे। वह तीन भाइयों में सबसे छोटे थे। उनके बड़े भाई मनहर उधास (Manhar Udhas) सिनेमा जगत के जाने-माने गायक थे। उनके एक और भाई निर्मल उधास भी जाने-माने गजल गायक थे। पंकज उधास को अपने बड़े भाई मनहर से गायिकी में आने का चस्का लगा था।यह भी पढ़ें- Pankaj Udhas Death: नहीं रहे गजल गायक पंकज उधास, लम्बी बीमारी के बाद 72 साल की उम्र में निधन
पहली स्टेज परफॉर्मेंस से मिले 51 रुपये
जब मनहर एक स्टेज परफॉर्मर हुआ करते थे, तब पंकज सिर्फ पांच साल के थे। भाई को गाता देख, उन्हें भी गायक बनने की इच्छा जागी और फिर उनके पिता ने उन्हें भी म्यूजिक इंस्टीट्यूट में डाल दिया। साल 1962 में इंडो चाइना युद्ध के दौरान पंकज उधास ने अपना पहला स्टेज परफॉर्मेंस दिया था। उन्होंने गाया था 'ऐ मेरे वतन के लोगों'। पंकज के इस गाने को उस वक्त इतना पसंद किया गया कि लोगों ने उन्हें 51 रुपये भेंट किया था।
स्टेज परफॉर्मेंसेज के दौरान पंकज उधास अपने संगीत को और निखार देने के लिए संगीत नृत्य एकेडमी से तालीम भी हासिल कर रहे थे। वह यहां चार साल तक पढ़े। गायिकी के साथ-साथ पंकज उधास ने अपनी पढ़ाई भी पूरी की और कॉलेज प्रोग्राम में वह गाना भी गाया करते थे।
संघर्ष से हार चले गए थे कनाडा
पढ़ाई पूरी करने के बाद पंकज उधास ने जब बॉलीवुड में अपना करियर शुरू किया तो बड़े-बड़े धुरंधरों जैसे मोहम्मद रफी, किशोर कुमार और मुकेश पहले से ही इंडस्ट्री पर राज कर रहे थे। ऐसे में उन्हें अवसर नहीं मिल पा रहा था। जब प्लेबैक सिंगिंग में बात नहीं बनी तो पंकज उधास ने गजल में हाथ जमाया और उर्दू सीखी। कहा जाता है कि करीब चार साल तक गजल में संघर्ष से हार वह कनाडा में शिफ्ट हो गए थे। वहां कुछ स्टेज परफॉर्मेंस से कामयाबी मिली तो वह दोबारा भारत आए और फिर से जर्नी शुरू की। साल 1980 में पंकज उधास ने फिल्म आहट से बतौर गजल गायक अपना करियर शुरू किया था।संजय दत्त की फिल्म ने दिलाई पॉपुलैरिटी
पंकज उदास ने 6 साल तक कई गाने गए और नाम कमाया, लेकिन 1986 में आई फिल्म नाम से उन्हें असली पहचान हासिल हुई। 'चिट्ठी आई है' गाने से पंकज उधास घर-घर में मशहूर हो गए थे। इसके बाद उन्होंने कई सुपरहिट गानों और गजल में अपनी आवाज दी।गायिकी में था नशा
पंकज उधास की आवाज में एक ठहराव और मिठास था, जो हर एक लाइन में जान भर देता था। यही वजह है कि उनके ज्यादातर गाने सदाबहार हैं। उन्होंने रोमांटिक से लेकर दर्द भरे और सुरूर समेत हर तरह का गाना गाया है।पंकज उधास के लोकप्रिय गीत...- चिट्ठी आई है
- चांदी जैसा रंग है तेरा
- थोड़ी थोड़ी पिया करो
- आहिस्ता आहिस्ता
- ना कजरे की धार
- जिए तो जिए कैसे बिन आपके
- सबको मालूम है मैं शराबी नहीं
- एक तरफ उसका घर
- घुंघरू टूट गए
पकंज उधास को मिले इतने अवॉर्ड्स
पंकज उधास ने अपने बेहतरीन गानों के दम पर कई अवॉर्ड्स अपने नाम किए हैं। चलिए एक नजर गायक के अवॉर्ड्स पर डालते हैं...- पद्म श्री (2006)
- गालिब अवॉर्ड (2013)
- संगीत नाटक एकेडमी अवॉर्ड
- फिल्मफेयर अवॉर्ड (बेस्ट मेल प्लेबैक सिंगर)