Entertainment News: बॉलीवुड में नेपोटिज्म पर खुलकर बोलीं परिणीति चोपड़ा, कहा- फिल्म इंडस्ट्री में चलता है फेवरेटिज्म
परिणीति ने नेपोटिज्म और फेवरेटिज्म पर खुलकर बात की। उन्होंने कहा कि लोग नेपोटिज्म की बात करते हैं लेकिन उन लोगों पर और ज्यादा दबाव होता है जिसका कोई इंडस्ट्री में होता है। उनकी वजह से आपको पहला मौका मिल जाता है लेकिन लोग स्टार का बच्चा सुपरस्टार की बहन कहते हैं। अगर आप काम अच्छा नहीं करेंगे तो दर्शक रिजेक्ट कर देंगे।
एंटरटेनमेंट डेस्क, नई दिल्ली। अक्सर सितारे खुलकर अपनी भावनाएं व्यक्त नहीं कर पाते हैं, इसलिए वह उन कामों से भी वंचित रह जाते हैं, जो शायद उन्हें मिल सकते थे। अभिनेत्री परिणीति चोपड़ा भी मानती हैं कि वह अपनी पब्लिसिटी नहीं कर पाती हैं। हाल ही में एक पॉडकास्ट में परिणीति ने नेपोटिज्म और फेवरेटिज्म पर खुलकर बात की।
उन्होंने कहा कि अगर मेरी बहन (प्रियंका चोपड़ा) उस दिन यशराज फिल्म्स में शूटिंग न कर रही होती, जिस दिन मैं वहां मार्केटिंग की नौकरी पाने के लिए गई थी, तो वह मुझे नहीं मिलती। मेरे घर से कोई एक्टर हैं, इसलिए मैं किसी फिल्म के सेट पर जा पाई, लेकिन बहन के स्टार होने से मुझे कोई फायदा नहीं हुआ, नहीं तो मेरी भी फिल्में चलती। दस सालों में मैंने बहुत बुरा वक्त देखा है।
अगर आप काम अच्छा नहीं करेंगे, तो दर्शक रिजेक्ट कर देंगे- परिणिति
आगे बोलीं कि लोग नेपोटिज्म की बात करते हैं, लेकिन उन लोगों पर और ज्यादा दबाव होता है, जिसका कोई इंडस्ट्री में होता है। उनकी वजह से आपको पहला मौका मिल जाता है, लेकिन लोग स्टार का बच्चा, सुपरस्टार की बहन कहते हैं। अगर आप काम अच्छा नहीं करेंगे, तो दर्शक रिजेक्ट कर देंगे। नेपोटिज्म वास्तविक हो भी सकता है और नहीं भी। लेकिन यहां फेवरेटिज्म जरूर चलता है।साथ ही कहा कि पार्टियों में काम करने के कई मौके बनते हैं। अगर आप उनका हिस्सा नहीं, तो वह मौके नहीं मिलेंगे। मेरा पीआर बहुत बुरा है। मैं दोस्ती और रिश्ते इसलिए भी नहीं बना सकती हूं कि काम मिलेगा। हालांकि मैं इतनी बेवकूफ भी नहीं हूं यह कहूं कि पार्टी में जाने से आप स्टार बन जाएंगी, लेकिन यहां कैंप्स हैं, जो अच्छी बात है। सब आपस में दोस्त हैं। लेकिन मैं उनकी तरफ से बोलना चाहती हूं, जिनके पास उन कैंप्स तक पहुंचने का रास्ता नहीं है कि हम इंतजार कर रहे कि कृपया हमें काल करें, शायद हम इतने सामाजिक नहीं हैं, शायद हर दिन खबरों में नहीं रहते हैं, लेकिन हम काम करना चाहते हैं, हमें भी वह मौके दें।