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Parvathy ने मलयालम सिनेमा मामले में मोहनलाल के इस्तीफे को बताया 'कायरतापूर्ण', कहा- समय आया तो बच निकले

हेमा समिति की रिपोर्ट को लेकर अभिनेता मोहनलाल के एसोसिएशन ऑफ मलयालम मूवी आर्टिस्ट (एएमएमए) के अध्यक्ष पद से इस्तीफे पर दे दिया था। अब इस मलयालम एक्ट्रेस पार्वती थिरुवोथु जो हाल ही में फिल्म तंगलान में नजर आई थीं उन्होंने बहुत सारे प्रश्न उठाए हैं। एक्ट्रेस ने मुद्दे की गंभीरता को स्वीकार न करने के लिए इस कदम को कायरतापूर्ण बताया है।

By Surabhi Shukla Edited By: Surabhi Shukla Updated: Thu, 29 Aug 2024 02:08 PM (IST)
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पार्वती ने मोहनलाल के इस्तीफे पर उठाए सवाल
एंटरटेनमेंट डेस्क, नई दिल्ली। जस्टिस हेमा कमेटी की मलयालम फिल्म इंडस्ट्री पर रिपोर्ट के बाद से साउथ इंडस्ट्री हिली हुई है। कई अभिनेत्रियों ने अपने साथ हुए यौन शोषण को लेकर अपनी बात रखी है। वहीं इस मुहिम में खुद को चारों ओर से घिरता हुआ पाते देख एसोसिएशन ऑफ मलयालम मूवी आर्टिस्ट्स (AMIMA) के अध्यक्ष मोहनलाल सहित इसके पदाधिकारियों ने इस्तीफा दे दिया था।

अब इस बात पर हाल ही में तंगलान मूवी में नजर आई एक्ट्रेस पार्वती ने रिएक्ट किया है। उन्होंने मुद्दे की गंभीरता को स्वीकार न करने के लिए इस कदम को 'कायरतापूर्ण' बताया है।

सामूहिक इस्तीफा भागने की कोशिश है

बरखा दत्त के न्यू चैनल मोजो स्टोरी से बात करते हुए पार्वती ने कहा, "सामूहिक इस्तीफे की खबर सुनकर मैं यही सोच रही थी कि कितने कायर हैं ये लोग कि वे उस पद से हट गए जहां वे अब मीडिया से बात करने के लिए जवाबदेह थे।'एक्ट्रेस ने कहा कि ये जवाबदेही से भागने की कोशिश है। इसकी वजह से सारी जिम्मेदारी फिर से महिलाओं पर आ गई है कि वे ही इस मुद्दे को आगे बढ़ाए।"

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पार्वती ने उठाए कई गंभीर सवाल

पार्वती ने आगे अपना गुस्सा जाहिर किया और कई अहम सवाल उठाए। उन्होंने कहा, “यह वही कार्यकारी समिति है जिसने 2017 के यौन उत्पीड़न मामले में मुख्य आरोपी का स्वागत किया था जबकि मामला अभी भी चल रहा था। यह वही कार्यकारी समिति है जिसने दावा किया था कि इनमें से कोई भी चीज वास्तव में अस्तित्व में नहीं थी जब तक कि उनके खिलाफ आरोप सामने नहीं आए। इसके अलावा, सरकार का इस तरह के बयान देना बहुत लापरवाही थी।"

महिलाओं पर डाली जाती है जिम्मेदारी 

उन्होंने आगे कहा, 'अगर महिलाओं को शिकायत है,तो उन्हें बस एफआईआर दर्ज करनी चाहिए और नाम सामने लाना चाहिए। मेरा सवाल हमेशा यही रहा है कि आप न्याय का ऐसा कौन सा सबूत दिखा सकते हैं जो यह मांग कर सके कि हम ही नाम सामने लाएं और शर्मिंदा करें? उसके बाद हमारे करियर,लाइफ, कानूनी फीस और मानसिक स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों का क्या होगा? कोई भी इसकी परवाह नहीं करता। बार-बार, उन समस्याओं की देखभाल करने की ज़िम्मेदारी महिलाओं पर क्यों डाली जाती है जो हमारे कारण नहीं होती हैं?'

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