Shah Rukh Khan ही नहीं, पेशावर तक जाती हैं हिंदी सिनेमा के इन दिग्गजों की जड़ें, यह मोहल्ला है हुनर की खान!
Bollywood Legendry celebrities From Peshawar शाह रुख खान ने 2 नवम्बर को 57वां पड़ाव छू लिया है। शाह रुख बॉलीवुड के उन सेलेब्स में शामिल हैं जिनका जन्म अविभाजित भारत के उस इलाके में हुआ था जो अब पाकिस्तान में है।
By Jagran NewsEdited By: Manoj VashisthUpdated: Wed, 02 Nov 2022 08:34 PM (IST)
नई दिल्ली, जेएनएन। भारत और पाकिस्तान आज सियासी तौर पर भले ही आमने-सामने रहते हों, मगर कला और संस्कृति के लिहाज से दोनों मुल्क एक समृद्धशाली अतीत साझा करते हैं, जिसमें भारतीय सिनेमा के कुछ दिग्गज भी शामिल हैं।
शाह रुख खान, दिलीप कुमार, राज कपूर से लेकर अमजद खान और विनोद खन्ना जैसे कलाकारों की जड़ें पेशावर तक पहुंचती हैं। इस मामले में पेशावर का किस्सा ख्वानी बाजार हुनर की किसी खान से कम नहीं, जहां से हिंदी सिनेमा के तीन दिग्गजों राज कपूर, दिलीप कुमार और शाह रुख खान के तार जुड़े हैं।
शाह रुख खान
2 नवम्बर को अपना 57वां जन्मदिन मना रहे शाह रुख खान के पिता मीर ताज मोहम्मद खान पेशावर के रहने वाले थे और अविभाजित भारत में स्वतंत्रता सेनानी रहे थे। ब्रिटिश हुकूमत से भारत की आजादी के लिए उन्होंने अब्दुल गफ्फार खान द्वारा चलाये गये आंदोलन खुदाई खिदमतगार में हिस्सा लिया था। नेताजी सुभाष चंद्र बोस की आजाद हिंद फौज के मेजर जनरल शाह नवाज खान उनके कजिन थे। 1948 में बंटवारे के बाद शाह रुख के पिता मीर पेशावर से नई दिल्ली आ गये थे। यहां आकर उनके पिता ने कई काम किये।यह भी पढ़ें: Shah Rukh Khan Birthday- शाह रुख से मिलने लंदन से आई उनकी फीमेल फैन, घर के बाहर घंटों किया इंतजार
शाह रुख का बचपन अधिकर किराये के घरों में बीता था। शाह रुख बचपन से ही दिलीप कुमार, अमिताभ बच्चन और मुमताज से प्रेरित रहे थे। शाह रुख ने दिल्ली के हंसराज कॉलेज से पढ़ाई करने के साथ थिएटर एक्शन ग्रुप भी ज्वाइन किया था। मीर ताज मोहम्मद खान का निधन 1981 में कैंसर से हो गया था। उनके लगभग 10 साल बाद 1991 में शाह रुख की मां भी चल बसी थीं। यह वही दौर था, जब अभिनय की दुनिया में कदम जमाने के लिए उनका संघर्ष चल रहा था। थिएटर, टीवी के बाद शाह रुख ने 1992 में दीवाना से बॉलीवुड डेब्यू किया और उसके बाद कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।
विनोद खन्ना
हिंदी सिनेमा के सबसे खूबसूरत कलाकारों में से एक विनोद खन्ना का जन्म पेशावर में हुआ था, मगर उनके जन्म के कुछ वक्त बाद विभाजन हो गया और उनके पिता कृष्णचंद खन्ना परिवार के साथ बॉम्बे (मुंबई) आ गये थे। विनोद खन्ना ने अपना फिल्म डेब्यू 1968 में मन का मीत फिल्म से किया था, जिसमें सुनील दत्त हीरो थे।
दिलीप कुमार
पेशावर के किस्सा ख्वानी बाजार से मायानगरी पहुंचने वालों में भारतीय सिनेमा के ट्रेजडी किंग दिलीप कुमार भी शामिल हैं, जिन्हें थेस्पियन भी कहा जाता है। 2021 में 98 साल की उम्र में रुखसत होने वाले दिलीप साहब की इस साल 11 दिसम्बर को 100वीं जयंती होगी। दिलीप कुमार ने अपनी अदाकारी से कई पीढ़ियों को प्रभावित किया।उनके अभिनय का अंदाज बाद की पीढ़ियों के तमाम कलाकारों में प्रतिविम्बित होता भी रहा है। फल विक्रेता लाला गुलाम सरवर खान के घर जन्मे मोहम्मद यूनुस खान बाद में दिलीप कुमार बनकर अदाकारी के इतिहास में अमर हो गये। उनका परिवार 1940 में ही पुणे आ गया था और विभाजन के बाद पेशावर जाने के बजाय बॉम्बे (मुंबई) को अपना घर बना लिया। दिलीप कुमार ने कभी अपने असली नाम से फिल्मों में काम नहीं किया। 1944 में उन्होंने इसी नाम से ज्वार भाटा से फिल्मी करियर शुरू किया था। एक इंटरव्यू में दिलीप साहब ने बताया था कि पिता के डर से उन्होंने कभी असली नाम का इस्तेमाल नहीं किया था, जिन्हें उनका सिनेमा में जाना बिल्कुल पसंद नहीं था।
राज कपूर
किस्सा ख्वानी बाजार में दिलीप कुमार के बचपन के साथी और पड़ोसी राज कपूर पेशावर के वो तीसरे दिग्गज हैं, जिनके बिना हिंदी सिनेमा की कल्पना करना मुश्किल है। राज कपूर के दादा बशेश्वरनाथ कपूर इंडियन इम्पीरियल पुलिस सर्विस के तहत पेशावर में पुलिस अधिकारी थे। राज कपूर के पिता पृथ्वीराज कपूर 1927 में ही बॉम्बे (मुंबई) आ गये थे और यहां थिएटर से जुड़ गये और हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में कपूर फैमिली की बुनियाद रखी।राज कपूर को थिएटर और सिनेमा का शौक विरासत में मिला। उन्होंने फिल्मों में अदाकारी करने के साथ, निर्देशन और निर्माण की भी जिम्मेदारियां संभाली। सिनेमा के लगभग हर विभाग में राज कपूर की समझ के लोग कायल थे। लेखन से लेकर संगीत और अभिनय-निर्देशन में उन्हें महारत हासिल थी। इसीलिए, शो मैन कहा गया।