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भारतीयों को डिस्को धुन पर थिरकाने वाले गायक बप्पी लाहिड़ी की जन्मजयंती 27 नवंबर पर याद आते हैं उनके सुनहरे गीत

हिंदी सिनेमा में डिस्को और पाप म्यूजिक का दौर शुरू करने वाले बप्पी लाहिड़ी ने फिल्म इंडस्ट्री में पांच दशक के लंबे करियर में कई हिट गाने दिए। ‘डिस्को किंग’ के तौर पर विख्यात बप्पी दा की जन्म जयंती (27 नवंबर) पर उनको याद करता आलेख

By Aarti TiwariEdited By: Updated: Sat, 26 Nov 2022 05:00 PM (IST)
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बप्पी लाहिड़ी का संगीत उनकी याद दिलाता रहेगा

 स्मिता श्रीवास्तव।

डिस्को किंग बप्पी दा ने 650 से ज्यादा फिल्मों में संगीत दिया था। ‘डिस्को डांसर’ का गीत ‘जिमी जिमी’ या फिल्म ‘आपकी खातिर’ का ‘बंबई से आया मेरा दोस्त’, ‘थानेदार’ फिल्म का ‘तम्मा तम्मा’ या फिर ‘द डर्टी पिक्चर’ का ‘ऊह ला ला’ हो, उनके गानों की धूम सदियों तक रहेगी। 27 नवंबर, 1952 को बंगाल के जलपाईगुड़ी में जन्मे बप्पी लाहिड़ी का मूल नाम आलोकेश लाहिड़ी था। उनके पिता प्रख्यात गायक जबकि मां संगीतकार और गायिका थीं, फलस्वरूप संगीत उन्हें विरासत में मिला था। आज भले ही संगीतकार और पार्श्‍वगायक बप्पी लाहिड़ी हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनका संगीत उनकी याद दिलाता रहेगा। उन्होंने कहा था, ‘50 साल बाद अगर मेरा एक गाना बजता है, तो 2000 लोग नाच रहे होंगे’। उनकी यह बात सच भी है। आज भी शादी हो या कोई मांगलिक कार्यक्रम, डांस फ्लोर पर उनके गानों की धूम रहती है।

हर दिल पर छाए बप्पी दा

बतौर संगीतकार उनकी पहली फिल्म बांग्ला में बनी ‘दादू’ थी। उस समय वे महज 17 साल के थे। उसके बाद ‘नन्हा शिकारी’ बतौर संगीतकार उनकी पहली हिंदी फिल्म थी, लेकिन वह बाक्स आफिस पर कमाल नहीं कर पाई। साल 1975 में रिलीज फिल्म ‘जख्मी’ से उनकी किस्मत चमकी। इस फिल्म के गाने ‘आओ तुम्हें चांद पे ले जाएं’ और ‘जलता है जिया मेरा’ खासा लोकप्रिय हुए। ‘नमक हलाल’ में 12 मिनट का गाना ‘पग घुंघरू बांध मीरा नाची थी’ हिट रहा। साल 1983 में रिलीज मिथुन चक्रवर्ती अभिनीत फिल्म ‘डिस्को डांसर’ उनके करियर में मील का पत्थर साबित हुई। उसमें उनका संगीतबद्ध गाना ‘आइ एम ए डिस्को डांसर’, ‘जिमी जिमी आ जा’ जैसे डिस्को गाने ने दर्शकों को झूमने पर विवश कर दिया था। ‘जिमी जिमी’ के नाम 45 विदेशी भाषाओं में डब होने का विश्व रिकार्ड दर्ज है। किंग आफ पाप माइकल जैक्सन को भी उनका गाना ‘डिस्को डांसर’ बहुत पसंद था। डिस्को के साथ उन्होंने कई क्लासिकल गाने भी दिए। जैसे फिल्म ‘ऐतबार’ का ‘किसी नजर को तेरा इंतजार आज भी है’, फिल्म ‘आंगन की कली’ का गीत ‘सैंया बिना घर सूना’। उन्होंने 9000 से ज्यादा गाने बनाए। अभिनेता ‘जितेंद्र’ की ‘हिम्मतवाला’, ‘तोहफा’, ‘मवाली’ समेत कई फिल्मों में बप्पी दा का संगीत सुपरहिट रहा था।

बेहद पसंद थे सोने के गहने

बेहतरीन गानों के अलावा उनका खास लुक आकर्षण का केंद्र होता था। आंखों पर काला चश्मा, गले में कई तरह की सोने की मोटी चेन और हाथ में कई ब्रेसलेट-अंगूठियां उनकी पहचान थीं। सोने के गहनों के प्रति उनका आकर्षण बचपन से ही पनपने लगा था, जब मां ने उन्हें पहली बार सोने की चेन उपहार दी थी। फिर शादी के बाद उनकी पत्नी ने उन्हें एक चेन उपहार में दी थी। इस प्रकार सोने की चेन उनके व्यक्तित्व का हिस्सा बन गई थीं। दरअसल वह बचपन से अमेरिकी संगीतकार एल्विस प्रेस्ली को आदर्श मानते थे और उनकी तरह सोने के आभूषण पहनने के लिए प्रेरित हुए। वह इसे अपने लिए लकी मानते थे। उन्हें यह कतई पसंद नहीं था कि कोई उनके गानों की नकल करे या बिना अनुमति के उनका प्रयोग करे। अगर कोई ऐसा करता तो वह चुप नहीं बैठते थे। साल 2002 में लता मंगेशकर द्वारा गाए गए मूल गाने ‘कलियों का चमन’ को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर रीमिक्स रिकार्ड किया गया, लेकिन उन्होंने बप्पी दा को कोई क्रेडिट नहीं दिया था। इससे नाराज बप्पी दा ने उन लोगों से श्रेय देने को कहा। एक साल बाद उन्हें न्याय मिला। उन्होंने बप्पी दा द्वारा रचित मूल गीत के तौर पर इसे क्रेडिट दिया था।