'चन्द खिलौना हाथ में लेकर लीला नई रचाएंगे..' Chandrayaan-3 की सफलता पर प्रसून जोशी ने लिखी शानदार कविता
Prasoon Joshi on Chandrayaan-3 जुलाई के महीने में चांद पर पहुंचने के लिए निकला चंद्रयान-3 बुधवार 23 अगस्त की शाम सफलतापूर्वक लैंड हो गया। इस ऐतिहासिक पल पर इसरो को देशभर से बधाई मिली। वहीं कवि और सॉन्गराइटर प्रसून जोशी ने इसरो को अपने अंदाज में बधाई दी है। उन्होंने चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग पर खूबसूरत सी कविता लिखी है।
नई दिल्ली, जेएनएन। Prasoon Joshi on Chandrayaan-3: बुधवार 23 अगस्त की शाम देशवासियों के लिए गौरव और उल्लास का पल लेकर आई, जब चंद्रयान-3 ने चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग की। भारत ने एक ऐतिहासिक कामयाबी अपने नाम कर ली है। इस अचीवमेंट पर पूरे देश में जश्न का माहौल बना रहा।
कई सेलिब्रिटीज ने भी इसरो को इस कामयाबी के लिए बधाई दी। वहीं, कवि और गीतकार प्रसून जोशी ने चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग पर खूबसूरत कविता लिखकर इसरो को बधाई दी।
इसरो की कामयाबी पर प्रसून जोशी ने लिखी कविता
प्रसून जोशी ने सोशल मीडिया पर अपनी लिखी कविता की फोटो शेयर की। इसमें लिखा है,
"चंद्रयान की टीम ने देखो
कैसा अद्भुत काम किया
युगों युगों से सूत कातती
अम्मा को आराम दिया।
यही चांद मांगा करता था
मोटा एक झिंगोला
इसी चांद का मुंह टेढ़ा था
यही था वो अलबेला।"
अब मय्या से जिद ना करेंगे
बाल कृष्ण मुसकाएंगे।
चन्द खिलौना हाथ में लेकर
लीला नई रचाएंगे।
और हम भी अब पास से जा कर
देखेंगे बस घूर के
और ना कहेंगे चन्दा को हम
चन्दा मामा दूर के।"
Congratulations @isro on #Chandrayaan3Landing . Our scientists ingenuity and dedication humbles and inspires. Jai Hind. #Chandrayaan3 #चंद्रयान pic.twitter.com/Gzb05hqh0b— Prasoon Joshi (@prasoonjoshi_) August 23, 2023
रामधारी सिंह दिनकर ने चांद पर लिखी थी ये कविता
कभी 'चांद' पर रामधारी सिंह दिनकर ने एक कविता लिखी थी। उसकी पंक्तियां कुछ इस तरह थीं-
''हठ कर बैठा चांद एक दिन माता से यह बोला,
सिलवा दो मां मुझे ऊन का मोटा एक झिंगोला।
सनसन चलती हवा रात भर, जाड़े से मरता हूं,
ठिठुर-ठिठुरकर किसी तरह यात्रा पूरी करता हूं।
आसमान का सफर और यह मौसम है जाड़े का,
न हो अगर तो ला दो कुर्ता ही भाड़े का।
बच्चे की बात सुन कहा माता ने- ''अरे सलोने!
कुशल करें भगवान, लगे मत तुझको जादू टोने।
जाड़े की तो बात ठीक है, पर मैं तो डरती हूं,
एक नाप में कभी नहीं तुझको देखा करती हूं।
कभी एक अंगुल भर चौड़ा, कभी एक फुट मोटा,
बड़ा किसी दिन हो जाता है, और किसी दिन छोटा।
घटता-बढ़ता रोज किसी दिन ऐसा भी करता है,
नहीं किसी की आंखों को भी दिखलाई पड़ता है।
अब तू ही ये बता, नाप तेरा किस रोज लिवाएं,
सी दें एक झिंगोला, जो हर दिन बदन में आएं?
बता दें कि 14 जुलाई, 2023 को चंद्रयान-3 श्रीहरिकोटा से 2 बजकर 35 मिनट पर रवाना हुआ था। 23 अगस्त की शाम 6 बजकर 4 मिनट पर चंद्रयान-3 जब चांद पर लैंड कर गया, तो यह भारत के लिए ऐतिहासिक, गौरवान्वित और यादगार पल बन गया।