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Happy Holi : नर्गिस की धाक, राजकपूर की भांग, ऐसी थी बॉलीवुड की होली

कहते हैं एक बार बैजयंतीमाला बाली ने आर के स्टूडियो आ कर भी होली खेलने में आनाकानी की, तो उन्हें उस रंग भरे टैंक में सात बार डुबकियां लगवाई दी गईं।

By Manoj KhadilkarEdited By: Updated: Mon, 13 Mar 2017 09:06 AM (IST)
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Happy Holi : नर्गिस की धाक, राजकपूर की भांग, ऐसी थी बॉलीवुड की होली
मुंबई। होली आते ही जैसे आम आदमी की बांछे खिल जाती हैं ठीक वैसे ही बॉलीवुड के सितारों पर भी मस्ती का ऐसा रंग छा जाता है कि आप सोच भी नहीं सकते कि मस्ती किस हद तक पहुंच जाती है। बॉलीवुड में राज कपूर की होली आज भले ही इतिहास हो लेकिन ऐतिहासिक रही है।

ऐसा नहीं है कि फिल्म वाले सिर्फ दर्शको को रिझाने के लिए फिल्मो में होली का सहारा लेते थे। असल जिंदगी में भी होली फिल्म वालो के लिए ऐसा त्यौहार रहा है जब वो अपना स्टारडम छोड़ कर हर रंग में रंग जाते थे। एक ज़माना था जब बॉलीवुड में होली का मतलब, राज कपूर के आरके स्टूडियो की होली होता था। राज कपूर के पिता पृथ्वीराज कपूर शुरू में अपने थियेटर के लोगों के संग होली मनाते थे जिसे राज कपूर ने फेमस बना दिया।

साल 1952 से ही आर के स्टूडियो में जम कर होली होती थी। एक बड़े टैंक में रंग और दूसरे में भंग तैयार किए जाते थे और हर आने वाले को उन दोनों से सराबोर किया जाता था। बताते हैं कि हर आने वाले का पहला स्वागत रंग भरे टैंक में डुबकी लगावा कर किया जाता । जो ज्यादा ना नुकुर करता उसे जबर्दस्ती उठाकर टैंक में पटक दिया जाता । कहते हैं एक बार बैजयंतीमाला बाली ने आर के स्टूडियो आ कर भी होली खेलने में आनाकानी की, तो उन्हें उस रंग भरे टैंक में सात बार डुबकियां लगवाई दी गईं।

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राजकपूर की होली में उस ज़माने का हर छोटा बड़ा सितारा शामिल होना अपनी शान समझता था। सिर्फ देव आनंद नहीं आते थे क्योंकि उन्हें रंगों से परहेज था। रंगों के साथ जम कर गीत संगीत और हंसी -ठिठोली भी चलती। शंकर जयकिशन जैसे बड़े संगीतकार होली गीतों की महफ़िल जमाते और मशहूर नृत्यांगना सितारा देवी और बैजयंतीमाला बाली का अपने क्लासिकल डांस का हुनर दिखाते। मुंह में सिगरेट दबा कर राजकपूर जब ढोलक पर थाप देना शुरू करते तो नज़ारा देखते ही बनता था।

होली के हुडदंग में कोई भूखा ना चला जाए इसकी जिम्मेदारी नर्गिस पर हुआ करती थी। उनकी धाक ऐसी रहती कि भांग की मस्ती होने के बाद हर कोई बिना पेट भर खाये आर के से बाहर नहीं निकलता था। राजकपूर की होली को एक ज़माने में ' भांग और फूड ' फेस्टिवल भी कहा जाता था।

कहते हैं कि 70 के दशक की शुरुआत में फिल्में पिटने के कारण आर के होली फीकी हो गई थी लेकिन बॉबी के हिट होते ही कपूर्स फिर फॉर्म में आ गए। उस दौर में बॉलीवुड का हर सितारा पूरे साल होली का इन्तजार करता ताकि उसे उस दिन आर के स्टूडियो में घुसने का मौक़ा मिल जाए। हर होली को कुछ किन्नर राजकपूर से होली की त्यौहारी मांगने आते। खूब नाच गाना होता और राजकपूर अपनी नई फिल्म का गाना सबसे पहले उन्हीं को सुनाते। कहते हैं ' राम तेरी गंगा मैली का गाना ' सुन साहिबा सुन ' होली के मौके पर किन्नरों ने ही पास किया था। राज कपूर की बीमारी और निधन के साथ इस होली का रंग फीका पड़ता गया और बाद में आरके की मशहूर होली बंद हो गई।

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राज कपूर के बाद होली का मजमा अमिताभ बच्चन के प्रतीक्षा में भी लगने लगा था। घर के गार्डन में हर दौर के सितारे मौजूद रहते और खूब होली खेली जाती। बच्चन भी होलियाना हो जाते। छोरा गंगा किनारे वाला पूरे रंग में होता। 'रंग बरसे' गूंजे बिना प्रतीक्षा की होली पूरी नहीं होती थी। अमिताभ बच्चन की होली परम्परा पिता के निधन के बाद से ख़त्म हो गई।

सुभाष घई भी किसी समय अपने मड आयलैंड के बंगले में सितारों के संग जमकर होली मनाते थे लेकिन अब वो दौर भी ख़त्म हो गया। इसी दौर में यश चोपड़ा की यशराज स्टूडियो की होली भी फेमस हुई थी। मुंबई में अब फ़िल्मी सितारे सिर्फ अपने करीबियों के साथ होली खेलते हैं। शबाना आजमी और जावेद अख्तर होली हाल के वर्षों में काफी फेमस रही है।