बॉलीवुड में हॉरर जॉनर की ढेर सारी फिल्में हैं जिसे देखना लोग काफी पसंद करते हैं। इन दिनों अक्षय कुमार (Akshay Kumar) भूत बंगला फिल्म को लेकर सुर्खियों में हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि कभी उनके ससुर राजेश खन्ना ने इसी नाम के बंगले में अपनी जिंदगी गुजारी और इस बंगले में आने के बाद उनकी जिंदगी भी पूरी तरह से बदल कर रह गई।
एंंटरटेनमेंट डेस्क, नई दिल्ली। फिल्म स्टार्स की पहचान उनके काम से होती है। मगर कुछ ऐसे भी रहे हैं, जिनके स्टारडम की पहचान उनके आलीशान बंगले भी रहे हैं। आज अमिताभ बच्चन का बंगला 'जलसा', तो शाह रुख खान (Shah Rukh Khan) का 'मन्नत' के नाम से जाना जाता है। लेकिन स्टारडम और बंगले के इस अनोखे रिश्ते की कहानी फिल्म इंडस्ट्री में सालों पहले ही शुरू हो चुकी थी।
बॉलीवुड स्टार्स के ऐसे भी दिन सामने आए हैं, जब एक पूरा दौर गुजर गया हो, जब आलीशान बंगले उनकी पहचान रहे हों। ये बंगले फलक छूती कामयाबी से लेकर दिल तोड़ती नाकामी तक के गवाह रहे हैं। ऐसे ही एक सुपरस्टार का बंगला था, जिसके नामकरण के साथ ही उस बंगले में रहने वाले स्टार की किस्मत भी बदलती चली गई। ये बंगला था 'भूत बंगला।'
सुपरस्टार का 'भूत बंगला'
'भूत बंगले' से आपको
अक्षय कुमार की नई फिल्म का नाम याद आ सकता है। लेकिन आपको ये जानकर हैरानी भी हो सकती है कभी उनके ससुर राजेश खन्ना इसी नाम के बंगले में रहा करते थे। लेकिन इस बंगले की कहानी राजेश खन्ना से भी पहले राजेंद्र कुमार से शुरू हो गई थी। मुंबई के बांद्रा में समंदर के सामने कई बड़े फिल्म स्टार और बिजनेसमैन रहते हैं। यहां हाईराज बिल्डिंग है, जिसके बीच में कुछ जर्जर पड़ी हालत में बंगले भी हैं।
बीबीसी की रिपोर्ट में इन्हीं जर्जर पड़े बंगलों में से एक भूत बंगले के बारे में बताया गया है। एक वक्त में कार्टर रोड पर बहुत से बंगलों के बीच एक दो मंजिला बंगला मौजूद था, जो बेहद बुरी और जर्जर हालत में हुआ करता था, जिसके बाहर लिखा था 'बानो विला।' लेकिन यह नाम सिर्फ कहने के लिए इस बंगले पर गुदा था। असल में इसे भूतिया बंगला कहा जाता था। ऐसा क्यों था, आइये आपको बताते हैं।
'भूत बंगला' का इतिहास
'मदर इंडिया' में छोटा सा रोल कर फेमस हुए
राजेंद्र कुमार (Rajendra Kumar) का कद बॉलीवुड और निजी जिंदगी में भी बढ़ रहा था। वह सांता क्रूज के किराए के फ्लैट में रहते थे। जब बेटी का जन्म हुआ, तो उन्होंने वह घर छोड़कर इस भूतहा बंगले में शिफ्ट हो गए, जिसका नाम उन्होंने बेटी के नाम पर 'डिंपल' रखा। कहा जाता है कि इस घर में शिफ्ट होते ही उनकी सितारे बुलंदियों को छूने लगे।
भाग्यशाली रहा 'डिंपल'
जिस दौर में वह इस बंगले में रहे, वह उनकी जिंदगी का सबसे सुनहरा और कामयाब दौर रहा। 'घराना संगम' सहित उनकी कई फिल्में हिट पर हिट होती चली गईं। वह जुबली कुमार के नाम से मशहूर हो गए क्योंकि उनकी ज्यादातर फिल्में जुबली मनाती थीं। कुछ सालों बाद 1969 में राजेंद्र कुमार ने ये बंगला राजेश खन्ना को बेच दिया। ये इत्तेफाक ही था कि जब उन्होंने बंगला छोड़ा, तो उनकी फिल्मों ने भी कामयाब होना बंद कर दिया।
'आशीर्वाद' में आने के बाद होने लगा चमत्कार
जब राजेश खन्ना 'डिंपल' में शिफ्ट हुए, तो उसका नाम बदलकर 'आशीर्वाद' कर दिया। इसकी वजह सिर्फ यह थी कि राजेश खन्ना की तूफान जैसी कामयाबी को किसी की नजर न लगे। अगर कोई उन्हें कुछ बुरा भला कहेगा या इस तरह का कोई खत लिखेगा, तो भी पहले उसे 'राजेश खन्ना, आशीर्वाद' लिखना होगा, जो कि इस तरह मान लिया जाएगा कि वह उसे एक तरह से आशीर्वाद ही दे रहा है।
बंगले में आते ही मिलने लगी करिश्माई कामयाबी
कहा जाता है कि इस बंगले में शिफ्ट होते ही राजेश खन्ना ने राजेंद्र कुमार से भी ज्यादा करिश्माई कामयाबी देखी। सीमा अमिलचंद की किताब 'जुबली कुमार: द लाइफ एंड टाइम्स ऑफ ए सुपरस्टार' में इस बात का जिक्र है। 'अराधना', 'इत्तेफाक' जैसी उनकी लगातार 15 फिल्में हिट होती चली गईं। फोटोशूट में नए बंगले की झलक देखने को मिली, जो देखते ही देखते मुंबई घूमने आने वालों के लिए टूरिस्ट स्पॉट भी बन गया।
राजेश खन्ना ने ये बंगला 3 लाख में खरीदा था। जब बंगला लिया था, तब पैसे कम थे और फिल्म इंडस्ट्री में उनका दौर अभी शुरू होना बाकी था। ऐसे में इस बंगले की कीमत उन्होंने ईएमआई पर लेकर चुकाई थी। कहा जाता है कि उन्होंने 'हाथी मेरे साथी' फिल्म भी सिर्फ इसलिए की थी ताकि पैसे चुका सकें। ये वही फिल्म है, जिसमें पहली बार सलीम-जावेद की जोड़ी बनी थी।
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