Rajkumar Santoshi on Gandhi Godse Ek Yudh: मैं किसी का पक्ष नहीं लेता: राजकुमार संतोषी
Rajkumar Santoshi on Gandhi Godse Ek Yudh राजकुमार संतोषी फिल्म निर्देशक है। उनकी जल्द फिल्म गांधी गोडसे एक युद्ध रिलीज होनेवाली है। इस फिल्म में दोनों के विचारों के द्वंद को दिखाया गया है। दर्शक इस फिल्म की प्रतीक्षा कर रहे है।
By Rupesh KumarEdited By: Rupesh KumarUpdated: Sun, 22 Jan 2023 04:11 PM (IST)
स्मिता श्रीवास्तव, मुंबई। Rajkumar Santoshi on Gandhi Godse Ek Yudh: फिल्म निर्देशक राजकुमार संतोषी ने फिल्म 'फटा पोस्टर निकला हीरो' की रिलीज के बाद कोई फिल्म निर्देशित नहीं की। करीब नौ साल के अंतराल के बाद वह फिल्म 'गांधी गोडसे: एक युद्ध' लेकर आए हैं। इतने लंबे अंतराल, फिल्म बनाने की चुनौतियों और आगामी योजनाओं पर हुई बातचीत के प्रमुख अंश...
नौ साल का अंतराल काफी लंबा हो गया...
यह ब्रेक जानबूझकर नहीं लिया, बस हो गया। वजह यह थी कि 'फटा पोस्टर निकला हीरो' के बाद मैंने देखा जो भी मेकर्स, निर्माता या कारपोरेट हाउस थे वे यही कह रहे थे कि कौन से हीरो या स्टार के साथ अगली फिल्म बना रहे हैं? मुझे यह सवाल पसंद नहीं है। मैं समझता हूं कि लेखक, निर्माता और निर्देशक से यह पूछना चाहिए कि आप क्या बनाना चाहते हैं तो मैं कहूंगा कि यह विषय बनाना चाहता हूं। फिर सवाल उसके कलाकार के बारे में उठना चाहिए। यही सही मैथेड है। मैंने हमेशा यही किया है। पहले सब्जेक्ट तय होता है उसके बाद में उसके अनुसार कलाकार का चयन होता है कि थिएटर एक्टर सही रहेगा या नया कलाकार या स्थापित कलाकार चलेगा। वो कहानी फैसला करती है कि क्या करना है। लोग जोर दे रहे थे कि किसी स्टार के आसपास कहानी लिखूं यह मुझे ठीक नहीं लग रहा था। इसलिए कई फिल्में मना कर रहा था। मुझे लगता है कि इंडस्ट्री में मेकर्स रहे नहीं, सब प्रपोजल मेकर्स हो गए हैं, जो पैसे का खेल खेल रहे हैं। इसलिए मैंने कहा कि अपनी तरह की फिल्म स्वयं ही बना लूंगा, भले ही छोटे बजट की फिल्म क्यों न हो, लेकिन ईमानदारी से बनाऊंगा।
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'गांधी गोडसे: एक युद्ध' कैसे शुरू हुई?
असगर वजाहत ने नाटक 'गोडसे@गांधी.काम' लिखा था, लेकिन उसका ज्यादा मंचन नहीं हुआ। इसे पढ़ने के बाद मैं बहुत प्रभावित हुआ। मैंने कहा कि यह जबरदस्त विषय है, जिसे लोगों के सामने लाना चाहिए। हालांकि असगर वजाहत ने कभी सोचा नहीं कि इस पर फिल्म बन सकती है, क्योंकि दो पात्रों के आपस की बातचीत है। मैंने ठान लिया था कि कुछ भी हो जाए, मैं इसे स्वयं प्रोड्यूस करके बनाऊंगा।
गोडसे का बयान पहले ही पब्लिक डोमेन में है। विवादों को लेकर डर नहीं लगा?
वह पब्लिक डोमेन में है, जो जानना चाहे वो देख सकता है। सिनेमा बहुत शक्तिशाली माध्यम है। यह उन चीजों की व्याख्या करता है। हमने इसे नाटकीय तरीके से पेश किया है तो इसे पेश करने में डर किस बात का! ड्रेमोक्रेसी है। मैं गांधी जी के योगदान और सिद्धांतों का बहुत सम्मान करता हूं। सत्य, अहिंसा और शांति को लेकर बापू के जो संदेश हैं, मैं उनका सम्मान करता हूं। उसी तरह से मुझे लगा कि गोडसे ने जो बयान अदालत में दिया, वह लोगों तक पहुंचने नहीं दिया। 72 साल बहुत लंबा समय है। उसने अपने बयान में जो कुछ बताया है, हमने वही फिल्म में रखा है। इसका मतलब यह नहीं है कि मैं किसी एक पक्ष की तरफ से बात कर रहा हूं। मैं कौन होता हूं। यह मैं उस वक्त की बात कर रहा हूं, जब मैं पैदा नहीं हुआ था। मैं यह फिल्म बनाकर गांधी जी और गोडसे को एक मंच पर ले आया हूं। दोनों अपनी-अपनी बात कहते हैं। मैंने दोनों को बराबर का मौका दिया हैं। मैं कोई प्रोपेगंडा नहीं कर रहा हूं, तथ्य सामने रखा है, जो फिल्म देखने जाएंगे वो बाद में यह बात समझ जाएंगे।यह भी पढ़ें: SELFIEE Trailer: अक्षय कुमार और इमरान हाशमी की सेल्फी का ट्रेलर हुआ रिलीज, सुपरस्टार और सुपरफैन की अनोखी कहानी