Rajkummar Rao: राजकुमार राव ने 'भीड़' जैसी कम बजट की फिल्मों के प्रमोशन के लिए बताई स्पेशल स्ट्रेटजी
राजकुमार राव की अपकमिंग फिल्म भीड़ रिलीज के लिए तैयार है। 24 मार्च को रिलीज होने जा रही इस फिल्म का टीजर विवादों में आ गया है। अब राजकुमार ने कम बजट की फिल्मों का पीआर करने की स्पेशल स्ट्रेटजी बताई है।
नई दिल्ली, जेएनएन। Rajkummar Rao: राजकुमार राव की मोस्ट अवेटेड फिल्म 'भीड़' रिलीज के लिए तैयार है। सोशियो पॉलिटिकल ड्रामा पर बेस्ड इस फिल्म में लॉकडाउन के दौरान आम जनता की परेशानियों को बड़े पर्दे पर दिखाया जाएगा। अब इस फिल्म के जरिए छोटे बजट की फिल्मों के प्रमोशन की राजकुमार राव ने स्पेशल ट्रिक बताई है। 'कांतारा' का उदाहरण देते हुए उन्होंने बताया कि फिल्म इंगेजिंग हो तो माउथ पब्लिसिटी के जरिए वो ऑडियंस को पुल करती है।
दर्शकों को कुछ अलग देना होगा - राजकुमार राव
हिंदुस्तान टाइम्स की खबर के अनुसार पीटीआई को दिए इंटरव्यू में राजकुमार राव ने कहा, "खासकर एक मध्यम बजट की फिल्म के लिए, अगर आप उन्हें एक बड़ा कैनवास अनुभव नहीं देते हैं, तो आपको उन्हें (दर्शकों को) कुछ अलग देना होगा। यह दर्शकों के लिए कुछ आकर्षक होना चाहिए, तभी आप किसी फिल्म के बारे में बात कर सकते हैं। अभी, मुझे लगता है कि माउथ पब्लिसिटी बेहतरीन पीआर है।"
'फिल्म अच्छी थी इसलिए लोगों को बात करनी पड़ी' - राजकुमार राव
उन्होंने आगे कहा, "अगर कांतारा जैसी फिल्म पूरे देश में घूम सकती है... मैं मुंबई में बैठा हो सकता हूं और फिर कहें कि 10 लोग मुझसे पूछ रहे हैं कि क्या आपने कांतारा देखी है? सिर्फ इसलिए कि फिल्म इतनी अच्छी थी कि लोगों को इसके बारे में बात करनी पड़ी और फिर मैं इसे देखने गया। यही सबसे अच्छी पीआर रणनीति है... एक अच्छी फिल्म बनाएं और शब्दों को चलने दें।"
सभी भाषाएं कहानी सुनाती है - राजकुमार राव
राजकुमार राव ने बताया कि भाषाएं अलग नहीं होती, हर भाषा कहानी सुनाती है। उन्होंने कहा, "अच्छी बात ये है कि लोग अब हमसे ये भी उम्मीद करते हैं कि हम अपनी कहानियों पर ध्यान दें। सभी भाषाएं कहानियां सुनाती हैं। कहानी आकर्षक होनी चाहिए, उसे कुछ बताना चाहिए।"
क्या है भीड़ की कहानी
वहीं भीड़ के बारे में बताते हुए राजकुमार राव ने कहा कि फिल्म कोविड -19 महामारी के दौरान की कहानी है, लेकिन ये फिल्म आशा और अनुभव के बारे में है। उन्होंने कहा, "दूसरी लहर दिल दहला देने वाली थी लेकिन भारत चुनौतियों से निपटने में कामयाब रहा, यहां तक कि कुछ यूरोपीय देशों में सिस्टम ध्वस्त हो गया। ऐसे बहुत से लोग थे जो घर जाना चाहते थे, वे फंस गए थे... भीड़ उनकी कहानी को समझाती है।" .