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वर्ल्ड थियेटर डे: जीवन को बचाने के लिए रंगमंच को बचाना ज़रूरी: राम गोपाल बजाज

उनकी कुछ फ़िल्मों में ‘उत्सव’, ‘गोधूलि’, ‘मासूम’, ‘मिर्च मसाला’, ‘हिप हिप हुर्रे’, ‘चांदनी’, ‘परजानिया’, ‘मैंगो ड्रीम्स’, ‘जॉली एल एल बी 2’ आदि शामिल हैं!

By Hirendra JEdited By: Updated: Tue, 27 Mar 2018 07:28 AM (IST)
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वर्ल्ड थियेटर डे: जीवन को बचाने के लिए रंगमंच को बचाना ज़रूरी: राम गोपाल बजाज
मुंबई। 27 मार्च को फ्रांस में 'विश्व थियेटर दिवस' का 70 वां स्थापना दिवस मनाया जा रहा है। इस मौके पर वेटरन थिएटर एक्टर-डायरेक्टर और नेशनल स्कूल ऑफ़ ड्रामा, नई दिल्ली के पूर्व डायरेक्टर राम गोपाल बजाज थिएटर विषय पर फ्रांस में अपने विचार रखेंगे। इस मौके पर रंगमंच विषय पर बात करने के लिए पांच महाद्वीपों से पांच वक्ताओं का चयन हुआ है, जिसमें राम गोपाल बजाज एशिया का प्रतिनिधित्व करेंगे! 

जागरण डॉट कॉम से एक ख़ास बातचीत में राम गोपाल बजाज कहते हैं कि- “पिछले 70 साल टेक्नोलॉजी के रहे हैं जिनमें सिनेमा, रेडियो, टीवी, इंटरनेट सब शामिल है ऐसे में थियेटर की ज़रूरत क्या है यह एक ज़रूरी मुद्दा है! हमारे लिए महत्व इस बात का है कि रंग मंच दिवस मनाया जा रहा है। इन सबके बीच आज थियेटर के लिए किसी तरह का संकट नहीं है, तकनीक विकसित हुई है और बाकी रूप-स्वरुप भी बदला है लेकिन, आज सबसे बड़ा संकट कंटेंट का है कि आप कहना क्या चाहते हैं? इस ग्रह को बचाए रखने के लिए थियेटर को शक्ति और समर्थन देने की ज़रूरत है! जीवन को बचाने के लिए रंगमंच को बचाना ज़रूरी है।”

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राम गोपाल बजाज ने थियेटर को प्राइमरी शिक्षा में शामिल करने की पुरजोर वकालत करते हुए कहा कि- “एक बच्चा जो जन्म लेता है वो तभी से अभिनय कर रहा होता है, उसका हंसना-रोना, रूठना-मान जाना देखिये..अभिनय का गुण जन्मजात ही हर बच्चे में होता है! अगर उस वक़्त उन्हें प्रोपर गाइडेंस मिल जाए तो थियेटर और कला का संसार और समृद्ध होगा।”

बजाज आगे कहते हैं कि “अगर बच्चों को ट्रेनिंग शुरू से मिले तो ये बच्चे ज्यादा सेंसिटिव होंगे और जीवन और प्रकृति के प्रति ज्यादा न्यायसंगत हो सकेंगे। इसलिए मैं सरकारों से अपील करता हूं कि ग्रास रूट स्तर से थियेटर हम सबके जीवन का हिस्सा बने।”

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बता दें कि रामगोपाल बजाज रंगमंच का एक ऐसा नाम हैं, जिसने हिंदी रंगमंच को अपनी एक अलग पहचान दी। बिहार के दरभंगा में जन्मे रामगोपाल बजाज 1995 से लेकर 2001 तक राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय के निदेशक भी रहे। कई नाटक और फ़िल्मों में भी आप सबने इन्हें देखा है! उनकी कुछ फ़िल्मों में ‘उत्सव’, ‘गोधूलि’, ‘मासूम’, ‘मिर्च मसाला’, ‘हिप हिप हुर्रे’, ‘चांदनी’, ‘परजानिया’, ‘मैंगो ड्रीम्स’, ‘जॉली एल एल बी 2’ आदि शामिल हैं!