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'पद्मावत' विरोध की आग ठंडी करने के लिए रणवीर सिंह ने खेला ये दांव

पद्मावत 25 जनवरी को देशभर में रिलीज़ की जा रही है। समय बहुत कम है और विरोध बहुत ज़्यादा। ऐसे में करणी सेना समेत विरोध में खड़े तमाम संगठनों तक सही संदेश पहुंचना ज़रूरी है...

By Manoj VashisthEdited By: Updated: Wed, 24 Jan 2018 07:30 AM (IST)
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'पद्मावत' विरोध की आग ठंडी करने के लिए रणवीर सिंह ने खेला ये दांव
मुंबई। सुप्रीम कोर्ट के स्पष्ट आदेश के बावजूद 'पद्मावत' के उग्र विरोध का सिलसिला जारी है। आलम ये है कि कुछ राज्य सरकारें भी फ़िल्म को प्रदर्शित करने में हिचक रही हैं। मगर, इस बीच 'पद्मावत' के अलाउद्दीन खिलजी रणवीर सिंह ने सोशल मीडिया में ऐसा दांव खेला है, जो 'पद्मावत' विरोध की आग को ठंडा करने में मदद कर सकता है, हालांकि इसका असर क्या होगा, ये देखने वाली बात है।

'पद्मावत' के ट्रेलर और अब डायलॉग प्रोमो में रणवीर सिंह को देखकर आप ये तो समझ गये होंगे कि फ़िल्म में उनका किरदार क्रूर, वहशी और किसी दरिंदे से कम नहीं दिख रहा। मक्कारी और मौक़ापरस्ती इस किरदार की आंखों से झलक रही है। रणवीर ने अलाउद्दीन के किरदार की नकारात्मकता को बड़ी कामयाबी के साथ पेश किया है। और अब ट्विटर पर उन्होंने खिलजी को वो नाम दे दिया है, जो संभवत: अब तक किसी ने इस्तेमाल नहीं किया है। रणवीर ने एक शब्द में संजय लीला भंसाली के खिलजी को परिभाषित कर दिया है, और वो शब्द है- Monster यानि शैतान या दरिंदा। इतना ही नहीं, इस ख़िताब को सही ठहराने के लिए रणवीर ने फ़िल्म में अपने लुक्स का कोलाज भी शेयर किया है।

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'पद्मावत' 25 जनवरी को देशभर में रिलीज़ की जा रही है। समय बहुत कम है और विरोध बहुत ज़्यादा। ऐसे में करणी सेना समेत विरोध में खड़े तमाम संगठनों तक सही संदेश पहुंचना ज़रूरी है कि भंसाली की इस 'पद्मावत' में अलाउद्दीन खिलजी कोई नायक नहीं, बल्कि ख़तरनाक खलनायक है, जिससे कोई सिर्फ़ नफ़रत ही कर सकता है। खिलजी को मॉन्स्टर लिखकर शायद यही मैसेज देना चाहते हैं रणवीर सिंह। बताते चलें कि 'पद्मावत' का विरोध तभी से किया जा रहा है, जब भंसाली ने इसकी शूटिंग शुरू की थी। विरोध करने वालों का दावा है कि फ़िल्म में अलाउद्दीन खिलजी और रानी पद्मिनी के बीच एक स्वप्न दृश्य में प्रेम प्रसंग दिखाया जाने वाला है, जो बिल्कुल सच नहीं है। हालांकि विरोधियों के इस दावे को पूरी तरह ग़लत बताते हुए संजय लीला भंसाली ने साफ़ कहा है कि ऐसा कोई सीन फ़िल्म में नहीं है। रानी पद्मिनी के मान-सम्मान और राजपूतों के गौरव का पूरा ध्यान रखा गया है। 

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सेंसर बोर्ड ने भी फ़िल्म को यूए प्रमाण पत्र के साथ पास कर दिया है। यहां तक कि मीडिया के कुछ लोगों को फ़िल्म दिखायी जा चुकी है, जिन्होंने भंसाली की बात का समर्थन करते हुए साफ़तौर पर कहा था कि फ़िल्म में विरोध करने लायक़ कुछ भी नहीं है। मगर, विरोध थमने का नाम नहीं ले रहा है। जब सुप्रीम कोर्ट ने फ़िल्म के पक्ष में फ़ैसला दिया तो राजपूत और दीगर संगठन फ़िल्म रिलीज़ करने वाले सिनेमाघरों को धमका रहे हैं। कई जगह तोड़फोड़ हो भी चुकी है। ऐसे में 'पद्मावत' की रिलीज़ पर सुरक्षा व्यवस्था बनाए रखने की भी ज़िम्मेदारी और चुनौती पुलिस और प्रशासन पर होगी।

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