नई दिल्ली, जेएनएन। RD Burman Birth Anniversary: संगीत की दुनिया में एक नाम ऐसा रहा है, जिनके बनाए गानों को सुनना आज भी सुनना लोग ज्यादा पसंद करते हैं। यह नाम है राहुल देव बर्मन उर्फ आर डी बर्मन (
RD Burman) का, जिन्हें उनके करीबी और चाहने वाले प्यार से '
पंचम दा' कह कर भी पुकारते थे। मगर कम ही लोगों को इस बात की जानकारी होगी कि, आर डी बर्मन को पंचम दा क्यों कहा जाता था।
आज पंचम दा का जन्मदिन है। इस खास मौके पर हम जानेंगे उनके इस निक नेम के पीछे छिपी कहानी, और साथ ही उनकी लाइफ से जुड़ी कुछ अन्य बातें भी।
कोलकाता में जन्मे थे आर डी बर्मन
आर डी बर्मन का नाम भारतीय फिल्म जगत में हमेशा याद किया जाएगा। 60 से लेकर 80 के दशक तक कई सुपरहिट गीतों की रचना करने वाले आर डी बर्मन का जन्म 27 जून, 1939 को कोलकाता में हुआ था। ब्रिटिश शासित कोलकाता में राहुल, त्रिपुरा के राजसी खानदान से ताल्लुक रखते थे।
कई दशकों तक फिल्मी संगीत की दुनिया में राज करने वाले
आर डी बर्मन ने 300 से अधिक फिल्मों के लिए संगीत की रचना की थी। संगीत उनके खून में बसता था। उनके पिता सचिन देव बर्मन हिंदी सिनेमा में जाने-माने संगीतकार थे, और मां मीरा फिल्मों में गाना गाया करती थीं। इनके दादा नाबद्विपचंद्र बर्मन त्रिपुरा के राजकुमार थे, और दादी निर्मला देवी मणिपुर की राजकुमारी।
कैसे बने आर डी बर्मन से पंचम दा?
आर डी बर्मन का नाम पंचम दा पड़ने के पीछे एक रोचक किस्सा शामिल है। शुरू के सरताज आर डी बर्मन को यह उपनाम उनकी नानी ने दिया था। कहां जाता है कि पंचम दा बचपन में जब रोते थे, तो उनका रोना शास्त्रीय संगीत के पांचवें सरगम 'प' की तरह प्रतीत होता था। इसी के बाद उनका नाम पंचम दा पड़ा। इससे पहले उनका एक निकनेम 'तबलू' हुआ करता था।
(Photo Credit: Mid Day)
'सर जो तेरा चकराए...' का बनाया था संगीत
आर डी बर्मन संगीत की दुनिया में हिंदी फिल्मों के भगवान माने जाते थे। अपने जमाने में उन्होंने जिस तरह का संगीत दिया, वह उस दौर के संगीत से कहीं आगे था। यह उनके दोनों का ही करिश्मा है कि, उनके गाने तब भी सदाबहार थे, और आज की पीढ़ी भी उनके गाना को सुनना पसंद करती है।गुरु दत्त की फिल्म 'प्यासा' में एक गाना था- सर जो तेरा चकराए या दिल डूबा जाए, इस गाने की धुन आर डी बर्मन ने तैयार की थी। कहा जाता है कि पंचम दा ने गाने की धुन अपने युवावस्था में ही तैयार कर ली थी, जिसे उनके पिता ने इस फिल्म में इस्तेमाल किया था। लेकिन यह उनकी रची पहली धुन नहीं थी। कहा जाता है कि नौ साल की उम्र में 'ऐ मेरी टोपी पलट के आ जा' लिखा था, जिसे उनके पिता ने फिल्म फंटूश में इस्तेमाल किया था।
सिनेमाई दुनिया का हिस्सा बनने से पहले पंचम दा ऑर्केस्ट्रा में हारमोनियम बजाया करते थे। मुंबई आने के बाद उन्होंने प्रसिद्ध सरोद वादक उस्ताद अली अकबर खान और पंडित समता प्रसाद से तबला बजाना सीखा।
राजेश खन्ना और किशोर कुमार के साथ फेमस थी तिकड़ी
आर डी बर्मन ने सबसे ज्यादा संगीत
राजेश खन्ना की फिल्मों के लिए बनाए, जिसे अपनी खूबसूरत आती थी
किशोर कुमार ने। इस तिकड़ी ने बॉलीवुड को कई बेहतरीन गानों से नवाजा। 'कुछ तो लोग कहेंगे' और 'यह शाम मस्तानी' जैसे सदाबहार गानों की धुन आरडी बर्मन ने ही बनाई, जिसे किशोर कुमार ने गाया और जिस पर राजेश खन्ना ने अदाकारी की। पंचम दा के संगीत ने उस जमाने के बॉलीवुड को अपने संगीत से स्वर्णिम युग बना दिया था।
(Photo Credit: Mid Day)
कंघी, कप, प्लेट से बनाई धुन
संगीत में आर डी बर्मन का ज्ञान और टैलेंट सिर्फ कलम तक सीमित नहीं था। कहा जाता है कि पंचम दा कंगी कप प्लेट जैसी चीजों से भी धुन बना लेते थे। 70 के दशक में वह अपने करियर की ऊंचाइयों को छू रहे थे। हालांकि, 1985 के बाद उनके कैरियर में ढलान आने शुरू हो गई।
आर डी बर्मन ने '1942: ए लव स्टोरी' में आखरी बार संगीत दिया था। फिल्म के सभी गाने सुपरहिट हुए, लेकिन तब तक सबके चहेते पंचम दा इस दुनिया को अलविदा कह चुके थे। आर डी बर्मन की डेथ दिल का दौरा पड़ने से 4 जनवरी, 1994 को हुई थी। जबकि यह फिल्म 15 अप्रैल, 1994 को रिलीज हुई थी।