Move to Jagran APP
5/5शेष फ्री लेख

Re-Release ट्रेंड का इतिहास पुराना, एक अभिनेता के जन्मदिन पर सिनेमाघरों में लौटी थीं 11 फिल्में

सिनेमा जगत में इस वक्त फिल्मों की री-रिलीज का ट्रेंड तेजी से चल रहा है। हर हफ्ता देखा जा रहा है कि कोई न कोई पुरानी मूवी सिनेमाघरों में दर्शकों का मनोंरजन करने के लिए आ रही है। इस शुक्रवार को भी कुछ ऐसा ही देखने को मिलेगा। ऐसे में आइए इस लेख में इंडस्ट्री में री-रिलीज के इतिहास के खंगालते हैं।

By Jagran News Edited By: Ashish Rajendra Updated: Fri, 06 Sep 2024 03:13 PM (IST)
Hero Image
सिनेमाघरों में रिलीज की जा रही हैं पुरानी मूवीज (Photo Credit-X)

प्रियंका सिंह, मुंबई डेस्क। तेजाब की मोहिनी, वीर जारा (Veer-Zara) की मोहब्बत, परदेस में भारतीय मूल्यों को सहेजती नायिका गंगा हो या ताल से ताल मिलातीं ऐश्वर्या राय, उनका आकर्षण ऐसा है कि आज भी दिल थामकर देखते रह जाते हैं दर्शक। इस माह ओटीटी के स्क्रीन से निकलकर ये सभी पुन: आ रहे हैं बड़े पर्दे पर।

इससे पहले शोले (Sholay) सहित कई पुरानी फिल्में सिनेमाघरों में पुन: प्रदर्शित हो चुकी हैं। इनके दर्शकों में एक पीढ़ी वो है जिसने उन्हें जिया है तो नई पीढ़ी भी है। प्रेम और भावनाओं में डूबी ये कहानियां उन्हें किस तरह आकर्षित कर रही हैं, आइए इसकी पड़ताल करते हैं।

सिनेमा में लौट रही हैं पुरानी फिल्में

मोहिनी...मोहिनी...मोहिनी..., स्टेज परफार्मर बनीं माधुरी दीक्षित (Madhuri Dixit) के लिए जब खचाखच भरे हाल में दीवानगी में डूबे दर्शक इस तरह पुकारते हैं और ज्यों ही वह उनके सामने आती हैं तो माहौल में एक अलग ही रंग घुल जाता है। ये दृश्य है फिल्म तेजाब (Tezaab) का। एक दो तीन...चार पांच छह...दिन गिन गिन करूं तेरा इंतजार, आजा पिया आई बहार... इस गाने में माधुरी दीक्षित को थिरकते देखकर झूमने वालों के लिए खुशखबरी है,

वर्ष 1988 में आई तेजाब के जिस गाने ने उस दौर में युवाओं को दीवाना बना दिया था, बच्चों तक की जुबां पर गाने के बोल चढ़ गए थे, उसे अब फिर बड़े पर्दे पर देखने का अवसर मिल सकता है। तेजाब, वीर जारा, परदेस, ताल जैसी क्लासिक फिल्में इस माह सिनेमाघरों में पुन: प्रदर्शित होंगी। रितेश देशमुख व जिनेलिया की डेब्यू फिल्म तुझे मेरी कसम व तुंबाड 13 सितंबर को प्रदर्शित होगी।

कॉलेज बंक करके या फिर दोस्तों के साथ वीकेंड की मस्ती में फिल्मों को देखने सिनेमाघर पहुंचने की स्मृतियां मन-मस्तिष्क के एल्बम के पन्ने पलटने जैसी हैं। वही फिल्में जब सिनेमाघरों में फिर से देखने का अवसर मिलता है तो रिश्तों की गर्माहट का अहसास ताजा हो जाता है। वहीं नई पीढ़ी के दर्शकों के लिए यह मोह भी बड़ा है कि जिन फिल्मों को उन्होंने ओटीटी पर देखा, उन्हें बड़े पर्दे पर देखने का अवसर मिल रहा है।

क्या है टिकट दाम

इनके टिकट का दाम भी इतना रखा जाता है कि दर्शकों की जेब पर भारी न पड़े। बीते दिनों गैंग्स आफ वासेपुर फिल्म के दोनों भाग सात दिन के लिए सिनेमाघर में 149 रुपये के टिकट पर देखने को मिले थे। इसके अभिनेता विनीत कुमार सिंह कहते हैं कि 12 वर्ष पहले प्रदर्शित हुई इस फिल्म को नई पीढ़ी, नए दर्शकों को बड़े पर्दे पर देखने का मौका मिला। यह बतौर कलाकार हमारे लिए अच्छा है। इससे कलाकार और दर्शकों के बीच एक रिश्ता बनता है।

ट्रेंड में दिखी तेजी

महामारी के बाद से हिंदी सिनेमा में जहां गिनी चुनी फिल्में ही बाक्स आफिस पर हिट रही हैं, वहीं पुरानी फिल्में भी बड़े पर्दे पर वापसी कर रही हैं। हालांकि फिल्मों को पुन: प्रदर्शित करने का चलन नया नहीं है। जब गदर 2 और बाहुबली-द कनक्लूजन आने वाली थीं तब कहानी याद दिलाने के लिए मूल फिल्मों को पुन: प्रदर्शित किया गया।

ये भी पढ़ें- Gangs of Wasseypur के बाद आ रहे हैं 'बादशाह ऑफ बेगूसराय', बिहारी बन धाक जमाएंगे Nawazuddin और मनोज बाजपेयी!

मुगल-ए-आजम, नया दौर तकनीक के सहारे रंगीन होने के बाद पुन: प्रदर्शित हुई थीं। वर्ष 2022 में अमिताभ बच्चन के 80वें जन्मदिन पर उनकी 11 फिल्मों को सिनेमाघरों में पुन: प्रदर्शित किया गया था। इस वर्ष फिल्मों के पुन: प्रदर्शन के चलन में अप्रत्याशित तेजी देखी गई।

हम आपके हैं कौन, मैं खिलाड़ी तू अनाड़ी, लैला मजनू, राकस्टार, तमाशा, जब वी मेट, गैंग्स आफ वासेपुर, शोले, रहना है तेरे दिल में, मैंने प्यार किया सहित कई फिल्में इस वर्ष पुन: प्रदर्शित हुईं। ऐसे में एक बड़ा सवाल है कि जब ये फिल्में ओटीटी पर उपलब्ध हैं तो उन्हें सिनेमाघरों में लाने की क्या वजह है? इसके लिए बाक्स आफिस को समझना होगा।

15 अगस्त को स्त्री 2, खेल खेल में और वेदा फिल्में एकसाथ प्रदर्शित हुई थीं। उसके बाद से कोई बड़ी फिल्म थिएटर में नहीं आई। कंगना रनौत अभिनीत इमरजेंसी की रिलीज भी टल चुकी है। ऐसे में 20 सितंबर तक कोई बड़ी रिलीज नहीं है। निर्माता और फिल्म ट्रेड एनालिस्ट गिरीश जौहर कहते हैं कि मल्टीप्लेक्स के पास छह से दस स्क्रीन होते हैं। फिल्मों की कमी के कारण कई स्क्रीन बंद रखने की नौबत आ गई है। ऐसे में न सिर्फ फिल्मों का पुन: प्रदर्शन स्क्रीन को भर रहा है, बल्कि पुरानी फिल्मों को देखने में दर्शकों को मजा भी आ रहा है।

कहानियां हैं प्रासंगिक

फिल्म समीक्षक तरण आदर्श कहते हैं कि ये फिल्में केवल बड़े शहरों में पुन: प्रदर्शित हो रही हैं, जबकि पहले छोटे शहरों में भी हुआ करती थीं यानी दर्शकों की मांग से अधिक यह मल्टीप्लेक्स मालिकों का निर्णय है। फिल्मकार इम्तियाज अली कहते हैं कि पुरानी फिल्में ओटीटी पर उपलब्ध हैं। इसके बावजूद छह वर्ष पहले प्रदर्शित हुई लैला मजनू या 14 वर्ष पहले आई राकस्टार को देखने युवा दर्शक सिनेमाघर पहुंच रहे हैं, इसकी वजह यह है कि उन्हें कहानियां प्रासंगिक लग रही हैं। वे बड़े पर्दे पर उन्हें देखना चाहते हैं।

पुन: प्रदर्शन पर तारीफ मिलने पर फिल्मकारों का भी हौसला बढ़ता है। इनके बिजनेस को लेकर गिरीश कहते हैं कि पुन: प्रदर्शित फिल्में नई फिल्मों से मुकाबला नहीं कर सकतीं, दर्शक उन्हें क्लासिक के तौर पर देखते हैं। यह मार्केटिंग से जुड़ा मामला भी है। फिल्म का दूसरा भाग प्रदर्शित करने से पहले पुरानी फिल्म दिखाते हैं, ताकि दर्शक मूल कहानी से जुड़ सकें। दीपावली पर सिंघम अगेन और भूल भुलैया 3 आएगी तो उन्हीं का दबदबा होगा। तब पुरानी फिल्मों के लिए जगह शायद नहीं होगी।

बॉक्स ऑफिस पर मिला नया अवसर

फिल्म रहना है तेरे दिल में के अभिनेता आर माधवन फिल्म के पुन: प्रदर्शन पर दर्शकों की प्रतिक्रिया से आश्चर्यचकित रह गए। माधवन कहते हैं कि वर्ष 2001 में जब फिल्म सिनेमाघरों में आई थी और दर्शक देखने नहीं आए थे तो दिल टूट गया था। स्वयं में खामियां नजर आ रही थीं कि काश वजन थोड़ा कम कर लिया होता, पर आज उसी फिल्म को इतना प्यार मिल रहा है। मुझे लोग थिएटर से वीडियो शूट करके भेज रहे हैं। शायद इश्क में सादगी उन्हें पसंद आ रही है।

ये भी पढ़ें- 23 साल पुरानी RHTDM का कुछ नहीं उखाड़ पाई 'Stree 2', री-रिलीज के बाद भी मचाया 'भौकाल'