'पिल' से फार्मा कंपनी के धंधे की पोल खोल रहे Riteish Deshmukh, कहा- कुछ दवाओं को खाने के बाद जो भुगतना पड़ता है...
अभिनेता रितेश देशमुख ने वेब सीरीज ‘पिल’ से डिजिटल प्लेटफार्म पर कदम रखा है। यह शो फार्मा कंपनियों द्वारा समुचित ट्रायल के बिना जल्दबाजी में दवा बनाने के मुद्दे पर आधारित है। इसके अलावा वह छत्रपति शिवाजी महाराज पर फिल्म बनाने की तैयारी में हैं। वेब सीरीज ओटीटी व अन्य मुद्दों पर उन्होंने साझा की अपने दिल की बातें... .
स्मित श्रीवास्तव, मुंबई। बॉलीवुड में कॉमेडी और नेगेटिव रोल में अपना दमखम दिखा चुके रितेश देशमुख ने ओटीटी प्लेटफॉर्म को लेकर बात की। उन्होंने कहा ''मुझे लगता है कि वक्त ने हीरो की परिभाषा बदल दी है। अब ऐसा नहीं है कि हीरो हमेशा सकारात्मक ही रहेगा। उसमें ग्रे शेड्स भी होंगे, फिर भी वो हीरो ही कहलाएगा। हीरो को अब इंसान ज्यादा बना दिया है।''
उन्होंने आगे कहा, ''मैं यहां थिएटर और सिनेमा की बात कर रहा हूं। ओटीटी प्लेटफार्म पर तो इसकी परिभाषा पूरी तरह बदल गई है, शायद 20 वर्ष पहले ‘पिल’ जैसा शो या फिल्म बनाने से निर्माता यह सोचकर घबराते कि पता नहीं चलेगी या नहीं। फार्मा कंपनी की कहानी में किसकी दिलचस्पी होगी, लेकिन ओटीटी प्लेटफार्म लोगों को नई चीजें करने के लिए हिम्मत देते हैं।''
लोगों तक क्या संदेश पहुंचाना चाहेंगे?
दवाएं जीवन बचाती हैं, पर गलत दवाएं नुकसान कर सकती हैं। किस तरह से हम बिना देखे-सोचे दवाएं खा लेते हैं, यह शो इस पर सवाल उठाएगा। मैं ये नहीं कह रहा हूं कि आपको अपने डाक्टर पर शक करना चाहिए। कई सारी फार्मा कंपनियां हैं, जो अच्छी दवाइयां बनाती हैं, वहीं कुछ कंपनियां दवाइयों को जल्दी लांच करने के लिए सही प्रक्रिया से नहीं गुजरती हैं। उन्हें खाने के बाद जो लोगों को भुगतना पड़ता है, वो बहुत बड़ी कीमत है।
आप काम में नैतिकता का कितना ध्यान रखते हैं?
रितेश देशमुख बोले, ''जहां तक सिनेमा में नैतिकता की बात है, तो आपको हर तरीके के पात्र निभाने के लिए तैयार रहना चाहिए। ऐसा नहीं होना चाहिए कि आप ऐसा पात्र न निभाएं, जो नैतिक तौर पर गलत हो। अगर आप उसे निभा रहे हैं, तो उसे पूरी सच्चाई के साथ निभाना होता है। अब जैसे ‘एक विलेन’ फिल्म की बात ही कर लेते हैं। उसमें मेरा अनैतिक पात्र था। वह सीरियल किलर था, लेकिन उसे उतनी ही सच्चाई से निभाना एक कलाकार की जिम्मेदारी है। फिल्मों को बनाने के दौरान नैतिकता का ध्यान रखना बहुत जरूरी है, लेकिन हर फिल्म नैतिक तौर पर सही नहीं हो सकती है।''अपनी विचारधारा से हटकर कुछ फिल्में करना कितना कठिन होता है?
विचारधारा को लेकर कुछ चीजें होती हैं कि ये मैं नहीं करूंगा। हालांकि, अब तक मेरे करियर में वह दुविधा नहीं आई है, जिसे अपनी विचारधारा के आधार पर मना करना पड़ा हो। मैंने जिनके साथ काम किया है, उनकी और मेरी विचारधारा एक-दूसरे से मेल खाती रही है।