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'कई सालों तक काम नहीं मिला', 10 वर्ष के फिल्मी करियर को लेकर Saiyami Kher ने की खुलकर बात

फिल्म इंडस्ट्री में एक दशक पूरा करने वाली सैयामी खेर लगातार विविधतापूर्ण भूमिकाओं में नजर आ रही हैं। फिल्म ‘8 ए.एम. मेट्रो’ के बाद जल्द ही वह फिल्म ‘अग्नि’ में नजर आएंगी। सिनेमा के साथ वह ओटीटी पर भी सक्रिय हैं। फिल्मों में एक दशक के सफर सिनेमा को लेकर पसंद प्रमोशन के मौजूदा चलन व निजी जीवन को लेकर उन्होंने खुलकर बात की है।

By Jagran News Edited By: Ashish Rajendra Updated: Sun, 19 May 2024 06:00 AM (IST)
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फिल्मी करियर को लेकर बोलीं सैयामी खेर (Photo Credit-Instagram)
 स्मिता श्रीवास्तव, मुंबई डेस्क। अभिषेक बच्चन के साथ स्पोर्ट्स ड्रामा फिल्म घूमर से फैंस का दिल जीतने वालीं एक्ट्रेस सैयामी खेर किसी अलग पहचान की मोहताज नहीं हैं। हाल ही में सैयामी की फिल्म 8 एम मेट्रो ओटीटी प्लेटफॉर्म पर रिलीज हुई है और आने वाले वक्त में वह फिल्म अग्नि में दिखेंगी। इस बीच सैयामी ने अपने 10 साल के फिल्मी करियर को लेकर खुलकर बात की है।

आप इंडस्ट्री में एक दशक पूरा करने के करीब हैं,यह सफर कैसा रहा?

सैयामी खेर ने कहा है- सफर तो मजेदार रहा। कई उतार-चढ़ाव आए। विफलता से बहुत कुछ सीखने को मिलता है। वो अनुभव हमेशा काम आते हैं। ‘मिर्जिया’ के बाद कई वर्ष तक काम नहीं था। फिर जब काम मिलना शुरू हुआ तो काम की कमी नहीं हुई। मैं गिलास को हमेशा आधा भरा देखती हूं। मैं उसका सकारात्मक पक्ष देखती हूं। उस फिल्म के निर्देशक राकेश ओमप्रकाश मेहरा ने सिखाया था कि अपने काम से काम रखो। अपने काम को मांजते रहो।

कोशिश वही रही है कि अपने काम को और बेहतर करूं। ‘मिर्जिया’ के बाद मैंने गुलजार साहब के साथ दोबारा ‘8 ए.एम. मेट्रो’ फिल्म की। वह मेरे लिए किसी उपलब्धि से कम नहीं रही। उसमें उनकी कविता पढ़ी। कोशिश हमेशा यही रही कि नए और चुनौतीपूर्ण पात्र करूं। बेहतर काम करने की कोशिशें आगे भी जारी रखूंगी। आपकी पहली फिल्म सिनेमाघरों में प्रदर्शित हुई, उसके बाद ओटीटी पर अधिक काम आ रहा है। सिनेमा में फिल्म के प्रदर्शन को कितना आवश्यक मानती हैं?

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बतौर कलाकार तो हमारी इच्छा यही होती है कि हमारा काम अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचे। वो भले ही सिनेमाघरों के माध्यम से पहुंचे या ओटीटी। काम बस पहुंचना चाहिए। कुछ फिल्में ओटीटी के लिए ही अच्छी रहती हैं, वहां से उनकी पहुंच काफी बढ़ जाती है और कुछ सिनेमाघरों के लिए होती हैं। मुझे उम्मीद है कि लोग सिनेमाघरों में जाकर फिल्म देखना जारी रखेंगे। बतौर कलाकार मेरा काम यह है कि भूमिका के साथ न्याय करूं।

रेलगाड़ी से जुड़ी कोई निजी यादगार घटना है?

मैं नासिक में पली-बढ़ी हूं तो वहां से मुंबई ट्रेन से आती थी। जब कालेज में पढ़ रही थी तो लोकल ट्रेन से ही आना-जाना होता था। उस दौरान रास्ते में दोस्तों के साथ पढ़ाई की बातें होती थीं। एक किस्सा मुझे याद है कि जब मैं 12वीं में थी और परीक्षा देने जा रही थी, मेरा दोस्त कुछ गलत पढ़ा रहा था तो बगल में बैठे एक शख्स ने हमें टोका, फिर सही बताया। दरअसल, वह शिक्षक थे। वही सवाल परीक्षापत्र में भी आया। वह वाकया मैं कभी नहीं भूल सकती।

फिल्म ‘अग्नि’ में एक्शन करने के लिए आपने बाडी डबल का प्रयोग नहीं किया

मुझे एक्शन करने में बहुत मजा आता है। मैंने नागार्जुन सर के साथ तेलुगु फिल्म ‘वाइल्ड डाग’ की थी। उसमें मैंने भरपूर एक्शन किया था। ‘अग्नि’ में अलग तरह का एक्शन है। वेब सीरीज ‘स्पेशल आप्स’ के अगले सीजन में भी जबर्दस्त एक्शन है। इस बार भी इसमें खूबसूरत लोकेशन, भरपूर एक्शन दिखेगा। इस बार हम जार्जिया समेत कई देश गए हैं।

ढेर सारे कलाकार हैं, जो कहानी को आगे ले जाएंगे। इस बार टास्क नया होगा। इसमें कोई दोराय नहीं कि शो पिछले सीजन के मुकाबले भव्य होगा। उम्मीद है कि दर्शकों को पसंद आएगा। आगे भी मैं एक्शन करते रहना चाहूंगी। आजकल पात्रों के लुक में फिल्मों के प्रमोशन का चलन है। इसे कैसे देखती हैं?

मुझे लगता है कि पात्र में रहना अच्छी बात होती है। ‘घूमर’ के समय मैं कह रही थी कि उसी तरह घूमूंगी, लेकिन वैसा हुआ नहीं। दरअसल, फैशन के मुताबिक ड्रेस में आकर्षक भी दिखना होता है। वैसे मैं इस आइडिया को पसंद करती हूं कि आप अपने पात्र में रहते हुए प्रमोशन करें।

क्या आपको डायरी लिखने का शौक रहा है?

डायरी तो लिखती हूं, लेकिन ऐसा नहीं कि अपनी इच्छाएं या कविताएं लिखूं। जब उतार-चढ़ाव से गुजरती हूं तो उस समय जो विचार आते हैं, उन्हें डायरी में लिखती हूं। यह बहुत व्यक्तिगत चीज है। बाकी मेरे पसंदीदा निर्देशकों की सूची बहुत लंबी है। उसमें से पांच निर्देशकों के साथ काम कर चुकी हूं। अब कोशिश है कि विशलिस्ट में जिनका नाम है, उनके साथ काम कर पाऊं।

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