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63 साल पुराना है Stree का इतिहास! वी शांताराम ने चर्चित पौराणिक किरदार पर बनाई थी पहली फिल्म

स्त्री 2 स्वतंत्रता दिवस के मौके पर सिनेमाघरों में रिलीज होने जा रही है। इस फिल्म में श्रद्धा कपूर राजकुमार राव और पंकज त्रिपाठी मुख्य भूमिकाओं में नजर आएंगे। स्त्री टाइटल भारतीय सिनेमा में पहले भी कई बार इस्तेमाल किया जा चुका है। स्त्री 2 की रिलीज के मौके पर हम आपको इस टाइटल के साथ जुड़े कुछ दिलचस्प किस्से बता रहे हैं।

By Manoj Vashisth Edited By: Manoj Vashisth Updated: Mon, 12 Aug 2024 08:31 PM (IST)
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पहली स्त्री का पोस्टर और श्रद्धा कपूर। फोटो- आइएमडीबी
एंटरटेनमेंट डेस्क, नई दिल्ली। स्वतंत्रता दिवस के मौके पर सिनेमाघरों में स्त्री का जोर चलने वाला है, जिसका शोर अभी से मचा हुआ है। उम्मीद की जा रही है कि स्त्री की धमक से बॉक्स ऑफिस की मनहूसियत टूटेगी और निर्माताओं की उदासी।

मध्यम बजट की फिल्मों के सीक्वल्स को लेकर इस तरह की चर्चा कम ही देखी गई है, जो श्रद्धा कपूर, राजकुमार राव और पंकज त्रिपाठी की स्त्री 2 को लेकर चल रही है।

एडवांस बुकिंग के आंकड़े इस चर्चा को सपोर्ट कर रहे हैं। यह तो रही 2024 की स्त्री की बात, मगर क्या आपको पता है कि भारतीय सिनेमा में पहली बार यह शीर्षक 63 साल पहले इस्तेमाल किया गया था? इसके बाद भी यह शीर्षक अलग-अलग भाषाओं के सिनेमा में प्रयोग किया जाता रहा है।  

संध्या थीं हिंदी सिनेमा की पहली 'स्त्री'

हिंदी सिनेमा में स्त्री शीर्षक से बनी पहली फिल्म 1961 में आई थी, जिसे दिग्गज फिल्मकार वी शांताराम ने निर्देशित किया है। वी शांताराम को हिंदी सिनेमा के दर्शक सबसे ज्यादा दो आंखें बारह हाथ फिल्म के लिए पहचानते हैं।

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फिल्म में उन्होंने लीड रोल निभाने के साथ निर्देशन भी किया था। यह रंगीन फिल्म थी। इस फिल्म में संध्या ने फीमेल लीड रोल निभाया था, जबकि राजश्री और मुमताज एक अहम रोल में नजर आई थीं।

यह एक फैंटेसी फिल्म थी, जिसकी कहानी कालीदास के नाटक अभिज्ञान शाकुंतलम से प्रेरित थी। फिल्म का संगीत सी रामचंद्र ने दिया था, जबकि गीतों को आवाज लता मंगेशकर और महेंद्र कपूर ने दी थी। यह फिल्म 34वें एकेडमी अवॉर्ड्स की बेस्ट फॉरेन लैंग्वेज फिल्म कैटेगरी में भारत की ऑफिशियल एंट्री भी थी। हालांकि, विजेता स्वीडिश फिल्म थ्रू अ ग्लास डार्कली रही थी। 

उड़िया की 'स्त्री' को मिला नेशनल अवॉर्ड

इसके सात साल बाद 1968 में उड़िया भाषा में स्त्री शीर्षक से एक फिल्म बनाई गई, जिसका निर्देशन गौर प्रसाद घोष ने किया था। फिल्म में उनके साथ पार्वती घोष ने लीड रोल निभाये थे। इसने बेस्ट उड़िया फिल्म के लिए प्रेसीडेंट का सिल्वर मेडल जीता था।

बंगाली सिनेमा की 'स्त्री' पर बनी हिंदी की 'अय्याश' 

1972 में स्त्री बंगाली सिनेमा पहुंच गई। सलिल दत्ता निर्देशित फिल्म में उत्तम कुमार, सौमित्र चटर्जी और आरती भट्टाचार्य ने मुख्य भूमिकाएं निभाई थीं।

यह बिमल दत्ता के इसी नाम से आये नॉवल पर आधारित थी। बॉक्स ऑफिस पर यह बहुत बड़ी सक्सेस साबित हुई थी। 1982 में इस फिल्म को शक्ति सामंत ने अय्याश शीर्षक से हिंदी में रीमेक किया था, जिसमें संजीव कुमार, अरुण गोविल और रति अग्निहोत्री ने मुख्य भूमिकाएं निभाई थीं। 

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इसके बाद 2018 में अमर कौशिक की स्त्री आई, जो हॉरर कॉमेडी फिल्म है। इसके साथ निर्माता दिनेश विजन ने हॉरर-कॉमेडी यूनिवर्स की शुरुआत की है। वैसे स्त्री नाम से एक बंगाली टीवी सीरीज भी बनाई जा चुकी है। इसमें नेहा अमनदीप और नील भट्टाचार्य ने लीड रोल्स निभाये थे।