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संजय दत्त की फरलो खारिज, तुरंत सरेंडर का आदेश

एक्टर संजय दत्त की 14 दिनों की फरलो बढ़ाने के मामले में फंसी महाराष्ट्र सरकार ने अब उनकी छुट्टियां बढ़ाने के आवेदन को खारिज कर दिया है और तुरंत सरेंडर करने के लिए कहा गया है। अब संजय दत्त को आज ही पुणे की यरवदा जेल में सरेंडर करना होगा।

By Monika SharmaEdited By: Updated: Sat, 10 Jan 2015 11:27 AM (IST)
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मुंबई। एक्टर संजय दत्त की 14 दिनों की फरलो बढ़ाने के मामले में फंसी महाराष्ट्र सरकार ने अब उनकी छुट्टियां बढ़ाने के आवेदन को खारिज कर दिया है और तुरंत सरेंडर करने के लिए कहा गया है। अब संजय दत्त को आज ही पुणे की यरवदा जेल में सरेंडर करना होगा।

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एक वरिष्ठ वकील आभा सिंह ने कहा था, 'ये सुप्रीम कोर्ट के आदेश की साफ-साफ अवमानना है। जब संजय दत्त की छुट्टियां बढ़ाने का कोई लिखित आदेश नहीं है तो उन्हें जेल में होना चाहिए।'

पुणे की यरवदा जेल में पांच साल की सजा काट रहे एक्टर संजय दत्त की छुट्टियां 14 दिन और बढ़ाए जाने की खबर आई थी। जेल और पुलिस विभाग की तरफ से कोई फैसला न लिए जाने का फायदा उठाते हुए संजय दत्त गुरुवार को जेल जाकर घर वापस लौट आए थे।

गौरतलब है कि संजय 24 दिसंबर को 14 दिनों की छुट्टी पर अपने घर लौटे थे। 27 दिसंबर को ही उन्होंने अपनी खराब सेहत का हवाला देते हुए 14 दिन की छुट्टी और बढ़ाने का आवेदन जेल अधिकारियों को भेज दिया था। उनकी छुट्टी की अवधि खत्म होने तक आवेदन पर कोई फैसला न आने के कारण वह गुरुवार शाम जेल पहुंच गए।

इसी दौरान महाराष्ट्र के गृह राम शिंदे ने एक टीवी चैनल पर कहा था कि जब तक दत्त के आवेदन पर कोई निर्णय नहीं हो जाता, उन्हें सरेंडर करने की जरूरत नहीं है। गृह मंत्री के इस बयान का फायदा उठाते हुए संजय के वकील उन्हें दोबारा घर लौटा लाए।

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मामला हुआ राजनीतिक

संजय दत्त की छुट्टी का मामला अब राजनीतिक तूल पकड़ रहा है। विधान परिषद में विरोधी दल के नेता धनंजय मुंडे ने इसे राजनीतिक लापरवाही करार देते हुए गृह मंत्री के त्यागपत्र की मांग की है। वहीं, कानूनी जानकार भी एक्टर को मिल रही छुट्टी पर सवाल खड़ा कर रहे हैं।

वकील आभा सिंह के अनुसार, 'बॉम्बे प्रिजन एंड फरलो रूल-1959 की धारा-2 में साफ लिखा है कि किसी कैदी को 14 दिन की ही फरलो(जेल से छुट्टी) दी जा सकती है। यह छुट्टी बढ़ाने के मामले में धारा-13 कहती है कि जेल के डीआइजी को 14 दिन की छुट्टी बढ़ाने का अधिकार है। इस प्रकार जब डीआइजी को ही अधिकार प्राप्त है, तो उसे छुट्टी का कोई भी आवेदन गृह मंत्री तक भेजने की जरूरत ही नहीं पड़नी चाहिए।'


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