13 महीने अस्पताल में काटे...हुईं 73 सर्जरी, जब टीपू सुल्तान के सेट पर बुरी तरह जल गए थे Sanjay Khan
संजय खान बॉलीवुड का ऐसा चमकता सितारा जिसने फैंस के दिलों में अपने लिए खास जगह बनाई। संजय को 60 के दशक के एक ऐसे एक्टर के तौर पर देखा जाता था जो फैन फॉलोइंग के मामले में बड़े-बड़े स्टार को टक्कर देते थे। स्मार्ट और शानदार लुक्स वाले इस अभिनेता से इंडस्ट्री में कई लोग जलते थे। एक खतरनाक हादसे के बाद इनकी जिंदगी पूरी तरह से बदल गई।
एंटरटेनमेंट डेस्क,नई दिल्ली। संजय खान (Sanjay Khan) को बॉलीवुड के सबसे हैंडसम एक्टर्स में से एक माना जाता था। उन्होंने अपने करियर में कई हिट फिल्में दीं। उनकी डेब्यू फिल्म 'हकीकत' ने नेशनल अवॉर्ड भी जीता था। एक्टिंग के अलावा वो एक जाने माने डायरेक्टर भी थे।
संजय खान ने निभाया था टीपू सुल्तान का किरदार
इसके अलावा उन्होंने टीवी की दुनिया में भी खूब काम किया। उन्हें आज भी लोग 'जय हनुमान' और 'द स्वॉर्ड ऑफ टीपू सुल्तान' (The Sword of Tipu Sultan) के लिए याद करते हैं। यह टीवी शो संजय खान के करियर में मील का पत्थर साबित हुआ था। इस शो को संजय खान ने खुद डायरेक्ट किया था और टीपू सुल्तान का किरदार भी निभाया था।
हालांकि टीपू सुल्तान की शूटिंग के दौरान जो भयानक हादसा हुआ उसे याद कर आज भी किसी की रूह कांप जाए। इस दौरान कई लोग जान से हाथ धो बैठे थे और यहां तक कि खुद संजय खान भी मरते-मरते बचे थे।यह भी पढ़ें: संजय खान के Jai Hanuman में भगवान 'राम' बना था ये मुस्लिम एक्टर, सुपरहिट रहा था शो
चली गई थी कई क्रू मेंबर्स की जान
दरअसल 8 फरवरी साल 1989 को प्रीमियर स्टूडियो मैसूर में भीषण आग लग गई, जहां शो की शूटिंग हो रही थी। सेट पर सुरक्षा के लिए फायर ब्रिगेड उपलब्ध नहीं थे जिसके कारण 52 क्रू मेंबर्स की जान चली गई थी।संजय खान को थर्ड डिग्री बर्न हुए थे। वह 65 पर्सेंट तक जल गए थे। उन्हें 13 महीने अस्पताल में बिताने पड़े थे और उनकी कुल 73 सर्जरी हुई थीं।
भगवान मुझे जाने से रोक रहे थे - अनंत
अनंत महादेवन भी द स्वॉर्ड ऑफ टीपू सुल्तान शो का हिस्सा थे। उन्होंने पंडित पूर्णैया का रोल प्ले किया था। अब एक इंटरव्यू में एक्टर ने इस पूरे हादसे को याद किया और अन्य जानकारियां शेयर कीं। अनंत महादेवन ने सिद्धार्थ कन्नन के साथ बातचीत में कहा -“जिस दिन मुझे मैसूर से स्टूडियो जाना था, मेरा ड्राइवर मुझे एयरपोर्ट पर छोड़ने नहीं आया। मैं भागा, टैक्सी ली और किसी तरह समय पर एयरपोर्ट पहुंच गया। जब मैं बेंगलुरु पहुंचा,तो कोई भी मुझे लेने नहीं आया और मुझे नहीं पता था कि कहां जाना है। इसलिए मैंने एक टैक्सी ली जिसने मुझे प्रीमियर स्टूडियो छोड़ा। यह तीन घंटे की ड्राइव थी।”