Sanjay Leela Bhansali: गरीबी में बीता बचपन, चॉल में किया गुजारा..., Salman Khan की इस फिल्म से चमकी किस्मत
Sanjay Leela Bhansali Birthday Special सिनेमा जगत के बेहतरीन फिल्म निर्देशकों में से एक संजय लीला भंसाली आज 64 साल के हो गए हैं। वह इंडस्ट्री के उम्दा निर्देशक हैं जो भले ही कैमरे के पीछे काम करते हैं लेकिन पर्दे पर सिर्फ उनका ही अक्श दिखता है। भंसाली की फिल्मों की तरह उनके इंडस्ट्री में आने की कहानी भी बड़ी दिलचस्प है।
एंटरटेनमेंट डेस्क, नई दिल्ली। Sanjay Leela Bhansali Birthday: शानदार सेट, शाही किरदार, गानों में गहराई और दमदार कहानी..., संजय लीला भंसाली (Sanjay Leela Bhansali) की फिल्मों की खासियत यहीं खत्म नहीं होती है। एडिटर और असिस्टेंट बनकर अपना करियर शुरू करने वाले भंसाली आज सिनेमा के मंझे हुए निर्देशक हैं। उन्होंने सिनेमा को हम दिल दे चुके सनम, देवदास, पद्मावत, राम-लीला और ब्लैक जैसी ब्लॉकबस्टर फिल्में बनाकर इतिहास रच दिया।
संजय लीला भंसाली आज यानी 24 फरवरी 2024 को अपना 61वां जन्मदिन मना रहे हैं। इस खास मौके पर हम आपको बताने जा रहे हैं कि भंसाली निर्देशन से पहले क्या करते थे? उन्होंने अपना करियर कैसे शुरू किया? उनका बचपन कैसा बीता? जानिए यहां...
पिता थे प्रोड्यूसर, फिर भी हालत थी मंदी
24 फरवरी 1963 को मुंबई में जन्मे भंसाली के पिता नवीन भंसाली भी प्रोड्यूसर हुआ करते थे, जिन्होंने जहाजी लुटेरा (1958) जैसी फिल्मों का निर्माण किया था। पिता भले ही ग्लैमर वर्ल्ड से जुड़े रहे, लेकिन हालत मंदी रही। बचपन से ही छोटा और बेरंग मकान देखा, गरीबी में गुजारा किया।
संजय लीला भंसाली का बचपन गरीबी में बीता। वह और उनकी बहन अपने माता-पिता के साथ चॉल में रहा करते थे। मां कपड़े सिलकर गुजारा करती थीं। साल 2019 में फिल्म कंपैनियन को दिए एक इंटरव्यू में भंसाली ने खुलासा किया था कि उनका बचपन कैसा बीता था। उन्होंने कहा था-
हम चॉल में रहा करते थे। हमारी दीवारों पर कोई पेंट नहीं था। मां बहुत अच्छी डांसर थीं और वह छोटी सी जगह पर डांस किया करती थीं। हमारे पास पहनने के लिए अच्छे कपड़े नहीं होते थे। ऐसी बहुत सी चीजें थीं, जिनसे मैं वंचित था।
एक और इंटरव्यू में संजय लीला भंसाली ने कहा था कि छोटे से घर में उनका दम घुटता था, क्योंकि उन्हें क्लॉस्टेरोफोबिया (बंद जगह में डर लगना) था। हालांकि, पारिवारिक परिस्थितियों के चलते वह उस हाल में रहने के लिए मजबूर थे।यह भी पढ़ें- Devdas फिल्म के समय हुई थी Milind Gunaji के पिता की मौत, एक्टर की हालत देख Shah Rukh Khan उठाने वाले थे ये कदम
विधु विनोद चोपड़ा के असिस्टेंट थे संजय लीला भंसाली
संजय लीला भंसाली के रग-रग में निर्देशन था। वह बचपन से ही बेहतरीन निर्देशक बनना चाहते थे। पढ़ाई में मन नहीं लगता था और किताबों को खूबसूरत रंगों से भर दिया करते थे। भंसाली ने अपना करियर बतौर एडिटर शुरू किया था। उनका पहला प्रोजेक्ट था फेम सीरियल 'भारत की खोज', जो देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू द्वारा लिखी द डिस्कवरी ऑफ इंडिया पर आधारित थी। टीवी के बाद डायरेक्टर ने फिल्मों की ओर रुख किया और जाने-माने निर्देशक विधु विनोद चोपड़ा के असिस्टेंट बनकर फिल्मों को और करीब से जाना। उन्होंने परिंदा फिल्म को असिस्ट किया और फिर 1942- अ लव स्टोरी की कहानी लिखी। एडिटिंग कर ली, असिस्ट कर लिया, लेखन भी हो गया..., अब बारी थी डायरेक्शन की।खामोशी से बने सिनेमा के बेहतरीन निर्देशक
साल 1996 वो समय था, जब संजय लीला भंसाली ने बतौर डायरेक्टर अपना करियर शुरू किया। फिल्म थी 'खामोशी- द म्यूजिकल।' इस फिल्म में सलमान खान, मनीषा कोइरालात, नाना पाटेकर और सीमा बिस्वास जैसे कलाकार अहम भूमिका में थे। भले ही बॉक्स ऑफिस पर यह फिल्म खास कमाल नहीं दिखा पाई, लेकिन कहानी ने लोगों का दिल जरूर जीता। संजय लीला भंसाली की यह फिल्म क्लासिक कल्ट में से एक मानी जाती है। इसकी बदौलत मनीषा ने स्क्रीन और फिल्मफेयर अवॉर्ड अपने नाम किया था। 'खामोशी' के बाद भंसाली के करियर में मील का पत्थर रही सलमान, ऐश्वर्या राय और अजय देवगन की मूवी 'हम दिल दे चुके सनम' (Hum Dil De Chuke Sanam)। यह फिल्म कमर्शियली सुपरहिट थी।संजय लीला भंसाली की बेस्ट फिल्में
1999 में साल की बेस्ट फिल्म रही 'हम दिल दे चुके सनम' की कहानी भी संजय लीला ने ही लिखी थी। वह न केवल डायरेक्टर थे, बल्कि इस फिल्म के प्रोड्यूसर भी रहे हैं। गौर फरमाएं तो भंसाली की फिल्मों में एक बड़ा गैप रहा है। 'खामोशी' के तीन साल बाद उन्होंने सलमान-ऐश्वर्या के साथ फिल्म रिलीज की थी। इसके बाद उनकी अगली फिल्म भी तीन साल बाद आई थी। देखिए संजय लीला भंसाली की बेस्ट फिल्में...- हम दिल दे चुके सनम (1999)
- देवदास (2002)
- ब्लैक (2005)
- राउडी राठौड़ (2012)
- गोलियों की रासलीला राम-लीला (2013)
- मैरी कॉम (2014)
- बाजीराव मस्तानी (2015)
- पद्मावत (2018)
- गंगूबाई काठियावाड़ी (2022)