'ए वतन मेरे वतन' के दौरान Sara Ali Khan के सामने रहा ये चैलेंज, देश-प्रेम को लेकर एक्ट्रेस ने दिया बढ़ा बयान
सैफ अली खान की बेटी और एक्ट्रेस Sara Ali Khan बहुत ही जल्द देशभक्ति की भावना दिखाने वाली फिल्म ए वतन मेरे वतन में नजर आने वाली हैं। Murder Mubarak के बाद ये फिल्म ओटीटी पर एक्ट्रेस की दूसरी मूवी होने जा रही है। इस बीच ए वतन मेरे वतन की रिलीज से पहले अभिनेत्री इस फिल्म को लेकर खुलकर बात की है।
स्मिता श्रीवास्तव, मुंबई डेस्क। फिल्म ए वतन मेरे वतन में स्वतंत्रता सेनानी उषा मेहता की भूमिका में हैं सारा अभिनेत्री सारा अली खान (Sara Ali Khan) के लिए यह साल काफी खास है। आज (15 मार्च) उनकी फिल्म मर्डर मुबारक डिजिटल प्लेटफार्म नेटफ्लिक्स पर रिलीज हो रही है।
वहीं अगले सप्ताह 21 मार्च को फिल्म ए वतन मेरे वतन अमेजन प्राइम वीडियो पर प्रदर्शित होगी। ए वतन मेरे वतन (Ae Watan Mere Watan) फिल्म स्वतंत्रता सेनानी उषा मेहता की जिंदगी से प्रेरित है, जिन्होंने भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान गुप्त रूप से कांग्रेस रेडियो चलाया था। इस मूवी को लेकर दैनिक जागरण से खास बातचीत में सारा से कुछ अहम सवाल पूछे गए हैं, जिन पर उन्होंने जवाब दिए हैं।
दो फिल्मों की शूटिंग को लेकर बोलीं एक्ट्रेस
1.आपकी दो फिल्में एक ही सप्ताह के अंतराल पर रिलीज हो रही हैं। क्या दोनों की शूटिंग भी आपने आसपास की थी? हां, ऐसा इसलिए कर पाई, क्योंकि मुझे अपने निर्देशकों पर भरोसा है। हालांकि यह आसान नहीं था। दोनों किरदार एकदूसरे से बेहद अलग हैं, लेकिन यह हम कलाकारों का काम है।
हमारी कोशिश भी अलग-अलग काम करने की होती है। पिछले निभाए किरदारों से मैंने बहुत कुछ सीखा है। हाई एनर्जी और चंचल स्वभाव वाले किरदार मैं निभा चुकी हूं। ऐसे में इन दोनों फिल्मों (मर्डर मुबारक और ए वतन मेरे वतन) के किरदारों के लिए निर्देशकों के दृष्टिकोण पर यकीन करना बहुत जरूरी था।
स्वंत्रतता अभियान को जीने का अनुभव
2. आजादी की लड़ाई के दौर को जीने का अनुभव कैसा रहा? सारा अली खान ने कहा है- सच बताऊं तो मैं आभारी हूं कि मैं इस आजाद देश की नागरिक हूं और खुद को भारतवासी बुला सकती हूं। यह गर्व की बात है, लेकिन इस गर्व के पीछे बहुत सारी कुर्बानियां छुपी हैं। उनके बारे में हमने बहुत पढ़ा और समझा है। कई कुर्बानियां गुमनामी के पन्नों में छुपकर रह गईं, जैसे उषा मेहता।
मुझे लगता है कि बतौर कलाकार ऐसी कहानी दर्शकों तक पहुंचानी चाहिए, ताकि वह भी देखें और समझें कि त्याग और बलिदान के कितने अलग-अलग रंग-रुप थे। यह सिर्फ महिला या पुरुष की कहानी नहीं है, यह रूहानी शक्ति की कहानी है। यह उस त्याग की कहानी है, जो हर चीज को भूलकर देशप्रेम को आगे रखकर चलने का आत्मविश्वास देती है। यह प्रेरणादायक कहानी आज भी प्रासंगिक है।