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'मुझे बचा लो, मैं मरना नहीं चाहता' सतीश कौशिक के आखिरी शब्द सुन नम हो जाएंगी आंखें, बेटी की फिक्र में तोड़ा दम

Satish Kaushik मैनेजर संतोष ने बताया कि सतीश कौशिक ने आखिरी वक्त पर उन्हें क्या कहा था... उन्हें सिर्फ बेटी वंशिका की चिंता थी और बार बार कह रहे थे कि मुझे बचा लो अभी मरना नहीं चाहता।

By Ruchi VajpayeeEdited By: Ruchi VajpayeeUpdated: Sat, 11 Mar 2023 08:50 PM (IST)
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Satish Kaushik s last words Save me I do not want to die
नई दिल्ली, जेएनएन। Satish Kaushik: सतीश कौशिक के निधन की खबर से अभी तक उनका परिवार और फैंस उबर नहीं पाए हैं। उनके दोस्त और करीबी का रो-रोकर बुरा हाल है। दो दिन बाद भी किसी को यकीन नहीं रहा कि अब सतीश कौशिक हमारे बीच नहीं रहे। उनके मैनेजर ने बताया कि आखिरी वक्त उनके मुंह से अंतिम शब्द क्या निकले थे।

ये थे सतीश कौशिक के आखिरी शब्द...

संतोष राय ही वो शख्स थे जो सतीश कौशिक के साथ थे, जब उन्हें सांस लेने में दिक्कत महसूस हुई। वो हंफने लगे और उन्हें तुरंत ही अस्पताल ले जाया गया। उन्होंने बताया कि सतीश जी को खाने के बाद किसी तरह की एसिडिटी का अनुभव नहीं हुआ था, जैसा कि मीडिया में बताया जा रहा है। रात के खाने के तुरंत बाद उन्हें किसी भी तरह की प्रॉब्लम फील नहीं हुई थी।

मैनेजर ने बताई सच्चाई

रात करीब 8.30 बजे उन्होंने डिनर खत्म किया। हमें 9 मार्च को सुबह 8:50 बजे की फ्लाइट से मुंबई लौटना था। उन्होंने कहा, 'संतोष, जल्दी सो जाओ, हमें सुबह की फ्लाइट पकड़नी है।' मैंने कहा, 'ठीक है सर जी।' मैं बगल वाले कमरे में सोने चला गया। ई-टाइम्स से बात करते हुए संतोष ने बताया- रात 11 बजे उन्होंने मुझे फोन किया। उन्होंने कहा, "संतोष, आ जाओ, मुझे अपना वाईफाई पासवर्ड ठीक करने की जरूरत है क्योंकि मैं 'कागज 2' पर कुछ काम करना चाह रहा हूं। उन्होंने रात 11:30 बजे फिल्म देखना शुरू किया और मैंने वापस अपने कमरे में चला गया।"

'मुझे डॉक्टर के पास ले जलो'

12:05 बजे उन्होंने जोर-जोर से मेरा नाम पुकारना शुरू कर दिया। मैं दौड़ता हुआ आया और उनसे पूछा, 'क्या हुआ सर? क्यों चिल्ला रहे हो? इसके बजाय आपने मुझे फोन पर कॉल क्यों नहीं किया?' उन्होंने मुझसे कहा, 'सुनो, मुझे सांस लेने में तकलीफ हो रही है। प्लीज मुझे डॉक्टर के पास ले चलो।'

'मैं मरना नहीं चाहता...'

इसके बाद हम कार में बैठ गए और उन्होंने कहा कि जल्दी हॉस्पिटल चलो, सीने में दर्द बढ़ रहा है। फिर, उन्होंने अपना सिर मेरे कंधे पर रखा और कहा, "संतोष, मैं मरना नहीं चाहता, मुझे बचा लो।" हम आठ मिनट में अस्पताल (फोर्टिस अस्पताल) पहुंच गए क्योंकि शायद होली की वजह से सड़क खाली थी, लेकिन जब तक हम परिसर में दाखिल हुए, वह बेहोश हो चुके थे। उन्होंने मुझे कार में कुछ और बातें भी बताईं। उन्होंने मुझे पकड़ा और कहा, 'मुझे वंशिका के लिए जीना है। मुझे लगता है मैं नहीं बचूंगा... शशि और वंशिका का ख्याल रखना।'