Birth Anniversary: अपने आप में एक संस्थान थे सत्यजीत रे, हिंदुस्तान के सिनेमा को दिलाई दुनियाभर में अलग पहचान
सत्यजीत रे ने अपने अलग सिनेमा के लिए जाने जाते थे। उन्होंने देश में ही नहीं बल्कि दुनिया भर में सिनेमा की अमिट छाप छोड़ी है। सिनेमा और कला के क्षेत्र में रे का योगदान कभी नहीं भुलाया जा सकता।
By Anand KashyapEdited By: Updated: Mon, 02 May 2022 08:02 AM (IST)
नई दिल्ली, जेएनएन। फिल्मकार सत्यजीत रे भारतीय सिनेमा का एक ऐसा नाम हैं जिन्होंने हिंदुस्तान के सिनेमा को पूरी दुनिया में अलग पहचान और आयाम दिया है। सत्यजीत रे अब भले ही हमारे बीच न हों, लेकिन उनके बनाए सिनेमा की चर्चा हमेशा होती है। उनकी हर फिल्म ने देश-दुनिया में खूब नाम कमाया है। सत्यजीत रे का जन्म 2 मई साल 1921 को कोलकाता में हुआ था।
सत्यजीत रे ने अपने अलग सिनेमा से देश में ही नहीं बल्कि दुनिया भर में अमिट छाप छोड़ी है। सिनेमा और कला के क्षेत्र में रे का योगदान कभी नहीं भुलाया जा सकता। यह उन्हीं की कोशिश है कि इंडियन सिनेमा को विदेशों में भी इतना पसंद किया जाता है। सत्यजीत रे के दादा उपेन्द्र किशोर राय एक लोकप्रिय लेखक, चित्रकार और संगीतकार थे। पिता सुकुमार राय भी प्रिंटिंग और पत्रकारिता से जुड़े थे।
सत्यजीत रे का बचपन काफी संघर्ष और चुनौतियों से भरा गुजरा था। महज 3 साल की उम्र में उनके सिर से पिता का साया उठ जाने के बाद मां सुप्रभा ने उन्हें बड़े ही संघर्ष ससे पाला। स्कूल के समय से ही सत्यजीत रे संगीत और फिल्मों के दीवाने हो गए थे। तब सत्यजीत को वेस्टर्न फिल्मों और संगीत काफी पसंद था। कॉलेज से अर्थशास्त्र की पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने बतौर ग्राफिक डिजाइनर काम करना शुरू किया था।
इस दौरान उन्होंने कई किताबों के कवर डिजाइन किए जिनमें जवाहर लाल नेहरू की 'डिस्कवरी ऑफ इंडिया' भी शामिल है। इसी दौरान उन्होंने 1928 में छपे विभूतिभूषण बंदोपाध्याय के मशहूर उपन्यास पाथेर पांचाली का बाल संस्करण तैयार करने में भी अहम भूमिका निभाई थी। उसके बाद धीरे-धीरे सत्यजीत रे फिल्म निर्माण की ओर चलते चले गए। इसके बाद उन्होंने एक से बढ़कर एक फिल्में बनाई।सत्यजीत रे ने अपने करियर में कुल 37 फिल्मों का निर्देशन किया था, जिनमें फीचर फिल्में, वृत्त चित्र और लघु फिल्में शामिल हैं। उनकी पहली फिल्म 'पाथेर पांचाली' थी जोकि एक बंगाली फिल्म थी। इस फिल्म को कान फिल्म फेस्टिवल में 'सर्वोत्तम मानवीय प्रलेख' पुरस्कार को मिला था। इसके बाद उन्होंने अपनी शानदार फिल्मों से कुल ग्यारह अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार जीते थे।
सत्यजीत रे की शानदार फिल्मों में 'अपराजितो', 'अपुर संसार' और अपु त्रयी' जैसे नाम शामिल हैं। सत्यजीत रे फिल्म निर्माण से जुड़े हर काम में माहिर थे। इनमें पटकथा, कास्टिंग, पार्श्व संगीत, कला निर्देशन, संपादन आदि शामिल हैं। भारत सरकार की ओर से फिल्म निर्माण के क्षेत्र में विभिन्न विधाओं के लिए उन्हें 32 राष्ट्रीय पुरस्कार मिले। सत्यजीत रे दूसरे फ़िल्मकार थे जिन्हें ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी द्वारा डॉक्टरेट की उपाधि से सम्मानित किया गया।
सत्यजीत रे को उनके फिल्मों में 'लाइफटाईम अचीवमेंट' के लिए ऑस्कर से सम्मानित किया गया। जब उनको यह पुरस्कार दिया जाना था, तभी उन्हें दिल का दूसरा दौरा पड़ा था और वह अस्पताल में भर्ती थे। इस खबर के बाद ऑस्कर पुरस्कार कमेटी उड़ान भर कर कलकत्ता तक पहुंची और रे को सम्मानित किया था।