सिर्फ एक सीन की खातिर Satyajit Ray ने साल भर रोक दी थी शूटिंग, इतनी मुश्किल के बाद बनी पहली फिल्म
Satyajit Ray ने सिनेमा को तमाम उम्दा फिल्मों से नवाजा है लेकिन क्या आपको पता है कि उनकी पहली फिल्म कैसे बनकर तैयार हुई थी। जिस फिल्म के बदौलत फिल्ममेकर ने दुनियाभर में नाम कमाया उसे बनाने में उन्हें बहुत मुश्किलों का सामना करना पड़ा। उन्होंने 6 साल पहले ही फिल्म को बनाने के लिए अपना कदम बढ़ा लिया था लेकिन शूटिंग होते-होते रह जाती थी।
एंटरटेनमेंट डेस्क, नई दिल्ली। Satyajit Ray Death Anniversary: सिनेमा जगत के बेस्ट फिल्ममेकर्स में एक नाम सत्यजीत रे का भी है। वह अपनी फिल्मों को उसी तरह दिखाते थे, जैसा वह चाहते थे। वह कभी भी अपनी फिल्मों से कोई समझौता नहीं करते थे। भले ही उन्हें किसी फिल्म को बनाने में एक साल लगे या फिर पांच साल। फिल्मों के प्रति उनके परफेक्शन का अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि एक बार उन्होंने मात्र एक सीन के लिए साल भर शूटिंग रोक दी थी।
2 मई 1921 को कलकत्ता में जन्मे सत्यजीत रे ने प्रेसिडेंसी कॉलेज और विश्व-भारती विश्वविद्यालय में पढ़ाई की। पढ़ाई पूरी करने के बाद वह ग्राफिक डिजाइनर के रूप में काम करते रहे। काम के साथ-साथ उनमें लेखन का भी जोश था। फुरसत के पल निकालकर वह पटकथा भी लिखा करते थे। वह शुरू से ही कलात्मक स्वभाव के रहे थे।
फिल्ममेकिंग से पहले ये काम करते थे सत्यजीत रे
फिर 1949 में प्रसिद्ध फ्रांसीसी फिल्म निर्देशक जीन रेनायर अपनी फिल्म द रिवर की शूटिंग के लिए कलकत्ता आए और उनकी मुलाकात सत्यजीत रे से हुई। सत्यजीत ने रेनायर की मदद शूटिंग की जगह ढूंढने में करवाई। फिल्मों के प्रति सत्यजीत का जज्बा देख एक बार रेनायर ने पूछ ही लिया कि क्या वह फिल्ममेकर बनना चाहते हैं। तभी उन्होंने अपनी पहली फिल्म पाथेर पांचाली (Pather Panchali) के बारे में बताया, जिसकी संक्षिप्त रूपरेखा उन्होंने पहले ही तैयार कर ली थी।ऐसे तैयार की पहली फिल्म
सत्यजीत रे चाहते थे कि वह अपनी पहली फिल्म की शूटिंग शुरू करने से पहले रेनायर के साथ रहकर फिल्ममेकिंग का गुण सीख लें, लेकिन ऐसा न हो सका। जब सत्यजीत रे को रेनायर के फर्म का आर्ट डायरेक्टर बनाया गया, तब उन्हें मजबूरी में लंदन जाना पड़ा। 'माई एडवेंचर्स विद सत्यजित रे' के मुताबिक, लंदन यात्रा के दौरान मात्र 16 दिन में सत्यजीत रे ने फिल्म को लेकर अपना खाका तैयार कर लिया था।
सत्यजीत रे ने अपनी नोटबुक में लिख लिया था कि वह कैसे पाथेर पांचाली बनाना चाहते हैं। वह चाहते थे कि उनकी फिल्म में एक्टर्स बिना मेकअप के दिखाई दें। फिर वह 6 महीने बाद कलकत्ता वापस आए और पहली फिल्म की तैयारी में लग गए। बजट ज्यादा नहीं था, इसलिए अपने ही दोस्तों को काम पर लगा दिया। सुब्रत मित्रा को सिनेमैटोग्राफर, अनिल चौधरी को प्रोडक्शन कंट्रोलर और बंसी चंद्रगुप्त को कला निर्देशक बनाया।
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गहने बेचकर बनाई पहली फिल्म
फिल्म का पूरा ढांचा तैयार हो गया, लेकिन मुश्किल आई निर्माता ढूंढने में। स्क्रिप्ट तो निर्माता को पसंद आती, लेकिन जब बात पैसे लगाने की आती तो सभी अपने हाथ पीछे कर लेते थे। हालांकि, फिल्ममेकर हार मानने को तैयार नहीं थे। उन्होंने बीमा वाले पैसे लगाए, रिश्तेदार और दोस्तों से उधार पैसे मांगे, यहां तक कि बीवी के गहने तक बेच दिए।एक सीन के लिए साल भर रोकी शूटिंग
साल 1952 में फिल्म की शूटिंग शुरू हो गई। फिल्म में एक सीन था, जहां अपू और उसकी बहन दुर्गा काश के फूलों के खेत में ट्रेन की खोज करते हैं। आपको जानकर हैरानी होगी कि इस सीन के लिए रे ने एक साल के लिए शूटिंग रोक दी थी। दरअसल, जब वह फूलों के खेत में शूटिंग करने गए तो पता चला कि मवेशियों ने पूरे खेत को खा लिया है। यह देख रे को गहरा झटका लगा। मगर उन्होंने समझौता न करने की बजाय एक साल इंतजार किया और अगले सीजन में फिर से शूटिंग की। तमाम मु्श्किलों के बाद जब फिल्म बनकर तैयार हुई तो शुरुआती दो हफ्ते में फिल्म की कमाई खास नहीं रही, लेकिन तीसरे हफ्ते में मूवी का बिजनेस सातवें आसमान पर पहुंच गया। फिल्म के लिए सत्यजीत रे को दुनिया भर में प्रसिद्धि मिली। 23 अप्रैल 1992 को सत्यजीत रे का निधन हो गया था।सत्यजीत रे की बेस्ट मूवीज
- अरानयेर दिन रात्रि
- अभिजन
- अशानि संकेत
- महानगर
- नायक
- पारस पत्थर
- प्रतिद्वंदी
- जलसाघर
- अपुर संसार
- चारूलता