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Animal स्टार सौरभ सचदेव का 'भाभी 2' Tripti Dimri से है खास कनेक्शन, बताया- सेट पर मिलने पर कैसा होता था रिएक्शन

रणबीर कपूर और बॉबी देओल स्टारर फिल्म Animal में आबिद का किरदार निभाने वाले अभिनेता सौरभ सचदेव (Saurabh Sachdeva) जल्द ही अनुराग कश्यप के साथ फिल्म बैड कॉप में नजर आने वाले हैं। हाल ही में अभिनेता ने दैनिक जागरण से बातचीत में अपने करियर से लेकर एनिमल पार्क को लेकर बात की है। साथ ही बताया कि उनका Tripti Dimri के साथ क्या कनेक्शन है।

By Rinki Tiwari Edited By: Rinki Tiwari Updated: Mon, 17 Jun 2024 08:13 AM (IST)
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एनिमल की तृप्ति से एनिमल स्टार का ये है कनेक्शन। फोटो क्रेडिट- इंस्टाग्राम
दैनिक जागरण न्यूज नेटवर्क, मुंबई। अभिनेता सौरभ सचदेव (Saurabh Sachdeva) दोहरी जिम्मेदारियों के साथ काम करते हैं। वह एक्टिंग कोच हैं, अपना एक्टिंग स्कूल चलाते हैं। वहीं, दूसरी तरफ खुद अभिनय भी कर रहे हैं। जो शिक्षा वह अपने विद्यार्थियों को देते हैं, उस पर उन्हें भी खरा उतरना पड़ता है। आगामी दिनों में उनकी वेब सीरीज बैड कॉप (Bad Cop) रिलीज होगी। उसके बाद वह धड़क 2 और एनिमल पार्क (Animal Park) फिल्मों में होंगे। उनसे बातचीत के अंश ।

आपने कहा था कि पहले आपको नहीं लगता था कि अभिनय कर पाऊंगा। अब लगता है कि आपने सही निर्णय लिया?

हां, मैं कंफर्ट जोन से बाहर निकलने से डर रहा था, लेकिन आजादी से जिंदगी जीनी है, तो निकलना पड़ता है। मैं उसी तालाब का मेंढक बनकर नहीं रहना चाहता था। अभिनय तो उस वक्त भी करता था, क्योंकि एक्टिंग कोच हूं। डर यह नहीं था कि अभिनय कर पाऊंगा या नहीं। डर यह था कि दुनिया का सामना कैसे करूंगा, लोग अपनाएंगे या नहीं। फिर लगा कि निकलना चाहिए। फेल भी हुआ, तो कम से कम बुरा तो नहीं लगेगा कि कोशिश नहीं की ।

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Animal Star

क्या एनिमल पार्क में अब आबिद के किरदार को निभाने को लेकर दोहरी जिम्मेदारियां हैं?

सच कहूं, तो मुझे पता नहीं है कि कहानी किस दिशा में जाएगी या लेखक और निर्देशक के दिमाग में क्या चल रहा है। देखना होगा कि कहानी में मैं कितना योगदान दे रहा हूं। जब निर्देशक का विजन दिखेगा, तभी किरदार को ढाल पाऊंगा। हालांकि किरदार का जो अंदाज है, वह नहीं बदलेगा। बस परिस्थितियां अलग हो जाएंगी। तृप्ति (डिमरी) और रणबीर (कपूर) के किरदार भी मेरे साथ जुड़ गए हैं।

आप अपनी एक्टिंग क्लास के विद्यार्थियों तृप्ति डिमरी और अविनाश तिवारी के साथ भी अभिनय कर चुके हैं। क्या उनको सेट पर आपके साथ काम करने में झिझक होती है ?

नहीं, ऐसी कोई झिझक नहीं होती है। इज्जत और प्यार होता है। हम एक-दूसरे को जानते हैं, तो सहजता रहती है। मैं प्रयास नहीं करता हूं कि उनका टीचर बनकर सिखाने लग जाऊं। अगर वह कुछ पूछ लें तो मैं बताने के लिए तैयार रहता हूं।

क्या कभी किसी का काम इतना पसंद आया कि वह आपकी कला में दिखने लगा हो ?

हां, जब मैं बैरी जॉन सर के क्लासेस में पढ़ता था, साथ थिएटर भी करता था, उस दौरान मैंने अमिताभ बच्चन की फिल्म अग्निपथ देखी थी। मैं उनके किरदार की तरह एक हाथ कुर्सी के पीछे रखकर बैठता था, आवाज में थोड़ा बेस ले आता था । मेरे साथी कलाकार और दोस्त कहते थे कि तुम अमिताभ बच्चन क्यों बन जाते हो। मुझे यह पता ही नहीं था, अनजाने में हो रहा था। तब मैंने उससे खुद को बाहर निकाला |

यानी खुद को रीपीट न करने का दबाव आप पर है?

हां, क्योंकि मैं एक जुनूनी टीचर भी हूं। मैं जो अपने बच्चों को सिखाता हूं, वहीं खुद भी करता हूं कि प्रयोग करो। मेरे पास कई युवा कलाकार आते हैं, जिनमें से कइयों को सिनेमा की आम जानकारी भी नहीं होती है। जब उनको अलग करने की सीख देता हूं, तो मेरी जिम्मेदारी है कि मैं भी वही करूं। मैं कहता हूं कि भले ही फेल हो जाओ, लेकिन कुछ नया करते रहो । कलाकार होने के नाते आप में डर होता है कि इसमें तो चल गया, अब कुछ नया करूंगा, तो पता नहीं लोग अपनाएंगे या नहीं। काम मिलेगा या नहीं।

आप निर्देशन में आना चाहते थे। कितना काम कर पा रहे हैं?

अगले साल से उस पर काम शुरू करूंगा। दो-तीन स्क्रिप्ट लिखी हुई है। फिलहाल मैं अपने एक्टिंग क्लास से जुड़े ऐप को तैयार करने में लगा हुआ हूं, ताकि छोटे शहर या जिनके पास पैसे नहीं है, वह भी अभिनय सीख सकें। मुंबई महंगा शहर है। यहां आने का सपना बहुत लोगों का होता है।

खुद को प्रमोट करना चाहिए या नहीं, इसको लेकर कलाकारों की अपनी राय है। आप किस खेमे में हैं, प्रमोशन करने वालों के या अपनी दुनिया में रहने वालों के?

मैं पब्लिसिटी में नया हूं। सीख रहा हूं कि मेरे लिए क्या काम करेगा। मुझे समझ आ रहा है कि यह जरूरी है। सबको बताना पड़ता है कि मैं कौन हूं, नहीं तो लोग आपको लेकर धारणा बना लेंगे। आपको याद दिलाते रहना पड़ता है कि मैं प्रोडक्ट हूं मुझे खुद को बेचना पड़ेगा। मुझे बताना पड़ेगा कि मैं ही हूं, जो आपका मनोरंजन कर सकता हूं। कई लोगों को यह कहने में शर्म आती है कि मैं नहीं कहूंगा कि खुद को बेचना है। उन्हें इस सोच से बाहर निकलने की जरूरत हैं, क्योंकि यह हमेशा से होता आया है ।

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