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Saurabh Shukla: 'एक आर्टिस्ट हमेशा छटपटाता रहता...', सौरभ शुक्ला ने खोले दिल के राज, लेखकों के हक में कही ये बात

अभिनेता सौरभ शुक्ला ने बताया कि उन्हें लेखन और निर्देशन से ज्यादा अभिनय करना पसंद है। उनका कहना है कि अभिनेता के लिए काम आसान होता है। पैसा भी ज्यादा मिलता है और लिखी-लिखाई कहानी भी मिल जाती है लेकिन एक लेखक खो जाता है। उनका कहना है कि एक लेखक को वैसी सैलरी भी नहीं मिलती है जिसका वह हकदार होता है।

By Rinki Tiwari Edited By: Rinki Tiwari Updated: Sat, 20 Jan 2024 11:05 AM (IST)
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सौरभ शुक्ला ने बताया- लेखन से ज्यादा क्यों अभिनय है फायदेमंद। फोटो क्रेडिट- इंस्टाग्राम
 जागरण संवाददाता, मुंबई। कई कलाकार हैं, जिनमें लिखने और निर्देशन करने की भी प्रतिभा होती है। वह अपने अभिनय के कन्फर्ट जोन को छोड़कर इन चीजों में अपने हुनर को आजमाते हैं। 'सत्या' और 'जॉली एलएलबी' जैसी फिल्मों में काम कर चुके अभिनेता सौरभ शुक्ला (Saurabh Shukla) भी खुद को चुनौतियां देने में पीछे नहीं रहते हैं। वह लेखक और निर्देशक भी हैं।

कन्फर्ट जोन के बाहर निकलना है पसंद

सौरभ शुक्ला यह जानते हैं कि अभिनय के लिए उन्हें जो प्रसिद्धि और पैसा मिलता है, वह लेखन और निर्देशन से कम है। फिर भी वह अभिनय के साथ यह काम भी करते हैं। सौरभ कहते हैं कि किसी भी आर्टिस्ट का जो कन्फर्ट जोन होता है, वह उसका डिसकन्फर्ट जोन भी होता है।

एक्टर ने आगे कहा कि आप जो भी करते हैं, फिर चाहे आप लिखते हों, निर्देशन करते हों या अभिनय, आप जब वो काम कर लेते हैं और वह सफल हो जाता है, तो आर्टिस्ट हमेशा छटपटाता रहता है कि मैं यह दोबारा नहीं करूंगा। अब कुछ और करूंगा। तो अपने कन्फर्ट जोन को तोड़ना ही उसका कन्फर्ट जोन है।

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लेखन-निर्देशन से अभिनय करना ज्यादा पसंद

सौरभ शुक्ला ने बताया कि उन्हें लेखन और निर्देशन से ज्यादा अभिनय पसंद है, क्योंकि इसमें आराम भी होता है और पैसे भी अच्छे मिलते हैं। बकौल सौरभ,

मैं जब इस फिल्म इंडस्ट्री में आया था तो मैंने खुद को बतौर अभिनेता स्थापित किया, लेकिन कन्फर्ट जोन में जाना था तो लेखन में भी आ गया। फिर निर्देशन भी कर लिया। कभी-कभी लगता है कि अभिनय करने के फायदे हर तरीके से ज्यादा हैं। पैसे अच्छे मिलते हैं।

निर्देशन और लेखन से ज्यादा आरामदायक होता है, जहां आपको बस अपनी तैयारी के साथ सेट पर आना होता है, बाकी चीजों से आपका कोई लेना-देना नहीं होता है, तो आप अपने अभिनय पर ज्यादा फोकस कर पाते हैं।

लेखक को नहीं मिलती डिजर्विंग सैलरी

सौरभ शुक्ला ने कहा कि लोग बतौर लेखक खो जाते हैं और उन्हें उनके हक के पैसे भी नहीं मिलते हैं। एक्टर ने कहा- 

अभिनय आपके करियर को सपोर्ट करता है। मैं यह बात एक एक्टर होने के नाते कह रहा हूं। बतौर अभिनेता कई लोग आपको तैयार करने के लिए आपके आसपास खड़े रहते हैं। पहले से लिखी-लिखाई कहानी आपके लिए तैयार होती है, लेकिन बतौर लेखक आप खो जाते हैं। लेखकों को बहुत अच्छे पैसे भी नहीं मिलते हैं, जिसके वो हकदार होते हैं।

कभी-कभी जब लिखने बैठता हूं तो मुझे लगता है कि मैं क्यों कर रहा हूं। फिर यही ख्याल आता है कि मेरे पास यही एक जिंदगी है। इस एक जीवन में जो मन करता है, जो पसंद है, जिसे करने का मौका भी मिल रहा है, वह कर लेना चाहिए। मुझे खुद को संतुष्ट करना ही है। मुझे अपने सपनों के लिए खुद के साथ सच्चे बने रहना है।

सौरभ शुक्ला कहते हैं, "मैं सामने वाले का सपना पूरा करने के लिए पैदा नहीं हुआ हूं कि मेरे पड़ोसी का सपना पूरा हो जाए। इसलिए सभी आर्टिस्ट जो निर्णय लेते हैं, वह अपने सपनों को पूरा करने के लिए ही लेते हैं। सौरभ आगामी दिनों में फिल्म अभी तो पार्टी शुरू हुई है में नजर आएंगे।

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