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पश्चिम बंगाल में नहीं हो रही 'द केरल स्टोरी' की स्क्रीनिंग, डिस्ट्रिब्यूटर्स बोले- कोई रिस्क नहीं लेना चाहता

The Kerala Story Screening केरल स्टोरी के निर्देशक सुदीप्तो सेन ने दावा किया कि उन्हें पश्चिम बंगाल के कई हॉल मालिकों ने बताया है कि उन्हें धमकी दी गई है और फिल्म को प्रदर्शित नहीं करने के लिए कहा गया है।

By Ruchi VajpayeeEdited By: Ruchi VajpayeeUpdated: Sat, 20 May 2023 09:12 PM (IST)
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Screening of The Kerala Story not happening in West Bengal
नई दिल्ली, जेएनएन। 'द केरल स्टोरी' लगातार दूसरे दिन शनिवार को भी पश्चिम बंगाल के मूवी हॉल से गायब रही क्योंकि थिएटर मालिक इस विवादित फिल्म की स्क्रीनिंग से दूर रहे। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को फिल्म पर पश्चिम बंगाल सरकार के प्रतिबंध को पलट दिया और इसके वितरकों ने इसे लेने के लिए थिएटर मालिकों में दिलचस्पी जगाने की कोशिश की, लेकिन अब तक कोई सफलता नहीं मिली है।

पश्चिम बंगाल में हुई केरल स्टोरी की स्क्रीनिंग

पश्चिम बंगाल में फिल्म के वितरक संदीप साहा ने मीडिया से कहा, "स्थिति में कोई बदलाव नहीं आया है, किसी भी सिनेमाघर मालिक ने अभी तक (फिल्म दिखाने के लिए) हां नहीं कहा है।" शुक्रवार को उन्होंने पीटीआई से कहा था, "हमने हॉल मालिकों और मल्टीप्लेक्स अधिकारियों से कहा है कि वे स्क्रीनिंग के साथ आगे बढ़ सकते हैं क्योंकि अब द केरल स्टोरी' दिखाने में कोई बाधा नहीं है। लेकिन अभी तक कोई भी इसे दिखाने के लिए आगे नहीं आया है।"

हॉल मालिकों को दी गई है धमकी!

फिल्म के निर्देशक सुदीप्तो सेन ने शुक्रवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में दावा किया कि उन्हें कई हॉल मालिकों ने बताया है कि उन्हें धमकी दी गई है और फिल्म को प्रदर्शित नहीं करने के लिए कहा है। सुदीप्तो, जो फिल्म की लीड एक्ट्रेस अदा शर्मा के साथ कोलकाता में एक प्रेस मीट में बोल रहे थे, ने दावा किया कि रिलीज होने के दो सप्ताह के भीतर पूरे देश में 1.5-2 करोड़ लोगों ने फिल्म देखी है।

5 मई को हुई है रिलीज

5 मई को थिएटर हॉल में रिलीज हुई 'द केरल स्टोरी' में दावा किया गया है कि केरल की महिलाओं को इस्लाम में धर्म परिवर्तन के लिए मजबूर किया गया था और आतंकवादी समूह इस्लामिक स्टेट (आईएस) में भर्ती किया गया था। शीर्ष अदालत द्वारा फिल्म पर पश्चिम बंगाल के प्रतिबंध को पलटने के साथ ही एक फैसला आया कि फिल्म को एक डिस्क्लेमर के साथ प्रदर्शित किया जाना चाहिए कि यह एक "काल्पनिक संस्करण" था और इस्लाम में परिवर्तित होने वाली महिलाओं की संख्या के दावों का कोई प्रामाणिक डाटा नहीं था।