सिर्फ एक साल के लिए अभिनय करने की मोहलत मिली है टीवीएफ ट्रिपलिंग की चंचल फेम मानवी गगरू को
डिजिटल प्लेटफार्म पर ‘ट्रिपलिंग’ ‘फोर मोर शाट्स’ जैसी वेब सीरीज और फिल्म ‘शुभ मंगल ज्यादा सावधान’ से लोकप्रियता बटोरने के बाद अभिनेत्री मानवी गगरू हाल ही में जी5 पर प्रदर्शित शो टीवीएफ ‘ट्रिपलिंग’ के तीसरे सीजन में नजर आई हैं।
By Jagran NewsEdited By: Aarti TiwariUpdated: Sat, 29 Oct 2022 06:55 PM (IST)
दीपेश पांडेय।
डिजिटल प्लेटफार्म पर ‘ट्रिपलिंग’ ‘फोर मोर शाट्स’ जैसी वेब सीरीज और फिल्म ‘शुभ मंगल ज्यादा सावधान’ से लोकप्रियता बटोरने के बाद अभिनेत्री मानवी गगरू हाल ही में जी5 पर प्रदर्शित शो टीवीएफ ‘ट्रिपलिंग’ के तीसरे सीजन में नजर आईं। यह तीसरा सीजन मानवी अभिनीत चरित्र चंचल के माता-पिता के अलग होने के विषय पर आधारित है। इस पर मानवी कहती हैं, ‘पहले सीजन से तीसरे सीजन तक चंचल के जीवन और संबंधों में काफी परिवर्तन आए हैं। यह सीजन माता-पिता के साथ संबंधों को लेकर है। हमें लगता है कि माता-पिता हमारे जीवन में हमेशा हमारे ही बनकर रहने वाले हैं। जब हमारे इस विश्वास में दरार आती है तो पैरों तले जमीन खिसक जाती है। ऐसी स्थिति में चंचल का व्यवहार बच्चों जैसा हो जाता है। वह ऐसे ही अपने माता-पिता से लड़ाई करती है, जैसा बच्चे बचपन की नासमझी में कर रहे होते हैं। वह परिपक्व तो हुई है, लेकिन ऐसी परिस्थिति में उसे समझ नहीं आ रहा है कि मेरे माता-पिता ऐसा क्यों कर रहे हैं। पिछले छह-सात वर्षों में मैंने भी अपने अंदर काफी परिवर्तन महसूस किए हैं। मैंने समझा कि समय रहते हमें इन परिवर्तनों को स्वीकार कर लेना चाहिए। दोनों लाकडाउन के दौरान मैं मुंबई में अकेली रही। इस दौरान मुझमें काफी परिवर्तन आए। अब मैं जीवन मजे से जीने लगी हूं। मेरी सोच यह है कि जो होना है, वो तो होगा ही। अब मैं सिर्फ उन्हीं चीजों पर ध्यान देती हूं जो मेरे नियंत्रण में है।’
सालभर की मिली मोहलत
पढ़ाई में अच्छी रहीं मानवी के माता-पिता के मन में अभिनय के पेशे को लेकर कुछ शंकाएं थीं। इस क्षेत्र में आने के लिए मानवी को माता-पिता को मनाना पड़ा। वह बताती हैं, ‘मैं बहुत अच्छी छात्रा रही हूं। स्कूल में ही मैंने डिज्नी चैनल के लिए ‘धूम मचाओ धूम’ शो किया था। कालेज के दौरान मुंबई आकर एक फिल्म भी की, हालांकि ये प्रोजेक्ट मुझे बैठे-बैठे मिल गए थे। अभिनय को ही करियर बनाने जैसी चीजें मस्तिष्क में नहीं थीं। हां, बस एक बार अभिनय में पूरा प्रयास करके देखना चाहती थी। इसके लिए मुझे घरवालों को थोड़ा मनाना पड़ा। पापा को यह पेशा भरोसेमंद नहीं लगता था। यहां कभी काम है, तो कभी नहीं। वह मुझे हमेशा बोलते हैं कि इस क्षेत्र में हमेशा मानसिक तौर पर मजबूत रहना होगा। (हंसते हुए) सो, अभिनय में कोशिश करने के लिए मैंने उनसे एक वर्ष का समय मांगा था। अब घरवालों से मिली प्रशंसा मुझे प्रोत्साहित करती है। कई ऐसे भी प्रोजेक्ट होते हैं, जिन्हें पूरा परिवार एक साथ नहीं देख सकता। जैसे वेब सीरीज ‘फोर मोर शाट्स’ का तीसरा सीजन आ रहा है, वह मेरे पापा नहीं देखेंगे। उन्होंने पहले सीजन का ट्रेलर रिलीज होते ही मुझे यह बोल दिया था। शुरू में जब मैं वेब सीरीज कर रही थी तो घरवालों को संशय था कि यह कर क्या रही है? फिर जब धीरे-धीरे डिजिटल प्लेटफार्म की लोकप्रियता बढ़ी और मुझे ज्यादा लोग जानने लगे, तब कहीं जाकर मेरे लिए उनका सीना गर्व से चौड़ा हो गया।’
तीन बातों का रखती हूं ध्यान
मानवी प्रोजेक्ट्स का चयन तीन बातों के आधार पर करती हैं। इनके बारे में वह बताती हैं, ‘कहानी ऐसी होनी चाहिए कि जब मैं स्क्रिप्ट पढ़ूं, तो वह एक पुस्तक की तरह लगे। ऐसी पुस्तक जिसे मैं एक बार पढ़ना शुरू करूं, तो उसे समाप्त करने के बाद ही रखूं। दूसरा, उस प्रोजेक्ट के निर्माता, निर्देशक और टीम व्यक्तिगत तौर पर और टेक्नीकली अच्छे होने चाहिए। अगर प्रोजेक्ट में ये दोनों चीजें नहीं हैं तो कम से कम पैसे अच्छे मिलने चाहिए। मेरा मानना है कि कोई प्रोजेक्ट करने से पहले आपको यह स्पष्ट होना जरूरी है कि आप उसे किस वजह से कर रहे हैं।’