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SD Burman Birth Anniversary: राजगद्दी छोड़ एसडी बर्मन ऐसे बने संगीत के सम्राट, आज भी बरकरार है आवाज का जादू

SD Burman Birth Anniversaryएसडी बर्मन को हिंदी सिनेमा में अपने अहम योगदान के लिए याद किया जाता है। उन्होंने हिंदी सिनेमा के साथ-साथ बंगाली सिनेमा में भी कई यादगार गीतों को संजोया है जो आज भी लोगों की जुबान पर रहते हैं।

By Nitin YadavEdited By: Updated: Sat, 01 Oct 2022 03:25 PM (IST)
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SD became such that emperor of music world became even today magic of voice remains intact
नई दिल्ली, जेएनएन। SD Burman Birth Anniversary: हिंदी संगीत और सिनेमा को सजाने में बहुत से गायकों और संगीतकारों का अहम योगदान रहा है।  कुछ सितारों ने अपनी ऐसी छाप छोड़ी कि जमाने बदल गए, लेकिन उनका जादू आज भी कम नहीं हुआ है। ऐसे ही एक संगीतकार थे सचिन देव बर्मन। सचिन देव बर्मन को लोग आज भी एसडी बर्मन के नाम से जानते हैं। भारतीय सिनेमा में उनके योगदान को कभी नहीं भुलाया जा सकता है। उन्होंने अपनी आवाज और संगीत से भी खूब नाम कमाया।  

एसडी बर्मन का जन्म 1 अक्टूबर, 1906 को त्रिपुरा में हुआ था। उन्होंने कलकत्ता विश्वविद्यालय से स्नातक पास करने के बाद संगीत की दुनिया में प्रवेश किया। एसडी बर्मन को संगीत के गुर अपने पिता से मिले थे, उनके पिता राजा होने के साथ-साथ प्रसिद्ध सितार वादक और ध्रुपद गायक भी थे और उन्होंने ही एसी बर्मन को बचपन में ही संगीत की बारीकियां सिखाई थीं।

ऐसे हुई संगीत की दुनिया में एंट्री

कलकत्ता विश्वविद्यालय से पढ़ाई करने के बाद एसडी बर्मन ने 1932 में कलकत्ता स्थित रेडियो स्टेशन में गायक के तौर पर अपने करियर की शुरुआत की। इसके बाद उन्होंने बांग्ला फिल्मों में गाने गाए और फिर बंगाली प्ले भी किए। इसके बाद उन्होंने अपने रुझान को हिंदी फिल्मों की ओर मोड़ दिया और साल 1944 में मुंबई आ गए, जहां उन्होंने साल 1946 में आई फिल्म शिकारी और आठ दिन जैसी फिल्मों को संगीत दिया। इन फिल्मों में म्यूजिक देने के बाद एसडी बर्मन ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा और उन्होंने 100 से भी ज्यादा फिल्मों में संगीत दिया। 

इन गानों को दी अपनी आवाज

आपको बता दें, उन्होंने 100 से ज्यादा फिल्मों में म्यूजिक देने के साथ-साथ 14 हिंदी फिल्मों के गानों को भी अपनी आवाज दी थी, जिसमें कई सुपरहिट गाने शामिल हैं। उन्होंने गाइड में अल्ला मेघ दे, पानी दे., वहां कौन है तेरा मुसाफिर जाएगा कहां, फिल्म प्रेम पुजारी में प्रेम के पुजारी हम हैं..., फिल्म सुजाता में सुन मेरे बंधु रे, सुन मेरे मितवा जैसे गीतों को अपनी आवाज देकर उन्हें अमर बना दिया। इसके अलावा मशहूर संगीतकार ने 1969 में आई फिल्म आराधना में भी संगीत दिया था। इस फिल्म से एक ओर सुपरस्टार के रूप में राजेश खन्ना को पहचान मिली, तो दूसरी ओर गायक किशोर कुमार के करियर को भी नई ऊंचाई मिली।     

टीम के हार में हो जाते थे दुखी

बताया जाता है कि एसडी बर्मन संगीत के साथ-साथ फुटबॉल से भी उतना ही प्यार करते थे और अपनी टीम के मैच हार जाने पर वो बेहद दुखी होते थे। वहीं, कई मीडिया रिपोर्ट्स में दावा भी किया जाता है कि वो टीम की हार के बाद ही दुख भरे गाने लिखते थे।   

पद्मश्री पुरस्कार से किया सम्मानित

सिनेमा में अपने इस अनमोल योगदान के लिए उन्हें साल 1958 में संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से सम्मानित गया और साल 1969 में पद्मश्री से सम्मानित किया गया था। इसके अलावा एसडी बर्मन दो बार राष्ट्रीय पुरस्कार भी जीत चुके हैं।  

बेटे ने लगाया धुन चोरी करने का आरोप

एसडी बर्मन के बेटे आरडी बर्मन ने एक बार अपने पिता पर अपनी धुन चुराने का आरोप लगाया था। ये मामला देवानंद की फिल्म फंटूश के एक गाने का है।

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