बच्चे न होने पर छलका Shabana Azmi का दर्द, बोलीं- अधूरा रहा मां बनने का सपना, समाज ने कसा तंज
बॉलीवुड की दिग्गज अदाकारा रहीं शबाना आजमी (Shabana Azmi) आज तक फिल्म इंडस्ट्री में अपने दमदार अभिनय के लिए जानी जाती हैं। उन्होंने अपने जमाने में कई हिट फिल्में डिलीवर कीं और उम्र के इस पड़ाव पर भी वह स्क्रीन पर दमदार काम करते देखी जा सकती हैं। आज इस दिग्गज अदाकारा का जन्मदिन है। उन्होंने हाल ही में अपनी जिंदगी के सबसे मुश्किल पल का खुलासा किया।
एंटरटेनमेंट डेस्क, नई दिल्ली। शबाना आजमी (Shabana Azmi) ने 70-80 के दशक में एक से बढ़कर एक फिल्में कर इंडस्ट्री के लोगों के बीच पहचान बनाई। उन्हें ग्लैमरस रोल में शायद ही देखा गया हो, लेकिन सिंपल और सुशील किरदार में भी स्क्रीन पर शबाना ने धाक जमा दी थी। आज इस दिग्गज अदाकारा का जन्मदिन है। इस खास मौके पर उन्होंने अपनी लाइफ के अहम पहलू पर बात की है।
शबाना आजमी ने इंडस्ट्री में 'अंकुर' फिल्म से शुरुआत की थी। 1974 में अपनी इस पहली फिल्म से लेकर 'रॉकी और रानी की प्रेम कहानी' तक, शबाना आजमी ने साबित किया है कि वह उम्र के इस पड़ाव पर भी हट कर रोल्स कर सकती हैं। न सिर्फ प्रोफेशनल लाइफ में, बल्कि पर्सनल लाइफ में भी शबाना ने बोल्ड डिसिशन लेकर अपनी जिंदगी को एक शेप देने की कोशिश की।
शबाना को ध्यान में रखते हुए लिखा था ये गाना
इंडियन एक्सप्रेस को दिए इंटरव्यू में शबाना ने बताया कि पॉपुलर सॉन्ग 'कत्थई आंखों वाली इक लड़की' गाना जावेद अख्तर ने उन्हें ध्यान में रखते हुए लिखा था। उन्होंने कहा कि रिलेशन में रोमांस जरूरी है। इसी के साथ दोस्त बनकर रहना भी काफी जरूरी है।नहीं बन सकती मां
शबाना ने बताया कि जब उन्हें पता चला कि वह मां नहीं बन सकतीं, तो वह टूट गई थीं। उन्होंने कहा, ''मेरे लिए इस बात को मानना मुश्किल था कि मैं कभी मां नहीं बन सकती। जब एक महिला मां नहीं बन सकती, तो ये समाज उसे अधूरा महसूस कराता है। इस सिचुएशन से बाहर निकलने के लिए आप ही को मेहनत करनी पड़ती है।''अपने काम में ढूंढनी चाहिए खुशी'
शबाना ने आगे कहा कि महिलाएं अक्सर अपनी कीमत का अंदाजा रिश्तों से लगाती हैं, जबकि ऐसा नहीं कर सकते। उनके लिए काम और करियर ही उनकी खुशी है। मुझे लगता है कि महिलाओं को भी काम में अपनी खुशी ढूंढनी चाहिए। बता दें कि शबाना आजमी ने 1984 में जावेद अख्तर से शादी की थी। जावेद करियर के शुरुआती दिनों में शबाना आजमी के घर उनके पिता कैफे आजमी से उर्दू की शायरी सीखने जाया करते थे। यहीं पर दोनों की पहली मुलाकात हुई थी, जो धीरे-धीरे दोस्ती और फिर मोहब्बत में बदल गई।
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