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‘स्वदेस’ से लेकर ‘पृथ्वीराज’ तक देश के लिए कुछ कर गुजरने का जज्बा जगाती हैं ये फिल्में

अंतिम हिंदू सम्राट पृथ्वीराज चौहान और उनकी पत्नी संयोगिता की अमर प्रेम कहानी और उनकी गौरवगाथा दर्शाती यशराज बैनर की फिल्म ‘पृथ्वीराज’ आएगी। अक्षय कुमार और मानुषी छिल्लर अभिनीत इस फिल्म का निर्देशन चंद्रप्रकाश द्विवेदी ने किया है। पृथ्वीराज चौहान दिल्ली पर शासन करने वाले अंतिम राजपूत राजा थे।

By Ruchi VajpayeeEdited By: Updated: Fri, 11 Feb 2022 12:41 PM (IST)
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Image Source: Akshay Kumar Flim Prithviraj Poster on Social media
प्रियंका सिंह, मुंबई। प्रेम में समर्पण है, सद्भाव है, साथ ही सर्वस्व न्यौछावर करने का भाव भी इसके मूल में हैर्। हिंदुस्तानी सिनेमा में प्रेम हमेशा मौजूद रहा है। इनमें कुछ कहानियां ऐसी भी रही हैं, जिनमें देशहित को सर्वोपरि रखते हुए नायक या नायिका ने हंसते-हंसते प्रेम का त्याग कर दिया। ‘स्वदेस’, ‘वीर जारा’, ‘गदर-एक प्रेम कथा’, ‘पानीपत’, ‘पद्मावत’, ‘तान्हाजी- द अनसंग वारियर’, ‘राजी’, ‘शेरशाह’ जैसी फिल्में इसकी बानगी हैं। स्वाधीनता के अमृत महोत्सव के मौके पर जब देश के लिए जीने और मर-मिटने के आदर्श हृदय को आंदोलित करते हैं तब प्रेम के सर्वोच्च रूप को प्रदर्शित करती ऐसी कहानियों का जिक्र भी स्वाभाविक है। 

सत्य घटना से प्रेरित फिल्म ‘राजी’ की कहानी साधारण सी लड़की सहमत (आलिया भट्ट) की थी, जिसने 1971 में भारत-पाकिस्तान युद्ध के समय पिता के कहने पर एक पाकिस्तानी फौजी परिवार के लड़के से शादी की ताकि वहां पर जासूसी की जा सके। शादी के बाद दोनों के हृदय में एक-दूसरे के लिए प्रेम पनपता है, लेकिन दोनों कहते हैं कि वतन के आगे कुछ नहीं...खुद भी नहीं। प्रेम की इन भावनाओं को हिंदी सिनेमा में हर दौर में अलग-अलग कहानियों के जरिए दर्शाया गया है। फिल्म ‘तान्हाजी: द अनसंग वारियर’ में तान्हाजी की पत्नी सावित्री बाई बेटे के विवाह उत्सव को पृष्ठभूमि में रखकर स्वयं उन्हें विजय का तिलक करके रणभूमि में भेजती हैं।

देश हित के लिए त्याग देता है खुशी:

फिल्म ‘शेरशाह’ कारगिल युद्ध में शहीद हुए कैप्टन विक्रम बत्रा की जिंदगी पर आधारित थी। कैप्टन विक्रम बत्रा के शहीद हो जाने के बाद उनकी गर्लफ्रेंड डिंपल चीमा ने अपनी बाकी जिंदगी उनकी यादों के सहारे गुजारने का फैसला किया। फिल्म में डिंपल का किरदार कियारा आडवाणी ने निभाया था। वह कहती हैं कि एक आर्मी आफिसर का जाब जोखिमभरा होता है, इसके बावजूद उनके सपनों को सपोर्ट करना नि:स्वार्थ प्रेम ही तो है उनकी ड्यूटी के बारे में आप पूछ भी नहीं सकते हैं कि आज का दिन कैसा रहा? चंद पल आपको मिलते हैं उनके साथ बात करने के। उसके बावजूद प्यार में कमी नहीं आती। यह सही मायने में सच्चा प्यार है। डिंपल त्याग की प्रतिमूर्ति हैं। यह त्याग उन्हें खुशी देता है। जब भी वह कैप्टन विक्रम बत्रा के बारे में बात करती हैं तो गर्व, प्रेम और खुशी का एहसास उनकी आंखों में झलकता है। उन्हें लगता है कि विक्रम उनके साथ हैं।

भावनाओं का विस्फोट:

देश विभाजन पर बनी फिल्म ‘गदर- एक प्रेम कथा’ भी प्रेम के एहसास को बयां करने वाली बेहतरीन फिल्म है। सनी देओल का किरदार तारा सिंह पाकिस्तान से अपने प्रेम और पत्नी सकीना को लेने के लिए जाता है। पाकिस्तान में हिंदुस्तान जिंदाबाद के नारे लगाता है तो उसका प्रेम अपने देश के लिए भी नजर आता है। फिल्म के निर्देशक अनिल शर्मा कहते हैं कि देश विभाजन के बैकड्राप पर इस फिल्म की कहानी को सेट किया गया था, लेकिन हमारी कहानी लव स्टोरी ही थी। पाकिस्तान में हैंड पंप को उखाड़ने वाले सीन में भावनाओं का विस्फोट था। अमरीश पुरी के किरदार के सामने तारा सिंह अपने प्रेम के लिए घुटने टेक देता है, लेकिन जब उसे कहा जाता है कि हिंदुस्तान मुर्दाबाद कहो तो अपने प्रेम के साथ ही अपने देश के लिए उसका जो प्रेम है, वह सामने आ जाता है। हर इंसान की तरह उसकी भावनाओं का विस्फोट होता है। वह प्रेम के लिए लड़की के पिता के सामने पूरी तरह से झुक गया था, लेकिन जब उसके देश के बारे में गलत बोलेंगे तो प्रेम में इतना अंधा नहीं हो जाएगा कि देश

के मान-सम्मान को भूल जाए। उसके लिए देशप्रेम सर्वोपरि है।

प्रेम साथ लाता है जिम्मेदारी:

यश चोपड़ा निर्देशित शाह रुख खान और प्रीति जिंटा अभिनीत फिल्म ‘वीर जारा’ ने प्रेम का वास्तविक अर्थ समझाया। यह प्रेमी युगल की कहानी है जो एकदूसरे से बेहद प्रेम करते हैं, पर उनका प्यार गैरजिम्मेदार नहीं है। भारतीय वायुसेना के अधिकारी वीर को झूठे आरोपों में 22 सालों के लिए पड़ोसी देश की जेल में कैद कर दिया जाता है। इस दौरान वह न ही प्रेमिका का नाम लेकर उसकी इज्जत उछालता है, न ही अपने देश से जुड़ी कोई खुफिया जानकारी साझा करता है, वहीं जारा हिंदुस्तान आकर अपने प्रेमी के सपने को पूरा करती है और लड़कियों के लिए स्कूल खोलती है। फिल्म में संदेश दिया कि प्रेम का अर्थ सिर्फ पाना नहीं है, बल्कि एक-दूसरे के प्रति जिम्मेदारियों को निभाना है। यश चोपड़ा ने इस फिल्म की मेकिंग के दौरान बताया था कि यह उनकी सबसे मुश्किल फिल्मों में से एक थी। इस फिल्म में प्रेम का असली अर्थ समझाना बहुत जरूरी था कि वीर और जारा के लिए प्रेम ही धर्म है।

सामाजिक संदेश अहम:

फिल्ममेकर आशुतोष गोवारिकर देश को गौरवान्वित करने वाली कहानियों को फिल्मों में उकेरने के लिए जाने जाते हैं। उनकी फिल्म ‘स्वदेस’, ‘पानीपत’, ‘लगान’ में नायक-नायिका का नि:स्वार्थ प्रेम उन्हें तमाम बाधाओं से लड़ने की ताकत देता है। ‘स्वदेस’ फिल्म में एनआरआई मोहन भार्गव (शाह रुख खान) अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा में कार्यरत है। स्वदेस आने पर वह यह बात शिद्दत से महसूस करता है कि उसके देश को उसकी पढ़ाई और

अनुभवों की कितनी जरूरत है तो बदलाव लाने के लिए छोटा सा प्रयास करता है। जब वह वापस नासा लौटता है तो उसकी प्रेमिका उसके साथ नहीं जाती है, क्योंकि उसे लगता है कि बतौर स्कूल टीचर वह जिन बच्चों को शिक्षा देकर बदलाव लाना चाह रही है, वह उद्देश्य अधूरा रह जाएगा। आशुतोष कहते हैं कि एक फिल्म सिर्फ रोमांटिक, पारिवारिक या देशभक्ति वाली हो सकती है, लेकिन जब उसे कई भावनाओं के साथ मिलाकर बनाया जाता है तो कहानी में कहने के लिए बहुत कुछ होता है। ‘स्वदेस’ बनाते समय मैं यही चाहता था कि जो सामाजिक संदेश मैं देना चाहता हूं, वह लोगों तक पहुंचे, लेकिन प्रेम और मनोरंजन के एंगल के साथ। मेरी फिल्म में प्रेम के एहसास वाले गाने थे, लेकिन वे उस कहानी को भी आगे लेकर जा रहे थे। मैं ऐसी फिल्में बनाना चाहता हूं, जो विचारोत्तेजक हों। सोचने पर मजबूर करें, जीवन, देश और समाज की झलक दिखाएं।

पृथ्वीराज चौहान की गौरवगाथा:

आगामी दिनों में अंतिम हिंदू सम्राट पृथ्वीराज चौहान और उनकी पत्नी संयोगिता की अमर प्रेम कहानी के साथ ही उनकी गौरवगाथा दर्शाती यशराज बैनर की फिल्म ‘पृथ्वीराज’ आएगी। अक्षय कुमार और मानुषी छिल्लर अभिनीत इस फिल्म का निर्देशन चंद्रप्रकाश द्विवेदी ने किया है। पृथ्वीराज चौहान दिल्ली पर शासन करने वाले अंतिम राजपूत राजा थे।

मुहम्मद गोरी ने दिल्ली पर 17 बार हमला किया और 16 बार पृथ्वीराज चौहान और उनकी सेना ने उसे बुरी तरह पराजित किया। उनकी गौरवगाथा के साथ प्रेम कहानी भी अनूठी है। वेब पर भी है यही अंदाज पूरी दुनिया में देश का नाम ऊंचा करने वालों में शामिल टाटा परिवार के 200 साल के सफर पर वेब सीरीज बनाने की तैयारी है। यह वेब सीरीज वरिष्ठ पत्रकार गिरीश कुबेर की किताब ‘द टाटाज- हाउ अ फैमिली बिल्ट अ बिजनेस एंड अ नेशन’ पर आधारित होगी। टाटा परिवार में सबसे अहम नाम बिजनेसमैन रतन टाटा का है। उन्होंने भी व्यक्तिगत प्रेम से ज्यादा देश के विकास में योगदान को प्राथमिकता दी।

एक इंटरव्यू के दौरान रतन टाटा ने बताया था कि अमेरिका के लास एंजिलिस में जाब करने के दौरान उन्हें एक लड़की से प्यार हो गया था। वह शादी करने वाले थे, लेकिन एक समय ऐसा आया कि उन्हें देश लौटना पड़ा। उनकी दादी बीमार थीं, वह उनसे सात साल से मिले नहीं थे। उन्हें लगा था कि जिनसे प्रेम करते है, वह भी भारत उनके साथ आएंगी, लेकिन 1962 के भारत-चीन युद्ध की वजह से उस लड़की के माता-पिता नहीं चाहते थे कि वह रतन टाटा के साथ भारत जाएं। रतन भी नहीं रुके और जिससे प्रेम करते थे, उससे बिछुड़ने का दर्द लेकर वतन लौट आए।

सोनी लिव पर रिलीज वेब सीरीज ‘राकेट ब्वायज’ भारतीय वैज्ञानिक विक्रम साराभाई और होमी जहांगीर भाभा पर आधारित है। भारतीय परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम के जनक होमी जहांगीर भाभा देश की तरक्की सुनिश्चित करने के जुनून के आगे अपने प्रेम की परवाह नहीं की। उनका किरदार जिम सरभ ने निभाया है। वह कहते हैं कि होमी भाभा के जीवन में पिप्सी (परवाना ईरानी) नामक महिला थीं। होमी काम में इतना व्यस्त रहते थे कि अपने रिश्ते को नाम नहीं दे पाए। लोग अक्सर प्रेम में दुनिया छोड़ने की बात करते हैं, लेकिन होमी भाभा ने देश को उसके आगे रखा।