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डिप्रेशन और कास्टिंग काउच पर खुलकर बोलीं शमा सिकंदर, सुनकर हिल जायेंगे आप

शमा- जो लड़कियां ऐसा कर रही हैं मैं उनको सैल्यूट करती हूं। जो अपनी मर्जी से ऐसा कर रही हैं वो ठीक है, पर जो नहीं करना चाहतीं उन्हें तकलीफ नहीं पहुंचनी चाहिए..

By Hirendra JEdited By: Updated: Sun, 07 Oct 2018 09:58 AM (IST)
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डिप्रेशन और कास्टिंग काउच पर खुलकर बोलीं शमा सिकंदर, सुनकर हिल जायेंगे आप
मुंबई। महज सोलह साल की उम्र में फिरोज़ ख़ान की फ़िल्म 'प्रेम अगन' से अपना बॉलीवुड सफ़र शुरू करने वाली अभिनेत्री शमा सिकंदर इन दिनों अभिनय के अलावा फ़िल्ममेकिंग पर भी फोकस कर रही हैं। हाल ही में जागरण डॉट कॉम से उन्होंने अपने कैरियर समेत तमाम मुद्दों पर खुल कर बात की।

इस बातचीत में शमा ने बताया कि वो लंबे समय तक डिप्रेशन में रही हैं। गौरतलब है कि दीपिका पादुकोण समेत कई अभिनेत्रियों ने भी इस तरह की बातें की हैं। शमा के मुताबिक- 'हम सब पैदा ही डिप्रेशन के साथ होते हैं। कई लोगों को यह पता भी नहीं होता कि वो डिप्रेशन में हैं और वो डॉक्टर तक पहुंच ही नहीं पाते। डॉक्टर भी दवाइयों पर ही ध्यान देने को कहते हैं। बहुत कम डॉक्टर्स मेडिटेशन थिरेपी की बात करते हैं। दवाइयों तो बस आपको बीस प्रतिशत तक ही ठीक करता है और इन दवाइयों का असर बहुत गहरा होता है हम पर। आपके दिमाग का पूरा सिस्टम बदल जाता है। डिप्रेशन के बाद थिरेपी ज़रुरी है। मैं चार साल तक थिरेपी पर गयी। ये एक तरह का मेडिटेशन होता है। यहां चीज़ें साफ़ होने लगती हैं, आप इसके जरिये अपने बचपन की यादों तक जाते हैं, कभी कभी पिछले जन्म में भी आप चले जाते हैं। वहां से चींजें आपको दिखने लगती हैं कि कहां समस्या है? फिर आप उससे बाहर निकल पाते हैं।'                              


शमा कहती हैं कि- 'हमारी आत्माओं पर, हमारे अवचेतन मन में कई चीज़ें होती हैं जिसका असर हमारे व्यक्तित्व पर होता है। यह हमें पता ही नहीं होता! जब असल में मुझे डिप्रेशन का दौरा पड़ा तब तो सब ठीक था मेरी लाइफ में। मुझे तब बिल्कुल पता नहीं था कि डिप्रेशन की वजह इतनी गहरी है और ये मेरे पुराने किसी अनुभव के कारण है। मैं समझ ही नहीं पा रही थी कि क्या परेशानी है? रात-रात भर मैं उठकर रोती थी, मुझे नींद ही नहीं आती थी और नींद न आने के कारण फ्रस्ट्रेशन और बढ़ जाती थी। नींद की दवाइयां लेती थी।'

शमा आगे कहती हैं- 'एक्टर्स की लाइफ में तो और भी कई तरह की प्रॉब्लम होती हैं। क्योंकि हम कई किरदारों को जीते हैं। हर किरदार का गहरा असर हम पर होता है। आप कई बार समझ ही नहीं पाते कि मैं कौन हूं? असल में मैं क्या हूं? असल में ये एक्टर की ही नहीं सबकी प्रॉब्लम है। सबके साथ कुछ न कुछ उम्मीदें जुड़ जाती हैं और सबको सबकी उम्मीदों पर खरा उतरना पड़ता है। लोग अपनी उम्मीद को जान ही नहीं पाते।'

शमा कहती हैं- 'मेरे साथ ये था कि बचपन में मेरा कोई दोस्त नहीं था तो मैं खुद से ही बातें करती रहती थी। सब मुझे पागल भी समझते थे। लेकिन, मैं उन्हें कहती थी कि मैं गॉड से बात करती हूं, वही मेरा दोस्त है। मुझे लगता है खुद से बात करना आपकी एक बड़ी एक ताकत है। मैंने अपने आप के साथ बहुत वक्त बिताया है। कई लोग अकेले रह ही नहीं पाते। तब मैं देखती हूं कि ज्यादा से ज्यादा लोग डिप्रेशन में जा रहे हैं। किसी के पास एक सच्चा दोस्त नहीं है। तो कई वजहें हैं, असुरक्षायें हैं जो आपको डिप्रेशन में ले जाती हैं।'

इसका समाधान क्या हो? यह पूछने पर शमा बताती हैं कि- 'एक इंसान के रूप में हमें ये करना चाहिए कि आप आईने के पास खड़े हो जाइए और अपने आपको देखिये। अपने आपको खोजिये। अपनी नकारात्मक और सकारात्मक पहलू को देखिये। वहां से चीज़ें बेहतर करने की कोशिश कीजिये। मेडिटेशन भी बेहद कारगर होता है!' शमा यह भी बताती हैं कि- ' हमारा एजुकेशन सिस्टम ऐसा है कि हम सब रोबोट्स बनते जा रहे हैं। सबको एक ही चीज़ पढ़ाई जा रही है। कई बातें ऐसी पढ़ाई गयी जिसका जीवन में कोई काम ही नहीं है। आज तक किसी ने यह नहीं बताया कि ये इमोशन आपमें आ रहा है तो इसको कैसे हैंडिल करना चाहिए? जो ज़रुरी बातें हैं वो बताई ही नहीं गईं। तो एजुकेशन सिस्टम को थोड़ा सेंसिटिव होने की ज़रूरत है।'

कास्टिंग काउच पर पूछे गए सवाल के जवाब में शमा कहती हैं कि- 'देखिये ये हमारी इंडस्ट्री में होता तो है। हम मना नहीं कर सकते। हमारी क्या हर इंडस्ट्री में, पूरी दुनिया में सेक्स को लेकर एक उत्सुकता है और इस बात से आप इंकार नहीं कर सकते। कुछ लोगों को लगता है कि मेरे पास पावर है तो मैं कुछ भी कर सकता हूं। चाहे वो स्त्री हो या पुरुष! जिसके पास ताकत है वो अपने हिसाब से चीज़ें तय करने लगता है। कास्टिंग काउच हमेशा से रहा है हमारी इंडस्ट्री में अब अंतर ये आया है कि लोग इस पर खुलकर बातें करने लगे हैं।'

वो आगे कहती हैं- 'अब आप कहेंगे कि कोई किसी को बंदूक की नोंक पर ऐसा करने को नहीं कहता? तो मैं कहूंगी कि एक जो लड़की आई है जिसके पास खाने के पैसे नहीं हैं, जिसकी मज़बूरी है और किसी के पास है कुछ देने के लिए तो उसके पास चॉइस है कि मैं इसकी मदद क्यों करूँ? क्या मैं इससे बदले में कुछ ले सकता हूं या ऐसे ही मदद कर दूं? अगर आप किसी लड़की को बिना किसी शर्तों पर काम देंगे तो वो आपसे ये नहीं कहेगी कि मुझे आपके साथ सोना है? होता ऐसा है कि ऐसे लोग आपके दिमाग से खेलने लग जाते हैं। वो इस तरह से चीज़ों को पेश करते हैं कि आपको लगने लगता है बिना उनकी सहायता के आप कुछ भी नहीं कर सकते और एक के बाद एक हर कोई इसी तरह से आपको ट्रीट करने लगता है तो आपके पास कोई रास्ता नहीं बचता! मैंने समझौते नहीं किये और इसलिए मेरे पास आज बड़ी फ़िल्में नहीं हैं।'

शमा यह भी कहती हैं कि- 'हमारे देश में सेक्स को बहुत दबा कर रखा गया है इसलिए इस तरह की चीज़ें सुनने को मिलती हैं। इसलिए भी अब रेप की तादाद में बढ़ोतरी हो रही है। कोई एजुकेशन सिस्टम भी नहीं है। इन बातों को ध्यान से समझने की ज़रूरत है। यह एक ऐसी समस्या है जो हमारे समाज के जड़ो तक फ़ैल चुकी है। जो लड़कियां ऐसा कर रही हैं मैं उनको सैल्यूट करती हूं। जो अपनी मर्जी से ऐसा कर रही हैं वो ठीक है, पर जो नहीं करना चाहतीं उन्हें तकलीफ नहीं पहुंचनी चाहिए।'