क्यों Dharmendra का चेहरा देखते ही Shammi Kapoor ने दोगुनी कर दी थी अपनी फीस?
हिंदी सिनेमा के दिग्गज अभिनेता शम्मी कपूर की फिल्में आज भी दर्शक बड़े चाव से टीवी पर देखते हैं। उनके गानों पर डांस करते हैं। 21 अक्टूबर को कश्मीर की कली एक्टर की बर्थ एनिवर्सरी है। इस मौके पर हम आपको शम्मी कपूर और धर्मेंद्र से जुड़े उस किस्से के बारे में बताने जा रहे हैं जब हीमैन को सामने देख अभिनेता ने अपनी फीस बहुत ज्यादा बढ़ा दी थी।
एंटरटेनमेंट डेस्क, मुंबई। सिनेमा के पर्दे पर शम्मी कपूर के अभिनय और डांस के दर्शक दीवाने थे, तो उनकी दरियादिली और जिंदादिली के किस्से भी मशहूर थे। स्व. शम्मी कपूर की जन्मतिथि (21 अक्टूबर) के अवसर पर उनसे जुड़ी रोचक स्मृतियां साझा कर रहे हैं फिल्मकार राहुल रवेल...
शम्मी कपूर से पहली ही मुलाकात में बन गए थे उनके दीवाने
याहू...चाहे कोई मुझे जंगली कहे...फिल्म ‘जंगली’ के इस गाने में शम्मी कपूर का मस्त अंदाज आज भी दिलों में हलचल पैदा कर देता है। डांस ऐसा कि झूमने पर मजबूर कर दे तो वहीं रोमांटिक नायक से लेकर चरित्र भूमिकाओं तक में उन्होंने ऐसी छाप छोड़ी थी कि लगता मानो वे पात्र उनके लिए ही लिखे गए थे।
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शम्मी कपूर जी के साथ मैंने बतौर निर्देशक पहली बार फिल्म ‘बीवी ओ बीवी’ में काम किया था। उसके क्लाइमैक्स में एक चेज सीक्वेंस में उनकी झलक थी। गिमिक के लिए हमने उनका लोकप्रिय गाना चाहे मुझे कोई जंगली कहे... डाला था। बस दो दिन काम किया था, पर उन्होंने इतना प्रभावित किया कि जब ‘बेताब’ की कास्टिंग का वक्त आया तो मेरे जेहन में शम्मी जी का ही ख्याल आया।
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मोल भाव पड़ गया भारी
‘बेताब’ का निर्देशन मुझे करना था। धरम जी (अभिनेता धर्मेंद्र) इस फिल्म के निर्माता थे लेकिन धन से जुड़े मामले उनके जीजा बिक्रमजीत देखा करते थे। ‘बेताब’ के लिए मैंने शम्मी जी से बात की। उस समय काम के एवज में उन्होंने तीन लाख रुपये मांगे, मैंने ये बात जाकर बिक्रमजीत से कही। उन्हें ये अधिक लगे तो उन्होंने धरम जी को आगे करके इनमें कुछ कटौती करवाने की योजना बनाई।- साल 1983 में रिलीज हुई थी बेताब
- सनी देओल-अमृता सिंह ने निभाया था मुख्य किरदार
- धर्मेंद्र थे फिल्म के निर्माता
- शम्मी कपूर ने निभाई थी सरदार दिनेश सिंह की भूमिका
धरम जी पहले तो हिचके, पर फिर मान गए। शम्मी जी से उन्होंने फिल्म की चर्चा की फिर पूछा कि पैसे कितने लेंगे, इस पर शम्मी जी तपाक से बोले बेटा पांच लाख रुपये लूंगा। सब सोच में पड़ गए कि तीन लाख से कम करवाने के चक्कर में अब पांच लाख पर बात आ गई। शम्मी जी मुस्कुराते हुए बोले कि ये समझो कि दो लाख पेनाल्टी है। कमाल की बात रही कि धरम जी उसके लिए राजी हो गए। ये बतौर कलाकार शम्मी जी का सम्मान था। दरअसल उन्हें निर्माताओं का मोल भाव करना पसंद नहीं थी, पर हंसी-मजाक के साथ अपनी बातें मनवाना भी उन्हें बखूबी आता था।
SHAMMI KAPOOR- IMDB
कश्मीर से था खास रिश्ता
‘बेताब’ की शूटिंग हमने कश्मीर में की थी। शम्मी जी का कश्मीर और वहां के लोगों से एक अलग ही रिश्ता बन गया था। दरअसल ‘कश्मीर की कली’ से लेकर ‘बेताब’ तक उन्होंने वहां पर इतनी फिल्मों की शूटिंग की थी कि लोग भी उन्हें अपने बीच देखने के अभ्यस्त हो गए थे। ‘बेताब’ के बाद जब मैं ‘लव स्टोरी’ की शूटिंग के लिए कश्मीर गया, तो वहां लोग पूछने लगते थे कि शम्मी जी नहीं आए। डल झील पर शिकारे वालों से लेकर बाजार के दुकानदारों तक हर कोई उनके बारे में पूछता था। वहां पर उनकी दरियादिली के किस्से भी मशहूर थे। श्रीनगर में ओबेरॉय होटल्स के लेक पैलेस होटल में वह ठहरते थे। शूटिंग समाप्त होने के बाद जब वह अगले दिन वहां से रवाना होते तो होटल के लंबे कारिडोर में स्टाफ उन्हें देखने और विदा करने के लिए मौजूद रहता।SHAMMI KAPOOR- IMDB
शम्मी जी के अगल-बगल दो लोग होते थे, जिनके हाथ में रुपयों से भरी बड़ी से पोटली होती थी, शम्मी जी दोनों हाथों से जितने भी रुपये हाथ में आते वो स्टाफ को बांटते चलते थे। ये था उनका शाही मिजाज। ये सिर्फ एक जगह की बात नहीं, जहां भी वह शूटिंग के लिए जाते, यही अंदाज नजर आता था।