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क्यों Dharmendra का चेहरा देखते ही Shammi Kapoor ने दोगुनी कर दी थी अपनी फीस?

हिंदी सिनेमा के दिग्गज अभिनेता शम्मी कपूर की फिल्में आज भी दर्शक बड़े चाव से टीवी पर देखते हैं। उनके गानों पर डांस करते हैं। 21 अक्टूबर को कश्मीर की कली एक्टर की बर्थ एनिवर्सरी है। इस मौके पर हम आपको शम्मी कपूर और धर्मेंद्र से जुड़े उस किस्से के बारे में बताने जा रहे हैं जब हीमैन को सामने देख अभिनेता ने अपनी फीस बहुत ज्यादा बढ़ा दी थी।

By Tanya Arora Edited By: Tanya Arora Updated: Sun, 20 Oct 2024 08:00 AM (IST)
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शम्मी कपूर से मोलभाव करने की धर्मेंद्र ने चुकाई थी कीमत/ फोटो- Jagran Graphic
एंटरटेनमेंट डेस्क, मुंबई। सिनेमा के पर्दे पर शम्मी कपूर के अभिनय और डांस के दर्शक दीवाने थे, तो उनकी दरियादिली और जिंदादिली के किस्से भी मशहूर थे। स्व. शम्मी कपूर की जन्मतिथि (21 अक्टूबर) के अवसर पर उनसे जुड़ी रोचक स्मृतियां साझा कर रहे हैं फिल्मकार राहुल रवेल...

शम्मी कपूर से पहली ही मुलाकात में बन गए थे उनके दीवाने

याहू...चाहे कोई मुझे जंगली कहे...फिल्म ‘जंगली’ के इस गाने में शम्मी कपूर का मस्त अंदाज आज भी दिलों में हलचल पैदा कर देता है। डांस ऐसा कि झूमने पर मजबूर कर दे तो वहीं रोमांटिक नायक से लेकर चरित्र भूमिकाओं तक में उन्होंने ऐसी छाप छोड़ी थी कि लगता मानो वे पात्र उनके लिए ही लिखे गए थे।

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शम्मी कपूर जी के साथ मैंने बतौर निर्देशक पहली बार फिल्म ‘बीवी ओ बीवी’ में काम किया था। उसके क्लाइमैक्स में एक चेज सीक्वेंस में उनकी झलक थी। गिमिक के लिए हमने उनका लोकप्रिय गाना चाहे मुझे कोई जंगली कहे... डाला था। बस दो दिन काम किया था, पर उन्होंने इतना प्रभावित किया कि जब ‘बेताब’ की कास्टिंग का वक्त आया तो मेरे जेहन में शम्मी जी का ही ख्याल आया।

shammi kapoor birth anniversary

SHAMMI KAPOOR FAN CLUB: Instagram 

मोल भाव पड़ गया भारी

‘बेताब’ का निर्देशन मुझे करना था। धरम जी (अभिनेता धर्मेंद्र) इस फिल्म के निर्माता थे लेकिन धन से जुड़े मामले उनके जीजा बिक्रमजीत देखा करते थे। ‘बेताब’ के लिए मैंने शम्मी जी से बात की। उस समय काम के एवज में उन्होंने तीन लाख रुपये मांगे, मैंने ये बात जाकर बिक्रमजीत से कही। उन्हें ये अधिक लगे तो उन्होंने धरम जी को आगे करके इनमें कुछ कटौती करवाने की योजना बनाई।

  • साल 1983 में रिलीज हुई थी बेताब
  • सनी देओल-अमृता सिंह ने निभाया था मुख्य किरदार
  • धर्मेंद्र थे फिल्म के निर्माता 
  • शम्मी कपूर ने निभाई थी सरदार दिनेश सिंह की भूमिका
धरम जी पहले तो हिचके, पर फिर मान गए। शम्मी जी से उन्होंने फिल्म की चर्चा की फिर पूछा कि पैसे कितने लेंगे, इस पर शम्मी जी तपाक से बोले बेटा पांच लाख रुपये लूंगा। सब सोच में पड़ गए कि तीन लाख से कम करवाने के चक्कर में अब पांच लाख पर बात आ गई। शम्मी जी मुस्कुराते हुए बोले कि ये समझो कि दो लाख पेनाल्टी है। कमाल की बात रही कि धरम जी उसके लिए राजी हो गए। ये बतौर कलाकार शम्मी जी का सम्मान था। दरअसल उन्हें निर्माताओं का मोल भाव करना पसंद नहीं थी, पर हंसी-मजाक के साथ अपनी बातें मनवाना भी उन्हें बखूबी आता था।

SHAMMI KAPOOR- IMDB

कश्मीर से था खास रिश्ता

‘बेताब’ की शूटिंग हमने कश्मीर में की थी। शम्मी जी का कश्मीर और वहां के लोगों से एक अलग ही रिश्ता बन गया था। दरअसल ‘कश्मीर की कली’ से लेकर ‘बेताब’ तक उन्होंने वहां पर इतनी फिल्मों की शूटिंग की थी कि लोग भी उन्हें अपने बीच देखने के अभ्यस्त हो गए थे। ‘बेताब’ के बाद जब मैं ‘लव स्टोरी’ की शूटिंग के लिए कश्मीर गया, तो वहां लोग पूछने लगते थे कि शम्मी जी नहीं आए।

डल झील पर शिकारे वालों से लेकर बाजार के दुकानदारों तक हर कोई उनके बारे में पूछता था। वहां पर उनकी दरियादिली के किस्से भी मशहूर थे। श्रीनगर में ओबेरॉय होटल्स के लेक पैलेस होटल में वह ठहरते थे। शूटिंग समाप्त होने के बाद जब वह अगले दिन वहां से रवाना होते तो होटल के लंबे कारिडोर में स्टाफ उन्हें देखने और विदा करने के लिए मौजूद रहता।

SHAMMI KAPOOR- IMDB

शम्मी जी के अगल-बगल दो लोग होते थे, जिनके हाथ में रुपयों से भरी बड़ी से पोटली होती थी, शम्मी जी दोनों हाथों से जितने भी रुपये हाथ में आते वो स्टाफ को बांटते चलते थे। ये था उनका शाही मिजाज। ये सिर्फ एक जगह की बात नहीं, जहां भी वह शूटिंग के लिए जाते, यही अंदाज नजर आता था।

दावत होती थी कमाल

वो काम के बीच भी अपनी पसंद की चीजें खोज लेते थे। शूटिंग लोकेशन पर पहुंचकर वो सबसे पहले ये तय करते थे कि वहां कौन से बेहतरीन रेस्टोरेंट हैं और उनके कौन से व्यंजन मशहूर हैं। ये आदत तो राज कपूर साहब में भी थी, या यों कहें कि इस मामले में पूरी कपूर फैमिली का मिजाज एक सा था। शूटिंग समाप्त होने के बाद में या उसके बीच में वह यूनिट सदस्यों के लिए पार्टी देते थे।

जब उनकी फिल्मों की शूटिंग कश्मीर में होती थी तो वह शिकारे पर पार्टी देते थे। जिसमें खास तौर पर वजवान परोसा जाता था। वजवान कश्मीरी शादियों में परोसा जाने वाला भोजन है, जिसमें वेज और नॉनवेज दोनों तरह के 51-52 व्यंजन होते हैं। ‘बेताब’ के दौरान शम्मी जी ने हमारे लिए भी पार्टी रखी थी। वह खाने-पीने के खूब शौकीन थे, हर व्यंजन का स्वाद जरूर चखते थे।

जिस निर्णय ने सभी को चौंकाया

पहली पत्नी गीता दत्त की मृत्यु के बाद वह थोड़ा शांत हो गए थे। बच्चे छोटे थे। वह भी अकेलापन महसूस करते थे। उसी दौरान उनके जीवन में नीला देवी जी ने दस्तक दी, जिन्होंने उनकी जिंदगी को पुन: खूबसूरती से संवारा। राज कपूर जी की बेटी रितु की शादी के कार्यक्रम चल रहे थे।

नीला जी रितु की मित्र थीं और शादी में शामिल होने आई थीं। रितु जी की शादी की धूमधाम थी घर में। उनकी शादी संपन्न होती, उसी बीच अचानक एक सुबह सब यह जानकर प्रसन्न हुए तो थोड़े से हैरान भी कि नीला जी और शम्मी जी ने शादी कर ली है। रितु जी की जो सहेली थीं, वो नए रिश्ते में अब उनकी चाची थीं। हालांकि, शम्मी जी की पत्नी के रूप में नीला जी ने हर रिश्ते को पूरी गरिमा से निभाया।

Shammi Kapoor-Neela Devi photo- IMDB

व्हील चेयर से सीधे ड्राइविंग सीट पर

शम्मी जी ने हर मोड़ पर जिंदगी को भरपूर जिया। एक बार उनकी तबीयत खराब हुई। शम्मी जी को अस्पताल में भर्ती होना पड़ा, डॉक्टर ने उन्हें सख्त हिदायत दी थी कि कुछ दिन व्हील चेयर पर गुजारने होंगे। चलना-फिरना बंद रहेगा, पर जब उन्हें अस्पताल से डिस्चार्ज किया गया तो बाहर आकर उन्होंने व्हील चेयर को गाड़ी में रखवाया और स्वयं सीधे ड्राइविंग सीट पर बैठ गए। गाड़ियों का उन्हें बेहद शौक था।

डिस्चार्ज होने से पहले खासतौर पर उन्होंने मर्सिडीज खरीदी थी, उसकी ड्राइविंग का रोमांच वह मिस नहीं करना चाहते थे। मुझसे उन्होंने एक बार कहा था कि जिस दिन आपने यह मान लिया कि मुझसे यह काम नहीं होता, उस दिन वहीं थम जाएंगे। सोच तो यह होना चाहिए कि परेशानियां हुईं तो क्या हुआ। अभी मैं जिंदा हूं और जब तक ये जिंदगी है, उसे भरपूर एंजाय करूंगा।

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